बिहार में राजनीतिक गठबंधन के उलटपुलट के बाद पहली चुनावी लड़ाई का मैदान भी तैयार हो चुका है। आने वाले कुछ वक्त में दो विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होना है। इसमें मोकामा सीट पर तो सत्तापक्ष की ओर राजद की उम्मीदवारी लगभग तय है क्योंकि वो सीट राजद के टिकट पर ही अनंत सिंह जीते थे। अनंत की सदस्यता समाप्त होने के बाद दुबारा चुनाव होना है। ऐसे में इस सीट पर राजद ही उम्मीदवार उतारेगा, ऐसा तय माना जा रहा है। लेकिन असली लड़ाई होगी गोपालगंज में। यहां के विधायक सुभाष सिंह के निधन के बाद खाली हुई सीट पर चुनाव हुआ तो महागठबंधन की ओर से एक नहीं कई दावेदार होंगे।
कांग्रेस ने लड़ा था आखिरी चुनाव
2020 में गोपालगंज सीट से चौथी बार विधायक चुने गए थे सुभाष सिंह। हर बार भाजपा के ही उम्मीदवार के रूप में लड़े सुभाष सिंह को जीत लिए कभी क्लोज फाइट भी नहीं करना पड़ा। वे आसानी से जीतते रहे। जबकि 2020 के चुनाव में महागठबंधन की ओर से कांग्रेस के आसिफ गफूर थे। नतीजा जो आया उसमें सुभाष सिंह ने एकतरफा जीत दर्ज की थी। दूसरे नंबर पर रहे साधु यादव बहुजन समाज पार्टी के उम्मीदवार थे। जीत का अंतर 36 हजार वोट रहे थे। जबकि आसिफ गफूर को लगभग 36 हजार ही वोट मिले थे। इसके बावजूद यह सीट जब मुख्य चुनाव में कांग्रेस के पास थी तो उपचुनाव में भी लड़ने का कांग्रेस का दावा मजबूत ही है।
राजद की दावेदारी मजबूत
भले ही 2020 में राजद ने गठबंधन के नाते यह सीट कांग्रेस को दे दी। लेकिन कांग्रेस के प्रदर्शन और सीट के पुराने रिकॉर्ड के कारण राजद का दावा भी यहां कमजोर नहीं है। 2005 के नवंबर में हुए चुनाव में सुभाष सिंह ने पहली बार जीत दर्ज की। लेकिन इससे पहले के तीन चुनावों में सीट राजद के पास ही रही। इस सीट से 1995 में राम अवतार विधायक बने तो 2000 में साधु यादव ने जीत दर्ज की। 2005 की फरवरी में हुए चुनाव में राजद के रेयाजुल हक राजू ने जीत दर्ज की थी। साथ ही 2020 के पहले के तीन चुनावों में राजद ने भले ही चुनाव जीता न हो, पर भाजपा को टक्कर राजद ने ही दी। इस कारण राजद इसे अपनी परंपरागत सीट मानती रही है।
जदयू की नई दावेदारी
गोपालगंज विधानसभा सीट से जदयू का कोई मतलब कभी नहीं रहा है। इस सीट से जदयू ने कभी चुनाव नहीं लड़ा। 2015 में जब पहली बार महागठबंधन में जदयू शामिल हुआ था, तब भी गोपालगंज सीट राजद के खाते में आई थी। लेकिन इस बार बैकुंठपुर के पूर्व विधायक मंजीत सिंह गोपालगंज सीट से भाग्य आजमाने की तैयारी कर रहे हैं। वैसे इस पर न तो अभी तक मंजीत सिंह ने कुछ कहा है और न ही महागठबंधन के किसी दूसरे नेता ने। लेकिन स्थानीय स्तर पर यह चर्चा स्पष्ट है कि मंजीत सिंह गोपालगंज सीट से चुनाव लड़ने की कोशिश में हैं। दरअसल, दो बार विधायक रहने के बाद बैकुंठपुर से महागठबंधन के उम्मीदवार के रूप में 2015 में मंजीत सिंह को मिथिलेश तिवारी ने हराया। जबकि 2020 में निर्दलीय चुनाव लड़कर वे राजद के प्रेमशंकर से हार गए। अब प्रेमशंकर बैकुंठपुर से विधायक हैं जो राजद के हैं। ऐसे में 2025 में भी इस सीट पर मंजीत सिंह की दावेदारी कमजोर पड़ने की आशंका है। इसलिए मंजीत सिंह की कोशिश है कि सीट ही बदल दी जाए।
गोपालगंज विधानसभा सीट पर विधायक
- 1952- कमला राय (कांग्रेस)
- 1957- कमला राय (कांग्रेस)
- 1961- सत्येंद्र नारायण सिंह (कांग्रेस)
- 1962- अब्दुल गफूर (कांग्रेस)
- 1967- हरिशंकर सिंह (सोशलिस्ट पार्टी)
- 1971- रामदुलारी सिन्हा (कांग्रेस)
- 1972- रामदुलारी सिन्हा (कांग्रेस)
- 1977- राधिका देवी (जनता पार्टी)
- 1980- काली प्रसाद पाण्डेय (निर्दलीय)
- 1985- सुरेंद्र सिंह (निर्दलीय)
- 1990- सुरेंद्र सिंह (जनता दल)
- 1995- रामावतार (जनता दल)
- 2000- अनिरुद्ध प्रसाद उर्फ साधू यादव (राजद)
- 2005- फरवरी रेयाजुल हक राजू (बसपा)
- 2005 अक्टूबर- सुभाष सिंह (भाजपा)
- 2010- सुभाष सिंह (भाजपा)
- 2015 – सुभाष सिंह (भाजपा)
- 2020 – सुभाष सिंह (भाजपा)