बिहार की राजधानी पटना के बीचोबीच गांधी मैदान है। इस मैदान के संबोधन के वक्त ऐतिहासिक शब्द अपने आप जुड़ जाता है। एक बार फिर पटना का गांधी मैदान सुर्खियों में है। क्योंकि फिर कुछ ऐसा घटा है, जो आपको एक दशक यानि 10 साल पुराने दिन याद दिला देगा। भाजपा की सभा में शामिल एक कार्यकर्ता की मौ’त हो गई। अब मौ’त पर सियासत जारी है। भाजपा कह रही है पुलिस की पिटाई से मरा, तो बिहार पुलिस सीसीटीवी फुटेज जारी कर बता रही है कि मौ’त पिटाई से नहीं हुई है। दोनों में सच कौन है, यह बाद में पता चलेगा। लेकिन इस घटना से 10 साल पुरानी वो वारदात भी सबके जेहन में घूम गई है जब भाजपा की रैली में पटाखों की तरह बम फूटे थे। धमाकों में 6 लोगों की मौ’त भी हो गई थी। इसके बावजूद रैली के प्रबंधकों ने भगदड़ नहीं मचने दी थी।
27 अक्टूबर 2013 को चार ध’माके
भाजपा ने जून 2013 में नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री पद के लिए आगे कर दिया था। नरेंद्र मोदी ने तब बिहार की राजधानी पटना से लोकसभा चुनाव के लिए हुंकार भरी थी। रैली का नाम भी हुंकार रैली दिया गया था। तब भाजपा और जदयू में ताजा खटास हुई थी। नीतीश कुमार ने भाजपा के सभी मंत्रियों को बर्खास्त कर नाता तोड़ लिया था। भाजपा की हुंकार रैली पर पूरे देश की नजर थी। इसी बीच गांधी मैदान और पटना जंक्शन पर चार ध’माके हुए। किसी को समझ नहीं आया कि क्या हुआ है। लेकिन भाजपा की रैली के प्रबंधकों को पता चल चुका था कि ये धमाके पटाखों के नहीं, बम के हैं।
भाजपा नेताओं की सूझबूझ से टला था हादसा
गांधी मैदान में भाजपा की हुंकार रैली ने पूरे बिहार से लोगों को इकट्ठा किया गया था। हर तरफ लोग ही दिख रहे थे, जो नरेंद्र मोदी को सुनने आए थे। भाजपा के समर्थन में आए थे। लेकिन अचानक हुए धमाकों में जब लोग घा’यल होने लगे, तो भाजपा नेताओं के होश फाख्ता हो गए। थोड़ी सी चूक भगदड़ की वो स्थिति बनाती, जो ला’शों का ढ़ेर लगा सकती थी। लेकिन मंच से गिरिराज सिंह और दूसरे नेताओं ने बार बार पटाखों का भ्रम फैलाकर भीड़ को तितर-बितर नहीं होने दिया। भाजपा नेताओं की संवेदनशीलता से हादसा बड़ा तो नहीं हुआ लेकिन 6 लोगों की मौ’त तब भी हुई थी।
विजय सिंह की मौ’त पर सियासी गर्मी
इस बार 13 जुलाई को भाजपा के कार्यक्रम को लेकर विवाद बड़ा हो गया है। बिहार पुलिस ने भाजपा नेताओं और कार्यकर्ताओं की एक भाव से पिटाई की है। पटना पुलिस के एसएसपी राजीव मिश्रा का कहना है कि भाजपा की ओर से अनुमति सिर्फ गांधी मैदान में कार्यक्रम की ली गई थी। विधानसभा मार्च की अनुमति नहीं थी। इस बीच भाजपा के नेता विजय सिंह की अचानक मौ’त ने शक की पहली सुई पटना पुलिस की ओर ही घुमाई है। बिहार पुलिस सफाई दे रही है कि उनकी मौ’त छज्जु बाग में ही हो गई थी। कई सीसीटीवी फुटेज जारी किए जा रहे हैं। लेकिन मौ’त का कारण जो भी हो, सियासी गर्मी बिहार में अभी बढ़ी ही रहेगी।
विधायक-सांसद सबकी एक ही ‘दवाई’
भाजपा के विधानसभा मार्च के दौरान पुलिस ने सभी को एकनजर से देखा है। सांसद जनार्दन सिग्रीवाल भी पुलिस की लाठियों से घायल हुए हैं। तो विधायक विजय कुमार सिन्हा भी। आम कार्यकर्ता भी उन्हीं परिस्थितियों में चोटिल हुआ है। इस बीच सोशल मीडिया पर सरकार समर्थक तेजस्वी यादव की उन तस्वीरों को पोस्ट कर रहे हैं, जिसमें एक मार्च के दौरान उन्हें नीतीश कुमार की सरकार ने गिरफ्तार करवा लिया था। कोई यह कह रहा है कि तब से अब तक, सब याद रखा गया है। तो जवाब में भाजपा कार्यकर्ता कह रहे हैं कि सब याद रखा जाएगा।