बिहार में छह मंत्रियों को 8 जिलों में नया प्रभारी बनाया गया है। सीएम नीतीश कुमार से इस पर मुहर लगने के बाद मंत्रिमंडल सचिवालय ने इसकी अधिसूचना जारी कर दी। वैसे तो यह एक रुटीन ट्रांसफर भी माना जा सकता है। लेकिन प्रभारी मंत्रियों के नाम, पहचान और जिलों पर गौर करेंगे, तो इस ट्रांसफर का लोकसभा चुनाव कनेक्शन स्पष्ट हो जा रहा है। इस अधिसूचना में सबसे खास बात यह है कि इसमें शामिल सभी छह मंत्री जदयू के हैं। साथ ही सभी मंत्री सीएम नीतीश कुमार के विश्वस्त भी हैं। इसके अलावा जिन जिलों का प्रभारी इन नए मंत्रियों को बनाया गया है, उनका विशेष लगाव भी सीएम नीतीश कुमार से रहा है।
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इन्हें मिली है जिम्मेदारी
- विजय कुमार चौधरी : पूर्णिया व नालंदा
- बिजेन्द्र प्रसाद यादव : वैशाली
- अशोक चौधरी : जमुई व सीतामढ़ी
- शीला कुमारी : लखीसराय व शेखपुरा
- जयंतराज : रोहतास
- मो. जमा खान : किशनगंज
विजय कुमार चौधरी पर विशेष भरोसा
सीएम नीतीश कुमार और मंत्री विजय कुमार चौधरी के नजदीकी रिश्तों की बात आम है। इसके अलावा भले ही डिप्टी सीएम का पद नीतीश कुमार ने तेजस्वी यादव को दिया है, लेकिन वित्त विभाग जैसा पद जदयू ने अपने पास रखा है और विजय कुमार चौधरी को ही उसका मंत्री बनाया गया है। अब नीतीश कुमार ने विजय कुमार चौधरी को पूर्णिया और नालंदा का जिला कार्यक्रम कार्यान्वयन समिति के प्रभारी मंत्री सह अध्यक्ष बनाया है। इन दोनों जिलों की लोकसभा सीटें अभी जदयू के पास ही हैं। नालंदा में इस बार संभावना है कि आरसीपी सिंह भाजपा की ओर से जदयू को चुनौती देंगे तो पूर्णिया में भी भाजपा, जदयू के लिए मुश्किलें बड़ी रखेगी। बताया जा रहा है कि इन्हीं दोनों सीटों पर मजबूत स्थिति बनाए रखने के लिए भी विजय कुमार चौधरी को इन जिलों का प्रभार दिया गया है।
सबसे वरिष्ठ मंत्री को वैशाली का जिम्मा
नीतीश मंत्रिमंडल में सबसे वरिष्ठ मंत्री बिजेंद्र प्रसाद यादव को वैशाली जिले की जिम्मेदारी दी गई है। इस जिले के अंतर्गत आने वाली सीट पर अभी लोजपा (पारस गुट) की वीणा देवी सांसद हैं, जो जदयू विधान पार्षद दिनेश सिंह की पत्नी हैं। 2024 में समीकरण क्या होंगे, यह तो आने वाला वक्त बताएगा। लेकिन जदयू इस सीट पर भी अपना पूरा जोर लगाने का प्रयास करेगा। राजद के लिए वहां स्कोप कम ही है। क्योंकि रघुवंश प्रसाद सिंह के निधन के बाद राजद के पास मजबूत दावेदार की अभी कमी है। रघुवंश प्रसाद सिंह के बेटे भी जदयू में ही शामिल हो चुके हैं। ऐसे में जदयू ने अपनी फील्डिंग मजबूत रखने के लिए कई कदम उठाए हैं।
अशोक चौधरी पर भी पूरा भरोसा
पिछले कुछ हफ्तों में बिहार सरकार के भवन निर्माण मंत्री अशोक चौधरी खासे आक्रामक हैं। सीएम नीतीश से उनकी करीबी जगजाहिर है। 2017 में जब नीतीश कुमार ने महागठबंधन से अलगाव का फैसला लिया था तब अशोक चौधरी कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष थे। लेकिन अशोक चौधरी ने कांग्रेस पार्टी छोड़ नीतीश की पार्टी जदयू ज्वाइन कर ली। बाद में नीतीश कुमार ने उन्हें मंत्री बनाए रखा। एक वक्त में जदयू का प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष भी बनाया था। अब अशोक चौधरी को जमुई और सीतामढ़ी की जिम्मेदारी दी गई है। जमुई से चिराग पासवान सांसद हैं। जबकि सीतामढ़ी में 2019 के चुनाव के वक्त जदयू उम्मीदवार के टिकट वापस कर देने के कारण भाजपा के पूर्व विधायक सुनील कुमार पिंटू को जदयू से टिकट दिया गया था। जीत जदयू की ही हुई थी। अब अशोक चौधरी जैसे वरिष्ठ मंत्री को जमुई और सीतामढ़ी का प्रभार देने से वहां के जदयू कार्यकर्ताओं का उत्साह बढ़ सकता है।
शीला, जयंत, जमां खान पर भी जिम्मेदारी
इसके अलावा बिहार सरकार में परिवहन मंत्री शीला कुमारी, ग्रामीण कार्य विभाग के मंत्री जयंत राज और अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री मो. जमां खान पर भी भरोसा जताया गया है। शीला कुमारी को लखीसराय व शेखपुरा, जयंतराज को रोहतास और मो. जमा खान को किशनगंज का प्रभारी बनाया गया है।