बिहार की किशनगंज लोकसभा सीट की राजनीति बड़ी ही सरल पर उतनी ही रोचक है। किशनगंज लोकसभा क्षेत्र, कश्मीर के बाद दूसरा सबसे अधिक मुस्लिम आबादी वाला क्षेत्र है। यहां की आबादी का 75 प्रतिशत मुस्लिम ही हैं। इसलिए यहां की राजनीति पर भी उन्ही का दबदबा देखने को मिलाता है। 1957 से लेकर 2019 तक यहां से सिर्फ एक गैर मुस्लिम सांसद चुने गए हैं। कई अलग-अलग दल के बड़े मुस्लिम चेहरे भी इस सीट से सांसद बने हैं। आने वाले चुनाव में भी इस सीट पर लड़ाई रोचक होने वाली है।
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किशनगंज से चुने गए दो बड़े मुस्लिम नेता
किशनगंज से चुने गए मुस्लिम सांसदों में दो नेताओं के नाम सबसे बड़े हैं । पहला है एम जे अकबर का जिन्होंने ने अपनी राजनीति तो कांग्रेस से शुरू की लेकिन बाद में भाजपाई हो गए । 1989 में उन्होंने किशनगंज से लोकसभा चुनाव जीता और पहली बार सांसद बने। वर्ष 2016 मोदी कैबिनेट में वो विदेश मंत्रालय में राज्यमंत्री भी बने। दूसरा बड़ा नाम भाजपा नेता सैयद शाहनवाज हुसैन का है। जो बाजपेयी सरकार में केंद्रीय मंत्री रह चुके हैं। वर्तमान में भी भाजपा में बड़े मुस्लिम नेता के रूप में उनकी छवि है ।
1957 से 2019 तक जीते उम्मीदवार
किशनगंज लोकसभा क्षेत्र को कांग्रेस का गढ़ कहा जाए तो गलत नहीं होगा। हालांकि अन्य पार्टी के उम्मीदवारों ने यहाँ से जीत हासिल की है लेकिन कांग्रेस का ट्रैक रिकॉर्ड शानदार रहा है। पिछले तीन चुनव में कांग्रेस यहां जीत की हैट्रिक लगा चुकी है। बात करे यहां से अबतक जीते उम्मीदवारों की तो गिनती 1957 के लोकसभा चुनाव से शुरू करनी पड़ेगी।
1957 और 1962 कांग्रेस के एम. ताहिर, 1962 में पीएसपी के लखन लाल कपूर, 1971 में कांग्रेस के जमिलुर्रहमान, 1977 में बीएलडी के हलिमुद्दीन अहमद, 1980 में कांग्रेस के जमिलुर्रहमान, 1985 में जनता पार्टी के सैयद शहाबुद्दीन, 1989 में कांग्रेस के एम जे अकबर, 1991 में जनता दल के सैयद शहाबुद्दीन, 1996 में जनता दल के मो. तस्लीमुद्दीन, 1998 में राजद के मो. तस्लीमुद्दीन, 1999 में भाजपा के सैयद शाहनवाज हुसैन, 2004 में राजद के मो. तस्लीमुद्दीन, 2009 और 2014 में कांग्रेस मो. असरारूल हक और 2019 में कांग्रेस के मो. जावेद ने जीत हासिल की।
AIMIM की एंट्री से बदलते समीकरण
किशनगंज लोकसभा क्षेत्र की राजनीति में असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM की एंट्री से यहां के समीकरण थोड़े बदले-बदले जरुर हैं। 2019 के लोकसभा चुनाव में जीत कांग्रेस को मिली, दूसरे स्थान पर जदयू रही थी। जबकि तीसरे नंबर पर AIMIM के अख्तरुल ईमान रहे थे। वही 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में किशनगंज लोकसभा के अंतर्गत आने वाले विधानसभा क्षत्रों में ज्यादातर AIMIM के प्रत्यशियों ने जीता था। हालंकि ये बात लगा है कि उनमें से एक को छोडकर सभी राजद में शामिल हो गए। आगामी लोकसभा चुनाव में भी इस सीट पर AIMIM का बड़ा प्रभाव देखने को मिल सकता है।
किशनगंज के अंतर्गत आने वाले विधानसभा सीट का हाल
दरअसल किशनगंज लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत कुल 6 विधानसभा सीट हैं। जिसमें से चार पर AIMIM के टिकट पर चुनाव लड़े प्रत्यशियों ने जीत हासिल की थी। लेकिन उनमें से तीन बाद में राजद में शामिल हो गए। इसमें बहादुरगंज से जीते मो. अंजार नईमी, कोचाधामन से जीते मुहम्मद इजहार असफी और बैसी से जीते सैयद रुकनुद्दीन का नाम शामिल है । इसके अलावे किशनगंज से कांग्रेस के इजहारूल हुसैन, ठाकुरगंज से राजद के सउद आलम और प्रणय से AIMIM के अख्तरुल ईमान ने जीत हासिल की थी ।