विपक्षी दलों ने INDIA के नाम से अलायंस तो बना लिया, लेकिन एकजुटता और एकता अभी भी सवालों के घेरे में है। बड़ा सवाल ममता बनर्जी को लेकर है क्योंकि उनके मूव और मूवमेंट INDIA के दलों की परेशानी बढ़ा सकते हैं। एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार ममता बनर्जी INDIA से बाहर निकलने का बहाना ढूंढ़ सकती है। इसकी बानगी मुंबई में हुई गठबंधन की बैठक में दिखी भी। दरअसल, ममता बनर्जी का स्टैंड इस गठबंधन को लेकर साफ है कि वे उन्हीं मुद्दों पर गठबंधन में हैं, जो उनको सूट करती हैं। मीडिया रिपोर्ट में यह बताया गया है कि जातिगत जनगणना को लेकर सामूहिक प्रस्ताव पर गठबंधन के अन्य दलों में सहमति थी लेकिन टीएमसी ने इससे किनारा कर लिया। लिहाजा मुंबई की बैठक में यह प्रस्ताव नहीं लाया गया। 5 सितंबर को मल्लिकार्जुन खड़गे के घर पर INDIA की मीटिंग में भी ममता बनर्जी की पार्टी के सांसद डेरेक ओ ब्रायन के विरोध के कारण जातिगत जनगणना पर प्रस्ताव पास नहीं हो पाया। वहीं, अलग अलग दलों के समीकरणों के आधार पर एक बार फिर तीसरे मोर्चे की गुंजाइश भी दिख रही है, जिसमें ममता का साथ अरविंद केजरीवाल और चंद्रशेखर राव जैसे नेता दे सकते हैं।
प्रशांत किशोर की एंट्री से बनेगा तीसरा मोर्चा?
दरअसल, मीडिया रिपोर्ट में दावा किया गया है कि पिछले दिनों प्रशांत किशोर और ममता बनर्जी के बीच बात हुई है। इस बातचीत के बाद से ही परिस्थितियां बदलने लगी हैं। INDIA में शामिल दलों के बीच की आपसी खींचतान अभी भी पूरी तरह थमी नहीं है। पटना की बैठक में केजरीवाल नाराज हुए। तो बेंगलुरु की बैठक में नीतीश कुमार। मुंबई की बैठक के बाद की प्रेस कांफ्रेंस से ममता गायब रहीं। दूसरी ओर ममता को लेफ्ट से दिक्कत है तो केजरीवाल को कांग्रेस से। ऐसे में यह दिक्कतें दूर नहीं हुई तो तीसरे मोर्चे की गुंजाइश पर भी सोच विचार चलने लगा है।
तीसरा मोर्चा बना तो राव भी होंगे शामिल!
विपक्षी एकजुटता की दो कोशिशें इस साल हुई हैं। पहली कोशिश तेलंगाना सीएम केसीआर ने की। इसमें भी बड़े दल शामिल हुए थे। जबकि दूसरी कोशिश नीतीश कुमार की ओर से शुरू हुई, जो INDIA के गठन तक पहुंची है। ऐसे में चर्चा यह है कि अगर कांग्रेस और केजरीवाल में नहीं बनती है और ममता-लेफ्ट में बातें नहीं सुलझती तो तीसरा मोर्चा बनना तय है। अब तीसरे मोर्चे में ये दो दल तीन राज्य तो कवर कर लेंगे लेकिन बाकि राज्यों को कवर करने के लिए अन्य दलों से भी गठबंधन होगा। इसमें केसीआर की गुंजाइश बन जाती है। क्योंकि केसीआर की शर्त ही है कि भाजपा और कांग्रेस से समान दूरी उन्हें रखनी है। वैसे इसी शर्त को आधार मानें तो मायावती भी इसी गठबंधन का हिस्सा हो सकती हैं। हालांकि अभी सबकुछ पर्दे के पीछे है।
सीट बंटवारे पर ही सब निर्भर
दरअसल, INDIA में जो मामला फंसा हुआ है वो सीटों के बंटवारे पर फैसला नहीं होने के कारण है। गठबंधन के कई दल सीटों का बंटवारा जल्दी चाहते हैं। नीतीश कुमार तो कई बार यह बात कह चुके हैं। केजरीवाल ने 30 सितंबर की डेडलाइन दे दी है। तो ममता बनर्जी ने फॉर्मेट दे दिया है कि वे बंगाल में कोई स्पेस किसी दूसरे दल को नहीं देना चाहतीं। ऐसे में सीट बंटवारे पर सबकी रजामंदी नहीं हुई तो INDIA का मामला उलझ जाएगा। ममता का स्टैंड साफ है कि उन्हें गठबंधन में अगर रहना है तो इसके लिए वे बंगाल की राजनीति में कॉम्प्रोमाइज नहीं करेंगी।
ममता-केजरीवाल हटे तो तीसरे मोर्चे का समीकरण
अगर ममता बनर्जी और अरविंद केजरीवाल INDIA से हट जाते हैं तो INDIA के पक्ष में अभी तक जितनी हवा बनी है, उसमें बड़ा डेंट लग जाएगा। ममता बनर्जी 42 लोकसभा सीटों वाले पश्चिम बंगाल में प्रभावी हैं तो अरविंद केजरीवाल 13 सीटों वाले पंजाब और 7 सीटों वाली दिल्ली पर। केसीआर 17 सीटों वाले तेलंगाना में प्रभावी हैं। ऐसे में मायावती या ऐसे किसी दूसरे दल का साथ मिल जाता है तो तीसरा मोर्चा भी ऑन पेपर प्रभावी दिख सकता है। वैसे आगे क्या होगा, यह तो अभी छुपी हुई बात है।