भारत की राजनीति में इन दिनों सिर्फ एक ही बवाल चल रहा है। यह बवाल शब्दों का है। कांग्रेस पर मनमोहन सिंह के रूप में मौन से प्रधानमंत्री देने का आरोप लगाती भाजपा के बनाए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर, अब यही आरोप विपक्ष लगा रहा है। विपक्ष का कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी यूं तो बोलते रहते हैं, लेकिन मुद्दों की बात नहीं करते हैं। प्रधानमंत्री से मुद्दे पर बुलवाने के लिए, कांग्रेस ने लोकसभा के मानसून सत्र में अविश्वास प्रस्ताव भी ला दिया। इस प्रस्ताव पर तीन दिनों तक चर्चा हुई। प्रधानमंत्री को आखिरी दिन बोलना था और वे बोले भी। मणिपुर के मुद्दे पर आए इस प्रस्ताव पर पीएम मोदी लोकसभा में क्या बोले, कितना बोले, कैसे बोले सबकुछ उनके बोलने के साथ ही, वायरल हो गया। एक दिन पहले कांग्रेस की ओर से राहुल गांधी और सरकार की ओर से बोले गृह मंत्री अमित शाह की बातें भी खूब सुनी गईं। लेकिन पीएम मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और कांग्रेस नेता राहुल गांधी की बातें संसद से लेकर अलग अलग मुद्दों पर हम सभी सुनते ही रहते हैं। लेकिन इस पूरी चर्चा के दौरान कुछ ऐसे भी सांसद ‘हीरो’ बन गए, जो यदा-कदा ही ऐसा बोलते सुने जाते हैं।
गौरव गोगोई ने चुन-चुन कर हमले किए
सबसे पहला नाम आता है उस नेता का, जिसने अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दिया था। असम की कलियाबोर लोकसभा सीट से 2014 में पहली बार संसद पहुंचे गौरव गोगोई, 2019 में भी सांसद चुने गए। 40 वर्ष के गौरव गोगोई ने वैसे तो अपनी पढ़ाई न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी से भी की है। लेकिन उनकी राजनीतिक शिक्षा निश्चित तौर पर उनके घर में हुई होगी। क्योंकि उनके पिता तरुण गोगोई 15 साल तक असम के मुख्यमंत्री रहे थे। इस बार मणिपुर के मुद्दे पर उनके ही नोटिस के बाद अविश्वास प्रस्ताव आया। प्रस्ताव की ओपनिंग भाषण का जिम्मा संभालते हुए गौरव गोगोई खूब बोले। गौरव गोगोई ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से सवाल पूछा कि वह अभी तक मणिपुर क्यों नहीं गए, जबकि राहुल गांधी, गृहमंत्री अमित शाह समेत कई नेता वहां के हालातों का जायजा लेने के लिए दौरा कर चुके हैं। गोगोई ने कहा कि पीएम मोदी को मणिपुर हिंसा पर बात करने में 80 दिन लग गए और वो भी सिर्फ 20 सेकेंड के लिए बोले। विपक्षी गठबंधन INDIA पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की टिप्पणी का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि आप इंडियन मुदाहिद्दीन पर बात करते हैं और हम इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी की बात करते हैं।
निशिकांत ने सेट-भेंट की बात कर दिया नया नारा
जोरदार भाषण देने वालों में दूसरा नाम आता है झारखंड की गोड्डा सीट से लोकसभा सांसद निशिकांत दूबे का। भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने अपने भाषण में इस बार भाजपा के लिए नया नारा दे दिया, जिससे वे कांग्रेस पर हमला कर सकते हैं। उन्होंने सीधे-सीधे सोनिया गांधी पर निशाना साधते हुए ये कहा दिया कि सोनिया गांधी को सिर्फ दो काम करना है। “पहले बेटे को सेट करना है और दामाद को भेंट करना है।” लेकिन असली बवाल तब हुआ जब उन्होंने जदयू पर एक बड़ा आरोप लगाया। जिसपर जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष व सांसद ललन सिंह भी भड़क उठे। निशिकांत दुबे ने कहा कि जदयू को सबसे अधिक फंड उपलब्ध कराने वालों में वो शामिल रहे हैं। साथ ही नीतीश कुमार को सीएम बनवाने में भी उनका प्रयास महत्वपूर्ण रहा था। इस पर ललन सिंह भी मांग करने लगे कि निशिकांत दूबे सदन को बताएं कि उन्होंने किससे फंड दिलवाया था।
राहुल गांधी के चरित्र पर स्मृति ने उठाया सवाल
अविश्वास प्रस्ताव के दूसरे दिन ओपनिंग के लिए उतरे राहुल गांधी और उनका जवाब दिया अमेठी सीट पर पिछले चुनाव में उन्हें हराने वाली स्मृति ईरानी ने। राहुल गांधी के भाषण का रेफरेंस देते हुए स्मृति ने कहा कि मणिपुर खंडित नहीं, भारत का अभिन्न अंग है। मणिपुर न खंडित है, न था और न होगा। लेकिन ‘भारत माता की हत्या पर संसद में ताली क्यों बज रही हैं? कांग्रेसियों ने मां की ह’त्या के लिए मेज थपथपाई। स्मृति ईरानी ने राहुल गांधी के चरित्र पर सवाल उठाते हुए आरोप लगाया कि अपना भाषण खत्म कर संसद से बाहर जाते समय राहुल गांधी ने महिला सांसदों को लक्ष्य करके फ्लाइंग किस के इशारे किए। उन्होंने कहा कि उन्होंने राहुल गांधी पर असभ्य व्यवहार करने का आरोप लगाया। साथ ही ये भी कहा कि उन्होंने उस संसद में फ्लाइंग किस उछाला, जिस संसद में महिला भी बैठी हुई हैं। ऐसा व्यवहार सिर्फ एक मिसॉजिनिस्ट व्यक्ति ही कर सकता है।
ललन की साफगोई में नीतीश के पलटने की कहानी
अगला नाम है ललन सिंह का। जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह संसद की मानसून सत्र में अलग ही रंग में दिखे। कभी वो भाजपा सांसदों को अपने अंदाज में डपटते दिखे, तो कभी सीधा गृह मंत्री और प्रधानमंत्री पर निशाना साधते। उन्होंने कहा कि “2022 में 9 अगस्त को जबसे महागठबंधन हुआ है कि तब से इन सबको खुजली हो गई है। 2015 के चुनाव में गृहमंत्री अमित शाह ने बिहार में तीन महीना कैंप किया था। प्रधानमंत्री मोदी ने एक राज्य के चुनाव में रिकॉर्ड 43 जनसभा किए थे। लेकिन बीजेपी को सीट आया 52। ललन ने कहा कि “जब लालू यादव के परिवार पर छापा मारा तो 2017 में हमारा गठबंधन टूट गया। 2017 से 2022 तक कुछ नहीं हुआ, इनके तीनों पालतू तोते शांत हो गए। लेकिन जैसे ही 2022 में हमारा फिर से गठबंधन हुआ, तीनों तोते फिर से चालू हो गए। अब तीनों तोते लगातार दौरा कर रहे हैं, छापा मार रहे हैं। छापा मारते रहो, बिहार का 40 में 40 सीट हारोगे।”
नीतीश-लालू-तेजस्वी सबको रामकृपाल ने घेरा
ललन सिंह को जवाब देने उठे रामकृपाल यादव ने तो ऐसा कह दिया कि पूरे सदन की कार्यवाही ही थम गई। रामकृपाल यादव ने जदयू सांसदों पर तंज कसते हुए कहा कि – “अरे ललन जी ने डांट के भगा दिया। जाओ नहीं तो नौकरी खत्म हो जाएगी। ये सब नौकरी करने वाले लोग हैं। अपना कोई अस्तित्व है क्या। ये इशारे पर चलने वाले लोग हैं। ये डांट खाने वाले लोग हैं। ये गुलाम लोग हैं।” किसी सांसद ने जब बीच में ये कहा कि आप भी तो पहले लालू यादव के गुलाम थे। इसपर रामकृपाल यादव ने जवाब देते हुए कहा कि वो सामाजिक न्याय वाले लालू यादव के साथ थे जो जब पारिवारिक न्याय वाले हो गए तो साथ छोड़ दिया। साथ ही तेजस्वी यादव पर हमला करते हुए कहा कि पहली कैबिनेट में दस लाख नौकरी देने वाले का पेन खो गया है क्या, कि नौकरी नहीं दे पा रहे हैं।
चिराग के दावे से सकते में बिहार की राजनीति
बिहार में नीतीश कुमार की मजम्म्त और केंद्र में मोदी सरकार की तारीफ करते कभी नहीं थकने वाले बिहार की जमुई सीट से सांसद चिराग पासवान ने लोकसभा में मोदी सरकार के खिलाफ आए अविश्वास प्रस्ताव पर मोदी सरकार की तारीफ करते हुए बिहार के सीएम नीतीश कुमार पर हमला किया। उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार को बिहार की जनता ने रिजेक्ट कर दिया है, तो उन्हें देश की जनता कैसे अपनाएगी। 2018 में विपक्षी दल यही बात कर रहे थे, 2019 में हमें 2014 से बड़ा जनादेश मिला। 2023 में फिर यही हो रहा है, 2024 में हम सबसे बड़ा जनादेश लेकर आएंगे। बिहार की तो 40 की 40 सीटें एनडीए को ही मिलेंगी।
महुआ का ज्ञान – सब्जियां हिंदू, बकरा मुसलमान
अविश्वास प्रस्ताव के दौरान मोइत्रा को कैसे भूल सकते हैं। महुआ मोइत्रा ने जोरदार भाषण दिया और कहा कि “PM आखिरी दिन आएंगे और बस सबकी धज्जियां उड़ाकर जाएंगे।’ महुआ ने कहा कि मणिपुर का मामला अलग है। यह एक समुदाय के खिलाफ हेट क्राइम का मामला है। इस तरह का सिविल वॉर हाल के समय में भारत में कहीं नहीं देखा गया। 6500 एफआईआर तीन महीने में हुई। 60,000 लोग विस्थापित हुए। ऐसा कहीं नहीं हुआ। मणिपुर पर सरकार पर बरसते हुए महुआ ने मोदी सरकार पर देश को बांटने का आरोप शायराना अंदाज में लगाया। उन्होंने कहा कि
नफरतों की जंग में आप देखो क्या हो गया?
सब्जियां हिंदू हुई, बकरा मुसलमान हो गया
न NDA में न I.N.D.I.A. में, ओवैसी के निशाने पर सभी
एक और नेता हैं असदुद्दीन ओवैसी। गठबंधन की बात करें तो ओवैसी न NDA में हैं और न ही I.N.D.I.A. में। बैरिस्टर की डिग्री लेने वाले ओवैसी तो हमेशा से ही अपने तर्कों से विरोधियों को बगलें झांकने पर मजबूर करते रहे हैं। शायराना अंदाज में ओवैसी ने हरियाणा और मणिपुर सीएम पर हमले करते हुए कहा कि “कुर्सी है, तुम्हारा जनाजा तो नहीं.. कुछ नहीं कर सकते तो उतर क्यों नहीं जाते?” उन्होंने कहा कि इस देश में किस तरह का माहौल पैदा किया जा रहा है? क्या बिलकिस बानो देश की बेटी नहीं है? उस प्रेग्नेंट महिला का रेप किया गया और रेपिस्टों को रिहा कर दिया जाता है। समस्या बॉर्डर पर नहीं, दिल्ली में है। एक तरफ चौकीदार बैठा है तो दूसरी तरफ दुकानदार। साथ ही यह भी कहा कि पाकिस्तान में कुलभूषण जाधव सालों से बंद है लेकिन मोदी सरकार उसे भूल चुकी है। एक साल से कई अफसर बंद है, सरकार उन्हें भी भूल चुकी है। ओवैसी ने हरियाणा हिंसा का मुद्दा भी उठाया और आरोप लगाया कि नूंह में मुसलमानों को निशाना बनाया जा रहा है।
बदले हालात में सिंधिया ने वहीं हमले किए, जहां कभी उनका घर था
अविश्वास प्रस्ताव के तीसरे और आखिरी दिन केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया का भी भाषण हुआ। सिंधिया के बारे में सबसे पहले यह बताना जरुरी है कि 2018 में जब विपक्ष की ओर से आए अविश्वास प्रस्ताव के दौरान राहुल गांधी मोदी सरकार को घेर रहे थे। तो उस वक्त सिंधिया, राहुल गांधी की बगल में बैठकर उन्हें उत्साहित कर रहे थे। खैर, अब बात और हवा दोनों बदल चुकी है। सिंधिया भी बदल चुके हैं। कांग्रेसी सिंधिया भाजपाई हो चुके हैं। इस बार अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस से सवाल करते हुए कहा कि कहा कि ये लोग जिस मौन व्रत की बात कर रहे हैं, तब कहां थे जब 1993 में मणिपुर में 750 लोगों की हत्या कर दी गई। 2011 से मनमोहन सिंह मौन क्यों थे? विपक्ष पर हमला बोलते हुए ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा कि मणिपुर में जो हुआ वो निंदनीय है। लेकिन, कश्मीर में जब कत्लेआम हुआ तब ये क्यों मौन थे? जब बंगाल हिंसा की आग में जल रहा था तो ये मौन क्यों थे? राहुल गांधी पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि भारत को अलग-अलग टुकड़ों में देखने की विचारधारा आपकी है, हमारी नहीं। वे (कांग्रेस) कहते हैं नफरत की दुकान में मोहब्बत की दुकान लाएंगे। इनकी दुकान भ्रष्टाचार, झूठ, तुष्टिकरण, अहंकार की दुकान है। यह केवल दुकान का नाम बदलते हैं लेकिन सामान वही रहता है।