बिहार में खाकी और खादी का संबंध पुराना है। खाकी पहनने वाले कई बार खादी से आकर्षित हुए हैं। लेकिन सफलता का स्वाद इक्का-दुक्का को ही मिला। मौजूदा बिहार सरकार में शिक्षा मंत्री सुनील कुमार इनमें से एक हैं। बिहार पुलिस में डीजी रहे सुनील कुमार 2020 में पहली बार चुनाव लड़े और जीत कर मंत्री बन गए। लेकिन डीजीपी रहे डीपी ओझा चुनाव नहीं जीत सके। डीजीपी रहे गुप्तेश्वर पांडेय तो टिकट भी नहीं पा सके। ऐसा एक बार नहीं दो बार हुआ, जब लगा कि गुप्तेश्वर पांडेय चुनावी मैदान में उतर जाएंगे। लेकिन उन्हें टिकट ही नहीं मिला। अब आईपीएस काम्या मिश्रा के बाद शिवदीप लांडे ने भी भारतीय पुलिस सेवा की नौकरी को अलविदा कर दिया। संभावना यही है कि दोनों को राजनीति में आना है। लेकिन इतिहास गवाह है कि राजनीति में खाकी हर वर्दी वाला सफल नहीं हुआ है।
इन खाकी वर्दी वालों पर फिट बैठी खादी
- डीएन सहाय : बिहार के डीजीपी रहे डीएन सहाय उन नेताओं में से हैं, जिन्होंने चुनाव नहीं लड़ा लेकिन राज्यपाल बने। त्रिपुरा के 10वें और छत्तीसगढ़ के पहले राज्यपाल डीएन सिन्हा बनाए गए थे। इससे पहले वे बिहार के डीजीपी थे। बिहार के मौजूदा डीजीपी आलोक राज उनके दामाद हैं।
- ललित विजय सिंह : बिहार पुलिस में आईजी रहे ललित विजय सिंह को भी खादी भाई और वे इसमें सफल भी रहे। ललित विजय सिंह ने 1989 में लोकसभा का चुनाव लड़ा और जीते। बाद में वे केंद्र में राज्यमंत्री भी बने।
- निखिल कुमार : दिल्ली के पुलिस कमिश्नर रहे बिहार के पूर्व सीएम सत्येंद्र नारायण सिन्हा के बेटे निखिल कुमार ने भी राजनीति की ओर रुख किया। 2004 में कांग्रेस के टिकट पर निखिल कुमार औरंगाबाद से लोकसभा सांसद भी चुने गए। बाद में वे नागालैंड के राज्यपाल भी रहे।
- सुनील कुमार : बिहार पुलिस में डीजी रहे सुनील कुमार अभी बिहार के शिक्षा मंत्री हैं। रिटायर होने के बाद जदयू के टिकट पर पहली बार 2020 में चुनाव लड़ने वाले सुनील कुमार को नीतीश कुमार ने पहले मद्य निषेध विभाग में मंत्री बनाया। अब वे शिक्षा मंत्री हैं। उनके भाई अनिल कुमार भी विधायक रह चुके हैं।
इन पूर्व पुलिस अधिकारियों को राजनीति में नहीं मिली सफलता
- डीपी ओझा : बिहार के पूर्व डीजीपी डीपी ओझा जब तक पुलिस की नौकरी में रहे, उनका रौब राष्ट्रीय स्तर पर चर्चित रहा। लेकिन खादी उन्हें नहीं भाई। डीपी ओझा ने बेगूसराय से चुनाव लड़ा और हार गए।
- आशीष रंजन सिन्हा : बिहार के एक और डीजीपी आशीष रंजन सिन्हा ने भी खाकी से रिटायर होने के बाद खादी पहनने की कोशिश की। कांग्रेस के टिकट पर आशीष रंजन सिन्हा नालंदा से चुनाव लड़े लेकिन हार गए।
- आरआर प्रसाद : लोकसभा चुनाव हारने वाले दो डीजीपी तो खादी पहनने में सफल नहीं हो पाए। लेकिन एक और पूर्व डीजीपी आरआर प्रसाद पंचायत चुनाव लड़ गए और वहां भी उन्हें हार का ही सामना करना पड़ा।
- आनंद मिश्रा : असम कैडर के आईपीएस आनंद मिश्रा ने नौकरी बीच में छोड़कर राजनीति की ओर रुख कर लिया है। बक्सर से 2024 में आनंद मिश्रा ने निर्दलीय चुनाव भी लड़ा। लेकिन हार गए। इन दिनों आनंद मिश्रा जनसुराज में प्रशांत किशोर के साथ दिख रहे हैं।
शिवदीप लांडे नहीं लड़ेंगे चुनाव?
वैसे शिवदीप लांडे के इस्तीफे के बाद उनके चुनाव लड़ने को लेकर लगाई जा रही अटकलों पर उन्होंने सोशल मीडिया में सफाई दी है। शिवदीप लांडेय ने लिखा है कि “सर्वप्रथम मैं पुरे दिल से सभी का आभार प्रकट करना चाहता हूँ क्यूंकि कल से मुझे जो प्यार और प्रतिक्रिया प्राप्त हो रही है वो मैंने कभी नहीं सोचा था। मेरे कल के त्यागपत्र के बाद से कुछ मीडिया वाले इस संभावना को तलाशने में लगे हैं की शायद मैं किसी राजनितिक पार्टी से जुड़ने जा रहा हूँ। मैं इस पोस्ट के माध्यम से सभी को ये बताना चाहता हूँ की मेरी न ही किसी राजनितिक पार्टी से कोई बात हो रही है और न ही किसी पार्टी के विचारधारा से मैं जुड़ने जा रहा हूँ। कृपया कर मेरे नाम को किसी के साथ जोड़ कर न देखें।”