बिहार की महाराजगंज लोकसभा सीट उन सीटों में से है, जो इस चुनाव में चर्चित हैं। भाजपा ने पिछले दो चुनाव जीते अपने सांसद जनार्दन सिंह सिग्रीवाल को ही कैप्टन बनाया है। लेकिन महागठबंधन की ओर से कांग्रेस ने खेल पलटने के लिए युवा आकाश सिंह को कप्तान बनाया है, जो कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश सिंह के बेटे हैं। वैसे महाराजगंज सीट का इतिहास ऐसा है जिसने इस बार यहां लड़ाई को रोचक बना दिया है। आमतौर पर महाराजगंज में लड़ाई या तो राजपूत वर्सेस राजपूत होती है या फिर राजपूत वर्सेस भूमिहार। बीते तीन दशकों में सिर्फ एक भूमिहार उम्मीदवार को सफलता मिली है। जबकि इस सीट पर उपचुनाव समेत कुल 18 लोकसभा चुनाव हुए हैं। इसमें भूमिहार उम्मीदवार सिर्फ 4 बार जीते हैं। शेष 14 बार राजपूत सांसद चुने गए हैं। इस बार लड़ाई राजपूत वर्सेस भूमिहार की है, जिसके लिए मतदान 25 मई को होने वाला है।
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कांग्रेस ने 5 बार जीती है यह सीट
महाराजगंज लोकसभा सीट पर कांग्रेस ने पांच बार जीत दर्ज की है। 1957 में महेंद्र नाथ सिंह, 1962 में कृष्णकांत सिंह और 1967 में मृत्युंजय प्रसाद ने कांग्रेस के टिकट पर जीत दर्ज की। इसके बाद कांग्रेस 2 चुनाव हारी। इसके बाद कृष्ण प्रताप सिंह 1980 और 1984 में जीते। 1984 के चुनाव के बाद कांग्रेस इस सीट पर कभी जीत नहीं सकी है।
4 बार भूमिहार उम्मीदवार जीते
इस सीट पर दो उपचुनाव समेत 18 लोकसभा चुनाव हुए हैं। इसमें 4 बार भूमिहार उम्मीदवार जीते हैं। 1962 में इस सीट पर दूसरा लोकसभा चुनाव हुआ, जिसमें कांग्रेस के कृष्णकांत सिंह जीते। वे भूमिहार जाति से थे। इसके बाद 1971 और 1977 में रामदेव सिंह जीते, वे भी भूमिहार थे। रामदेव सिंह एक बार संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी से जीते, जबकि दूसरी बार जनता पार्टी से। इसके बाद इस सीट पर आखिरी भूमिहार सांसद गिरिजा देवी 1991 में जीतीं। वे जनता दल से जीतीं थी। तब से अब तक कोई भूमिहार नहीं जीता। हालांकि बिहार सरकार के पूर्व मंत्री पीके शाही जैसे भूमिहार नेताओं ने प्रयास जरुर किया है।
महाराजगंज में भाजपा ने पहली बार 2014 में एंट्री मारी
महाराजगंज लोकसभा सीट पर भाजपा को पहली बार प्रत्याशी उतारने का मौका 2014 में तब मिला जब नीतीश कुमार एनडीए से अलग हो गए थे। तब भाजपा ने पूर्व मंत्री जनार्दन सिंह सिग्रीवाल को उतारा और वे प्रभुनाथ सिंह को सिर्फ 38 हजार वोटों से हराते हुए बिहार विधानसभा से संसद पहुंच गए। इसके बाद 2019 में नीतीश एनडीए में लौटे, तब भी भाजपा ने इस सीट से कब्जा नहीं छोड़ा। सिग्रीवाल ने 2019 में जीत के अंतर को प्रभुनाथ सिंह के बेटे के सामने 2.30 लाख कर दिया।
सिग्रीवाल वर्सेस आकाश में मुकाबला कड़ा
2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा और कांग्रेस में ही मुख्य मुकाबला दिख रहा है। भाजपा उम्मीदवार सिग्रीवाल के पक्ष में यह है कि इस सीट पर उनके पुराने विरोधी प्रभुनाथ परिवार की जदयू में एंट्री हो गई है यानि उन्हें प्रभुनाथ सिंह एंड फैमिली का विरोध नहीं झेलना होगा। जबकि एमएलसी सच्चिदानंद राय जो भूमिहार हैं, वे भी पीएम मोदी के नाम पर सिग्रीवाल के पक्ष में आ गए हैं। जबकि कांग्रेस उम्मीदवार आकाश के लिए मजबूत पक्ष यह है कि महाराजगंज लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले 6 विधानसभा क्षेत्रों में से 4 में अभी महागठबंधन के विधायक हैं। इसमें महाराजगंज से विजय शंकर दूबे, एकमा से श्रीकांत यादव, मांझी से सत्येंद्र यादव और बनियापुर से केदार नाथ सिंह महागठबंधन के विधायक हैं।