बिहार में लोकसभा चुनाव की शुरुआत से ही RJD की कैम्पेनिंग चर्चा में रही। प्रचार का जिम्मा अकेले तेजस्वी यादव ने संभाला। तो परसेप्शन यह भी था कि लालू यादव इस बार जेल से बाहर हैं, तो तेजस्वी को सही मार्गदर्शन कर रहे हैं। तेजस्वी का ग्राउंड वर्क और लालू का बैकस्टेज वर्क मिलाकर ऐसा लग रहा था कि RJD इस बार अपने पिछले तीन चुनावों के रिकॉर्ड तोड़ेगी, जिसमें उसके पास कभी दहाई अंकों में सीटें नहीं रही। लेकिन सबकुछ फेल ही साबित हो गया। कहने के लिए कहा जा सकता है कि RJD ने पिछले चुनाव के मुकाबले अच्छा प्रदर्शन किया। लेकिन पिछले चुनाव में RJD को कोई सीट नहीं मिली थी। इसलिए इस बार भी दहाई अंकों में नहीं पहुंच पाना RJD के लिए हार ही है।
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लोकसभा चुनाव 2024 के दौरान तेजस्वी यादव के प्रचार की खूब चर्चा हुई। तेजस्वी यादव रोज हेलिकॉप्टर से निकलते और बिहार में 200 से अधिक सभाएं करने का रिकॉर्ड बनाया। तेजस्वी कभी हेलिकॉप्टर में मछली खाते दिखे, तो कभी जूस पीते तो कभी लंच करते। तेजस्वी की हवाई यात्राओं की खूब चर्चा हुई। लेकिन इन हवाई यात्राओं का रिजल्ट RJD के लिए वैसा नहीं रहा। तेजस्वी के रिजल्ट को इस कसौटी पर ज्यादा खराब तब माना जाएगा, जब दो पड़ोसी राज्यों उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल में क्षेत्रीय दलों ने भाजपा को वैसे बिखेर दिया, जैसा तेजस्वी नहीं बिखेर पाए।
दूसरी ओर लोकसभा चुनाव 2024 में लालू यादव के स्ट्रेटजी और बैकस्टेज वर्क को शुरुआत में खूब सराहना मिली। लालू यादव ने तेजी दिखाते हुए सहयोगी दलों से बिना चर्चा के सीटें बांटने की शुरुआत कर दी। लोकसभा चुनाव के पहले चरण की चार सीटों पर तो लालू यादव ने किसी सहयोगी दल से विमर्श के बिना सभी सीटों पर उम्मीदवार खड़े कर दिए। इसमें लालू यादव ने औरंगाबाद की वो सीट भी कांग्रेस से छीन ली, जिस पर कांग्रेस ही उम्मीदवार देती रही। लेकिन लालू यादव की तेजी और तेजस्वी यादव की हवाई यात्राओं का खास लाभ RJD को नहीं मिला।