बिहार (Bihar) के सीएम नीतीश कुमार (Nitish Kumar) घबराए हुए हैं। यह बात वो तमाम रिपोर्ट्स के आधार पर कही जा रही है, जो यह बता रही हैं कि वो अपने पार्टी की कमान अपने हाथ में लेना चाहते हैं। राष्ट्रीय अध्यक्ष के तौर पर Lalan Singh की छुट्टी का अंदेशा उसी आशंका को बल दे रहा है, जिससे नीतीश कुमार (Nitish Kumar) की घबराहट बढ़ी हुई है। अब सवाल यह है कि आखिर नीतीश कुमार (Nitish Kumar) घबराए क्यों हैं? क्योंकि सरकार तो उनकी चल ही रही है। उन्हें विपक्ष का गठबंधन बनाना था, वो भी बन ही गया है। तो क्या नीतीश कुमार इसी माह आए 5 राज्यों के विधानसभा चुनाव के नतीजों के कारण घबरा गए हैं। जिसमें KCR जैसे नेता और BRS जैसी पार्टी के साथ कांग्रेस को बड़ा झटका लगा है। या फिर नीतीश कुमार की घबराहट का कारण, बिहार की सत्ता में उनके साझीदार लालू यादव (Lalu Yadav) की Tejashwi Yadav को सीएम बनाने की तेजी है।
KCR की BRS से पहली घबराहट
इसी माह 5 राज्यों के विधानसभा चुनाव के नतीजे घोषित हुए। इसमें भाजपा के लिहाज से रिजल्ट कुछ ऐसा रहा कि एक राज्य Madhya Pradesh में उसने अपनी सरकार बड़े मार्जिन से बचाई तो दो राज्यों राजस्थान (Rajasthan) और छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) में कांग्रेस (Congress) से सत्ता छीनी। इसके अलावा एक बड़ा संदेश BRS के जरिए आया, जिसमें उसकी सत्ता चली गई। भाजपा और कांग्रेस से बराबर दूरी रखते हुए BRS ने अपनी राजनीतिक यात्रा शुरू की थी। भाजपा तो BRS को परेशान नहीं कर पाई लेकिन कांग्रेस ने उसे परास्त कर तेलंगाना में पहली बार सरकार बना ली। KCR ने BRS के जरिए विपक्षी दलों का गठबंधन बनाने का प्रयास किया था। लेकिन वो सफल नहीं हुआ। उलटा वे राज्य भी हार गए। तो क्या Nitish Kumar की घबराहट का यही कारण है जिसमें BRS जैसी क्षेत्रीय पार्टी अपने राष्ट्रीय मंसूबे उंचे करने के कारण हार गई।
Lalu भी कम टेंशन नहीं दे रहे
नीतीश कुमार (Nitish Kumar) और उनकी पार्टी लाख कहे लेकिन सच यह भी है कि लालू यादव (Lalu Yadav) अपनी प्राथमिकता में Tejashwi Yadav को सीएम के पद पर जल्दी देखना चाहते हैं। यह बात सरेआम है कि 2022 में महागठबंधन फिर बनने के बाद Lalu ने अगर Nitish को पीएम पद या विपक्षी एकता का संयोजक बनाने के लिए प्रमोट किया है, तो इसके पीछे का बड़ा कारण यह रहा कि Nitish दिल्ली की राजनीति में शिफ्ट होंगे तो बिहार की राजनीति में Tejashwi Yadav को स्पेस मिलेगा। लेकिन मौजूदा हालात में यह भी मुश्किल दिख रहा है। क्योंकि भाजपा हार भी जाती है तो कांग्रेस किसी क्षेत्रीय दल के नेता को बड़े रोल में स्वीकार करेगी, यह अभी मुश्किल है।