महाशिवरात्रि का पावन महापर्व हिंदी पंचांग के अनुसार हर वर्ष फाल्गुन मास की चतुर्दशी तिथि के दिन मनाया जाता है। इस बार महाशिवरात्रि का व्रत 8 मार्च शुक्रवार के दिन रखा जायेगा। हिन्दू सनातन धर्म में इस व्रत और महापर्व का अतिविशेष महत्व है। विशेषतः भगवान शिव के भक्तों के लिए यह दिन बहुत ही खास होता है। दरअसल, इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था। इस बार महाशिवरात्रि पर शिव योग, सर्वार्थ सिद्धि योग और चतुर्ग्रही योग का दुर्लभ संयोग बन रहा है।
कब से कब तक रहेगा भगवान शिव की उपासना के लिए शुभ मुहूर्त-
इस त्रयोदशी तिथि सूर्योदय से लेकर रात में 9 बजकर 58 मिनट तक रहेगी। इसके बाद चतुर्दशी तिथि का आरंभ होगा। जबकि चतुर्दशी तिथि का समापन 9 तारीख को शाम 6 बजकर 16 मिनट पर होगा। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जिस रात मध्यकाल में त्रयोदशी उपरांत चतुर्दशी तिथि लगती है। उस दिन महाशिवरात्रि का व्रत रखा जाता है। इस दिन नियम अनुसार, 9 तारीख को पूरे दिन चतुर्दशी तिथि होने के बाद भी 8 तारीख को मध्यकाल में चतुर्दशी तिथि होने से 8 मार्च को ही महाशिवरात्रि का व्रत रखा जाएगा।महाशिवरात्रि पर 8 मार्च को सुबह 10 बजकर 41 मिनट तक श्रवण नक्षत्र रहेगा। इसके उपरांत धनिष्ठा नक्षत्र का प्रभाव रहेगा। ऐसे में संध्याकालिन पूजा उनके लिए चतुर्दशी तिथि में रात 9 बजकर 58 मिनट से शिवजी का पूजन अभिषेक करना उत्तम रहेगा। दिन के समय में यदि सुबह 6 बजकर 38 मिनट से लेकर 11 बजकर 3 मिनट तक का समय शुभ रहेगा। इसके बाद दोपहर में 12 बजकर 32 मिनट से 2 बजे तक का समय पूजा के लिए अच्छा है। प्रदोष काल में 4 बजकर 57 मिनट से 6 बजकर 25 मिनट तक का समय पूजा के लिए उत्तम रहेगा।
महाशिवरात्रि का महत्व, क्यों और किसके लिए-
महाशिवरात्रि को बहुत ही महत्वपूर्ण त्योहार में से एक माना जाता है। इसलिए इस दिन भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए खास पूजा अर्चना की जाती है। वैसे तो सभी के लिए महाशिवरात्रि का व्रत शुभ माना जाता है लेकिन, महिलाओं के लिए यह व्रत उत्तम फलदायी है। ऐसी मान्यता है कि इस व्रत को करने से जिनका विवाह नहीं हो रहा होता है उनका विवाह जल्दी हो जाता है। वहीं, महाशिवरात्रि की रात भर जागरण करने और चारों प्रहर की पूजा करने से शिवजी अपने भक्तों की सारी मनोकामनाएं पूरी करते हैं।