कोलकाता में सोमवार का दिन अच्छी-खासी राजनीतिक सुर्खियां दे गया। पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी के साथ बिहार के सीएम नीतीश कुमार की मुलाकात हुई। इस बैठक से दोनों राज्यों के बीच किसी एमओयू की बात तो सामने नहीं आई लेकिन दोनों नेताओं की पार्टियों के भविष्य में साथ मिलकर चुनाव लड़ने की संभावना पर चर्चा हुई। नीतीश कुमार के साथ बिहार के डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव भी थे। तीनों ने साझा प्रेस कांफ्रेंस भी की। पहले बोलने का अवसर नीतीश कुमार को दिया गया। इसके बाद नीतीश के सत्कार में ममता ने टूटी-फूटी हिंदी में प्यार भरे बोल बरसाए। लेकिन इस दौरान ममता बनर्जी, उस जयप्रकाश नारायण की चर्चा भी कर गई, जिनके आंदोलन से निकल कर नीतीश कुमार राजनीति में आए। तो दूसरी ओर उसी जयप्रकाश नारायण का विरोध कर ममता बनर्जी राजनीति में आईं।
ममता से मिले नीतीश-तेजस्वी, भाजपा के खिलाफ आवाज बुलंद
ममता ने दिया नीतीश को ऑफर
बैठक के बाद हुई प्रेस कांफ्रेंस में ममता बनर्जी ने बताया कि उन्होंने नीतीश कुमार को बिहार में ऑल पार्टी मीटिंग आयोजित करने की बात कही है। उस मीटिंग के बाद आगे कैसे चलना होगा, तय किया जाएगा। ममता ने बिहार में मीटिंग की बात इसलिए कही क्योंकि उनका कहना था कि जयप्रकाश नारायण का मूवमेंट बिहार से हुआ था। इसलिए भाजपा के खिलाफ मूवमेंट भी बिहार से शुरू हो। लेकिन जिस जयप्रकाश मूवमेंट की बात ममता बनर्जी सोमवार को करती दिखीं, उसको लेकर उनकी राय अलग रही है। दरअसल, नीतीश और ममता दोनों ही जेपी मूवमेंट के कारण राजनीति में आए। नीतीश कुमार ने जेपी को अपना आदर्श माना और ममता बनर्जी ने जेपी के खिलाफ लड़ाई लड़ी।
जेपी के कारण की बोनट पर चढ़ गई थी ममता
ममता बनर्जी के राजनीतिक जीवन की शुरुआत कांग्रेस में हुई। कांग्रेस की सत्ता के खिलाफ जब जेपी मूवमेंट शुरू हुआ तो ममता एनएसयूआई की सदस्य थीं। बात 1975 की है। ममता 20 साल की थीं। उसी साल जेपी कोलकाता में एक विशालसभा को संबोधित करने वाले थे। शहर में जैसे ही उनका काफिला घुसा, कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने घेराबंदी शुरू कर दी। जेपी के समर्थन में भी लोग थे और विरोध में भी। इसी दौरान 20 साल की ममता बनर्जी भीड़ को चीरती हुई जेपी की कार के पास पहुंच गई। ममता ने एक पैर टायर पर रखा और उछलकर बोनट पर पहुंच गई।