देश के 5 राज्यों में विधानसभा चुनाव की प्रक्रिया चल रही है। शेड्यूल घोषित हो चुका है। चुनाव से पहले उम्मीद थी कि लड़ाई सीधे NDA और I.N.D.I.A. के बीच होगी। लेकिन ऐसा हो नहीं रहा है। क्योंकि मोदी सरकार को हटाने का संकल्प ले चुकी कई क्षेत्रीय दल राज्यों के विधानसभा चुनावों में अपनी महत्वकांक्षा छुपा नहीं पाए। जहां चुनाव होना है, उनमें बड़े राज्य मध्य प्रदेश और राजस्थान हैं। दोनों ही राज्यों में क्षेत्रीय दलों ने गठबंधन धर्म को किनारे लगाकर दोनों गठबंधनों को मुश्किल में डाल दिया है। संयोग यह है कि राजस्थान और मध्य प्रदेश दोनों राज्यों में राष्ट्रीय दल भाजपा और कांग्रेस के बीच ही टक्कर रही है। लेकिन इस बार इन दोनों के नेतृत्व वाले गठबंधन में शामिल क्षेत्रीय दलों के उम्मीदवार उतारने से मामला फिसल रहा है।
मध्य प्रदेश में नीतीश-अखिलेश ने बढ़ाई मुश्किल
बात मध्य प्रदेश के विधानसभा के चुनाव की करें तो वहां कांग्रेस भाजपा को हटाने के लिए खुद पर सबसे अधिक भरोसा कर रही है। यही कारण है कि यूपी से सटे होने के बाद भी यूपी में I.N.D.I.A. के सहयोगी अखिलेश यादव की पार्टी के साथ विधानसभा चुनाव में कोई गठबंधन नहीं किया। लेकिन अखिलेश यादव ने भी कांग्रेस को वॉकओवर नहीं देकर अपने प्रत्याशी उतार दिए। वहीं पिछले चुनाव में मध्य प्रदेश में कोई उम्मीदवार नहीं उतारने वाली नीतीश कुमार की पार्टी जदयू ने भी इस बार अब तक 10 उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है। ऐसे में मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में I.N.D.I.A. बिखरा दिख रहा है। इससे पहले आम आदमी पार्टी पहले ही चुनावी मैदान में जोर आजमाइश कर रही है।
राजस्थान में एनडीए को चिराग का झटका
अगर मध्य प्रदेश में कांग्रेस I.N.D.I.A. के अपने सहयोगी दलों से परेशान है तो भाजपा के लिए परेशानी राजस्थान में हैं। राजस्थान में सत्ता बदलने का रिवाज पहले से चलता आ रहा है। इस कारण भाजपा पहले से उत्साहित है। लेकिन उसके उत्साह पर पानी फेरने के लिए एनडीए में उसके तीन सहयोगियों ने उम्मीदवार उतार दिए हैं। हरियाणा में भाजपा की सहयोगी जेजेपी ने पहले से उम्मीदवार उतारे थे। उसके बाद चिराग पासवान ने भी नरेंद्र मोदी को झटका दे दिया है। चिराग की पार्टी ने राजस्थान के 12 सीटों पर उम्मीदवार उतारे हैं। भाजपा की तीसरी परेशानी शिवसेना शिंदे गुट है, जिसने राजस्थान की उदयपुर वाटी सीट पर अपना उम्मीदवार उतारा है।