रांची: झारखंड के आदोलन से उत्पन्न हुए नेता लोबिन हेम्ब्रम किसी परिचय के मोहताज नही। आंदोलन और प्रदर्शन कर इतना अनुभव की कई बार वो अपने ही सरकार के खिलाफ आंदोलन कर पार्टी के आंखों का कांटा बन गए। लोबिन संथाल परगना के बोरियो विधान सभा के चुने हुए नेता है। जनता ने उन्हे अपना अभिभावक माना है। बात करे झामुमों की तो उनका दर्जा सिबू सोरेन के समकक्ष रहा है। समय की पलटी दशा और लोबिन हेम्ब्रम हेमंत सोरेन के मंत्रीमंडल में जगह पाए। परंतु कई बार हेमंत के किसी निर्णय पर असहमत होने पर अपनी ही सरकार को डांटने उन्हे विरोध करने से लोबिन कभी पीछे नहीं रहें। कई बार लोबिन का यह बर्ताव सरकार के लिए परेशानी भरा भी हो गया। इसके बाद लोबिन को झामुमो छोड़ना पड़ा। बोरियो में लोबिन हेम्ब्रम उक कद्दावर नेता के रूप में जाने जाते हैं। वहां की जनता लेबिन को पसंद कारती है। वहीं बात करे पिछले विधान सभा चुनाव की तो 2019 में बोरियो सीट से लोबिन विजयी रहे थे वहीं भाजपा के ताला मरांडी दूसरे स्थान पर थे। साल 2011 की जनगणना के अनुसार, बोरियो सीडी ब्लॉक की कुल जनसंख्या 97,845 थी. जिसमें से 90,881 ग्रामीण हैं. जबकि 6,964 शहरी लोग हैं. बोरियो सीडी ब्लॉक में 49,234 पुरुष वोटर्स हैं. जबकि, महिला मतदाता 48,611 हैं. अगर अनुसूचित जातियों की संख्या को देखें तो 2,479 (2.53 फीसदी) और अनुसूचित जनजातियों की संख्या 59,732 (61.05 फीसदी) है. वहीं बोरियो की राजनीति में आदिवासी और मुस्लिम वोटरों की बड़ी भूमिका रहती है। लगभग 47% आदिवासी और 17.4% मुस्लिम वोटर हैं।
पहले झामुमों के लोबिन को इन दोनो का साथ मिलता था वहीं अब बीजेपी के लोबिन को दोनो का साथ मिल सकेगा या नहीं ये देखना दिलचस्प होगा। संथाल परगना के इस गढ़ में पिछले चुनाव में लोबिन जीते थे वहीं 2014 में बीजेपी के ताला मरांडी ने इस विधानसभा सीट पर जीत दर्ज की थी। अब बीजेपी वोटर्स तो नहीं खिसकेंगे लेकिन पुराने जेएमएम वाले लोबिन के वोटर्स जो झामुमों के पारंपरिक थे उनका कुछ कहा नही जा सकता ।वही झामुमों ने इस सीट पर धनन्जय सोरेन को उतारा गया है। धनंजय राजनीति में एक नए चेहरे हैं। धनंजय का सीधा मुकाबला बोरियो के उस नेता से हैं जिसके पास अपना जनाधार है। धनंजय नए हैं, राजनीति में उनका कोई खास इतिहास नहीं रहा है इसे छोड़कर कि वो हेमंत सोरेन के खास हैं। इसे लेकर जेएमएम के नेता विधायक दिनेश मरांडी ने आरोप लगाया कि धनंजय ने सीएम के विधायक प्रतिनिधी के केस में गवाही दी थी इसलिए उन्हें बोरियो से टिकट दिया गया है। वहीं मनी लांड्रिंग के मामले में जमानत पर छूटे पकज मिश्रा भी बोरियों में एक्टिव हो गए हैं। उन्होने वहां पहुंचकर चुनाव का कार्य भी संभाल लिया है। ऐसे में लोबिन हेम्ब्रम पर बोरियो फतह मुश्किल भरा हो सकता है। बावजूद इसके यदि हम पिछले चुनवों से तुलना करें तो 2019 में जेएमएम के लोबिन को 77,365 वोट मिले थे। वहीं बीजेपी के सूर्य नारायण हांसदा को 26,823 वोट मिले थे। वहीं आजसू के ताला मरांडी को 8,955 वोट मिले थे। बात करें 2014 की तो ताला मरांडी विजयी हुए थे लोबिन दूसरे सूर्य नारायण हांसदा तीसरे स्थान पर थे। यहां एक फैक्टर है जो काम कर रही है। कि बीजेपी और आजसू के पारंपरिक वोटर कहीं विचलित नहीं हो रहें इस सीट पर विचलन जेएमएम के वोटरों में है। वहीं लोबिन को जेएमएम का चेहरा मामने वाले उनके वोटर अब बीजेपी के पर्चे पर भी लोबिन के साथ आ सकते हैं। वहीं धनंजय सोरेन एकदम नया और युवा चेहरा है। वोटरो को धनंजय सोरेन कितना साध सकेंगे ये देखने वाली बात होगी।