वो तारीख 31 अगस्त 2022 थी जब तेलंगाना के सीएम के चंद्रशेखर राव (KCR) बिहार की राजधानी पटना पहुंचे। महीना भर भी नहीं हुआ था जब बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने भाजपा का साथ छोड़ केंद्र से भाजपा को उखाड़ फेंकने के लिए नया गठबंधन बनाया था। नए गठबंधन में सहयोगी तो नए थे, मुखिया नीतीश ही रहे। KCR के पटना आगमन को नीतीश कुमार के उस संकल्प का एक्सटेंशन के रूप में देखा गया कि भाजपा को केंद्र की सत्ता से हटाने के लिए वे विपक्षी दलों को एक करेंगे। KCR भी दिल्ली में सत्ता बदलने के ख्वाहिशमंद हैं। ऐसे में लगा कि यह जोड़ी रंग लाएगी। लेकिन नीतीश के संकल्प और उसके एक्सटेंशन इस बार की सर्दी में जम गए, बेकार हो गए। क्योंकि अब केसीआर ने नीतीश कुमार के उस हाथ को झिड़क दिया है, जिसे थामे 31 अगस्त 2022 को नीतीश नया ख्वाब बुन रहे थे।
महागठबंधन में नीतीश को अलग-थलग करने की तैयारी?
विपक्षी दलों की सूची से नीतीश बाहर
दरअसल, पटना से हैदराबाद लौटने के बाद KCR अपनी मुहिम की ओर तेजी से बढ़े हैं। अपनी पार्टी तेलंगाना राष्ट्र समिति का नाम बदलकर भारत राष्ट्र समिति कर दिया। मैसेज क्लीयर था कि उन्हें अखिल भारतीय स्तर पर लड़ना है। अब लड़ाई के अगले चरण के लिए केसीआर ने भाजपा के विरोध वाले विपक्षी दलों की जो सूची बनाई है, उसमें नीतीश कुमार और उनकी पार्टी जदयू का नाम शामिल नहीं है। दरअसल, KCR 18 जनवरी को तेलंगाना के खम्मम में बड़ी रैली कर रहे हैं, जिसमें विपक्षी नेताओं को न्योता दिया गया है। लेकिन न्योता पाने वाले नेताओं की सूची में नीतीश कुमार शामिल नहीं हैं।
KCR की नीति स्पष्ट, नीतीश की ढुलमुल
मौजूदा हालात में नीतीश कुमार और KCR एक ही मंजिल की ओर दौड़ लगा रहे हैं। इस मंजिल को पाने के लिए भाजपा या कांग्रेस से इन दोनों ही दलों को अलग रहना होगा। क्योंकि इनके पीएम बनने की महत्वकांक्षा तभी पूरी होने की संभावना है जब भाजपा और कांग्रेस दोनों ही सत्ता की रेस से बाहर हो जाएं। केसीआर ने भाजपा और कांग्रेस दोनों से समान दूरी बना रखी है। अपनी रैली में अरविंद केजरीवाल, अखिलेश यादव जैसे उन्हीं विपक्षी नेताओं को आमंत्रित भी किया है, जो भाजपा और कांग्रेस से समान दूरी रखे हैं। जबकि बिहार में नीतीश कुमार की सरकार में कांग्रेस शामिल है। वे कांग्रेस की तत्कालीन अध्यक्ष सोनिया गांधी से मिलने भी लालू यादव के साथ गए थे।
इन महत्वपूर्ण विपक्षी नेताओं को KCR ने दिया न्योता
- अखिलेश यादव, राष्ट्रीय अध्यक्ष, समाजवादी पार्टी
- अरविंद केजरीवाल, मुख्यमंत्री, दिल्ली
- भगवंत मान, मुख्यमंत्री, पंजाब
- पिनरई विजयन, मुख्यमंत्री, केरल
KCR ने पटना में ही किया था इशारा
केसीआर द्वारा अपनी पार्टी तेलंगाना राष्ट्र समिति को भारत राष्ट्र समिति में बदले जाने के बाद राष्ट्रीय स्तर आयोजित इस बड़ी रैली में नीतीश कुमार शामिल नहीं हैं। इसका सबसे बड़ा कारण ये है कि KCR और नीतीश के बीच सहमति नहीं है। इसका इशारा केसीआर ने पटना में ही कर दिया था। नीतीश कुमार की मौजूदगी में जब मीडिया ने केसीआर से सवाल पूछा था कि क्या वे नीतीश को पीएम पद के लिए सपोर्ट करेंगे। नीतीश तब तो शर्मा कर उठ गए थे। लेकिन केसीआर ने नीतीश कुमार का हाथ पकड़ कर मीडिया से कहा था कि इस पर कोई बात अभी नहीं हुई है।