सरकार में जो पार्टी रहती है, उसे सरकारी नीतियों, घोषणाओं का लाभ भी होता है। कुछ ऐसा ही संयोग अभी केंद्र की सत्ता में बैठी भारतीय जनता पार्टी के साथ हो रहा है। इस साल भारत सरकार की दो बड़ी घोषणाओं ने भारतीय जनता पार्टी को दो राजनीतिक सहयोगी दिला दिए। जो पहले भाजपा और उसके नेताओं के साथ उसकी नीतियों की आलोचना करते नहीं थकते थे, अचानक भारत सरकार की दो घोषणाओं के बाद विरोध समर्थन में बदल गया।
कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न देने के बाद भाजपा को जदयू का मिला साथ
भारत सरकार की ओर से इस साल कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न देने की घोषणा की गई। कर्पूरी ठाकुर बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री थे। 23 जनवरी 2024 को उनकी 100वीं जयंती के एक दिन पहले भारत सरकार ने यह घोषणा की। इस निर्णय की सराहना तो देश भर में हुई। लेकिन भाजपा को इसका तात्कालिक फायदा यह हुआ कि 17 महीने से सत्ता से बाहर भाजपा को अगले 5 दिनों में जदयू का साथ मिल गया और भाजपा बिहार की सत्ता में लौट आई। कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न देने की घोषणा के साथ ही बिहार के सीएम और जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार की भावनाएं पीएम नरेंद्र मोदी और भाजपा के लिए बदल गईं। वे अगले कुछ दिनों राजद का साथ छोड़कर एनडीए में वापस आ गए।
चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न, जयंत हुए भाव-विभोर
2024 पहला साल है, जब एक ही साल में अब तक पांच लोगों को भारत रत्न देने की घोषणा की गई है। केंद्र सरकार ने कर्पूरी ठाकुर के बाद पूर्व उपप्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी को भारत रत्न देने का निर्णय लिया। इसके बाद शुक्रवार, 9 फरवरी को एक साथ तीन लोगों को भारत रत्न देने का ऐलान हुआ। इसमें पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव, चौधरी चरण सिंह और एमएस स्वामीनाथन को भारत रत्न देने का ऐलान किया गया। इसमें चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न देने का तात्कालिक असर यह हुआ कि उनके पोते जयंत चौधरी के सुर भाजपा और भाजपा के नेताओं के प्रति बदल गए। जयंत चौधरी ने पीएम मोदी और केंद्र सरकार के फैसले की तारीफ करते हुए एनडीए में जाने की घोषणा कर दी। इस तरह भारत सरकार के एक और फैसले का लाभ भाजपा को मिलता दिख रहा है।