लोकसभा चुनाव समाप्त हो चुका है और नई सरकार का गठन भी हो चुका है। इस लोकसभा चुनाव ने कई देश की राजनीति में बदलाव लाए। 10 वर्षों से बहुमत की सरकार चला रही भाजपा को अल्पमत में आना पड़ा और सहयोगियों के भरोसे सरकार का गठन करना पड़ा। दूसरी ओर विपक्ष को खास सफलता तो नहीं मिली लेकिन कांग्रेस की सीटें बढ़ी। चुनाव का प्रभाव बिहार में भी पड़ा जहां कांग्रेस ने अपनी सीटों की संख्या 2019 के मुकाबले तिगुना किया तो वामदलों का खाता सालों बाद खुला। 2019 में शून्य पर सिमटे राजद को भी चार सीटें मिलीं। लेकिन वास्तविक स्थिति यह है कि राजद को तीन ही नए सांसद मिले।
दरअसल, राजद ने लोकसभा चुनाव में औरंगाबाद, बक्सर, जहानाबाद और पाटलिपुत्र की सीट जीती। औरंगाबाद से अभय कुशवाहा, बक्सर से सुधाकर सिंह, जहानाबाद से सुरेंद्र प्रसाद यादव जीते जबकि पाटलिपुत्र सीट से मीसा भारती को जीत मिली। इसमें अभय कुशवाहा, सुधाकर सिंह और सुरेंद्र यादव तो राजद के नए सांसद बने लेकिन मीसा भारती संसद के लिए नई नहीं थीं। मीसा भारती पहले से राज्यसभा में थीं। लोकसभा के लिए चुने जाने के बाद उन्हें राज्यसभा की सदस्यता छोड़नी पड़ी।
मीसा भारती के स्थान पर पाटलिपुत्र से राजद के टिकट पर कोई और नेता चुनाव जीतता तो राजद को लोकसभा चुनाव के बाद चार नए सांसद मिले। लेकिन मीसा भारती के चुनाव जीतने के कारण लोकसभा में तो राजद के चार सांसद हो गए लेकिन राज्यसभा में राजद का एक सांसद कम हो गया है।
राज्यसभा में मीसा भारती की खाली सीट भाजपा के खाते में चली गई। इस सीट पर भाजपा ने बार काउंसिल के चेयरमैन मनन मिश्रा को राज्यसभा भेजा है। इस तरह भाजपा लोकसभा की एक सीट गंवा कर राज्यसभा में एक सीट आगे बढ़ गई। आपको बता दें कि मीसा भारती राज्यसभा में बनी रहती तो उनका कार्यकाल 2028 तक रहता।