लोकसभा चुनाव 2024 में होना है। लेकिन सत्ता में 8 साल से जमी भाजपा को अगले चुनाव में हर हाल में रोकने की कवायद जारी है। रोकने की तैयारी दो तरफा शुरू हुई है। कांग्रेस ने राहुल गांधी के नेतृत्व में कन्याकुमारी से पदयात्रा शुरू कर दी है। तो विपक्ष के अन्य दलों को एकजुट करने का भार सीएम नीतीश कुमार ने उठाया है। नीतीश कुमार ने तीन दिनों तक दिल्ली का दौरा किया है। इस दौरे में 2024 में भाजपा के विजयी रथ को रोकने के लिए ‘चक्रव्यूह’ की रचना में जुटे दिखे। इस दौरे में नीतीश कुमार की जो योजना दिखी है, उसे एक व्यूह की तरह देख सकते हैं। चक्रव्यूह भी कह सकते हैं। महाभारत के चक्रव्यूह के सात द्वार थे। नीतीश ने भी चक्रव्यूह की रचना के लिए सात द्वार बनाए हैं।
सात दलों के 10 नेताओं से मुलाकात
नीतीश कुमार तीन दिनों तक दिलों में रहे। इन तीन दिनों में सात अलग अलग दलों के नेताओं से नीतीश कुमार ने मुलाकात की। मुलाकात का प्रत्यक्ष मकसद यही था कि 2024 के चुनाव में विपक्षी दल एकजुट रहें। जितना हो सके, हर राज्य में भाजपा की सीटें कम की जा सकें। केंद्र की सत्ता से भाजपा को बाहर किया जा सके। पूरी कवायद में कुल 10 नेताओं से मिले नीतीश ने व्यूह रचना पर चर्चा की।
शरद से भी मुलाकात
विपक्ष के अलग अलग नेताओं के अलावा नीतीश कुमार की मुलाकात शरद यादव से भी हुई। शरद यादव से मुलाकात खास है। शरद अभी राजद का हिस्सा बन चुके हैं। राजद और नीतीश की पार्टी जदयू सहयोगी दल हैं। दोनों की सत्ता है बिहार में। लेकिन कभी जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे शरद यादव को कुर्सी से हटाकर सीएम रहते हुए नीतीश कुमार ने पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष पद कब्जा किया था। इस बार जब भाजपा से मनमुटाव हुआ है तो नीतीश-शरद एक बार फिर करीब आए हैं।
राहुल से हुई मुलाकात की शुरुआत
दिल्ली दौरे पर गए नीतीश कुमार सबसे पहले कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी से मिले। नीतीश 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए विपक्ष को एकजुट करना चाहते हैं। पर वे इतना तो बिल्कुल समझते हैं कि देश में सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी कांग्रेस ही है। और यदि भाजपा को मात देना है तो बिना कांग्रेस के संभव नहीं है। नीतीश कुमार और राहुल गांधी के बीच मुलाकात करीब 50 मिनट तक चली। हालांकि दोनों के बीच क्या चर्चा हुई इसे लेकर नीतीश कुमार ने खुद कुछ भी नहीं बताया।
दक्षिण साधने का प्रयास
साउथ के राज्यों में भाजपा सबसे मजबूत कर्नाटक में है। मजबूत क्या वहां तो सरकार में भी है। लोकसभा के आंकड़े देखें तो 28 सीटों वाले कर्नाटक में भाजपा ने 2014 में 17 सीटें जीती थी, 2019 में सीटें 19 हो गईं। ऐसे में नीतीश कुमार ने भाजपा के इस दक्षिणी गढ़ कर्नाटक को साधने के लिए कुमारस्वामी से मुलाकात की है। नीतीश चाहते हैं कि कुमारस्वामी को बाकि लोग भी सपोर्ट करें, ताकि वहां से भाजपा कमजोर हो। दोनों के बीच करीब 45 मिनट तक मुलाकात हुई।
वामपंथियों को साथ लाने की कवायद
विपक्ष को एकजुट करने की अपनी मुहिम के दौरान नीतीश कुमार वामपंथी दलों का भी साथ चाहते हैं। उन्होंने सीताराम येचुरी, डी राजा के बाद दीपांकर भट्टाचार्या से भी मुलाकात की। वामपंथी दलों की सरकार अभी सिर्फ केरल में है। लेकिन नीतीश की कोशिश है कि पूरे देश में वामपंथी दल अलग रहकर सिर्फ लड़ें नहीं, बल्कि भाजपा के खिलाफ लड़ने वाली विपक्षी ताकतों को मजबूत करें।
केजरीवाल और नीतीश की मुलाकत
नीतीश कुमार दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से भी मिले। दोनों के बीच काफी देरी तक विपक्षी एकजुटता सहित कई मुद्दों पर चर्चा हुई। विपक्षी एकजुटता के अभियान में जुटे नीतीश कुमार के लिए अरविंद केजरीवाल को साथ लाना सबसे बड़ी चुनौती है। केजरीवाल का साथ आना भी जरुरी है। क्योंकि मौजूदा परिस्थितियों में भाजपा और कांग्रेस के अलावा केजरीवाल की आम आदमी पार्टी अकेली ऐसी पार्टी है, जिसकी सत्ता एक से अधिक राज्यों में है।
चौटाला से भी मिले नीतीश
हरियाणा भाजपा का गढ़ कभी नहीं था। लेकिन वहां के क्षेत्रीय दल और कांग्रेस दोनों को किनारे कर भाजपा पिछले दो चुनाव जीत रही है। अभी भी सरकार में है। नीतीश कुमार ने हरियाणा में भी भाजपा को हिलाने के प्रयास शुरू किए हैं। इसके लिए उन्होंने हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला से मुलाकात की। चौटाला सक्रिय राजनीति में तो नहीं हैं लेकिन उनकी मौजूदगी को शून्य नहीं मान सकते। कांग्रेस को तो मनाने का प्रयास नीतीश कर ही रहे हैं, लगे हाथ चौटाला को भी साथ लाने की कवायद नीतीश ने की है।
UP के बिना सब अधूरा
लोकसभा की सबसे अधिक 80 सीटें उत्तरप्रदेश में हैं। यहां पिछले दो चुनावों में भाजपा का प्रदर्शन शानदार रहा है। सहयोगी दलों के सीटों को छोड़ भी दें तो भी 2014 में भाजपा ने 71 और 2019 में 62 सीटें जीती थीं। अखिलेश यादव विधानसभा चुनाव में जीत तो नहीं सके, लेकिन अपनी सीटें बढ़वा लेने में उन्हें सफलता मिली। नीतीश की कोशिश है कि अखिलेश को भी साथ रखें ताकि उत्तरप्रदेश में जीत मिले न मिले, विपक्ष का सूपड़ा साफ न हो जाए। अखिलेश के साथ नीतीश कुमार ने मुलायम सिंह यादव से भी मुलाकात की।
शरद से भी हुई मुलाकात
नीतीश कुमार बुधवार को दोपहर करीब 3:30 बजे NCP प्रमुख शरद पवार से दिल्ली 6 जनपथ स्थित आवास पर पहुंचे और उनसे मुलाकात की। दोनों के बीच काफी समय तक बीजेपी के खिलाफ विपक्ष को गोलबंद करने को लेकर चर्चा हुई। वैसे शरद पवार भी विपक्षी एकता का सरताज बनने का ख्वाब रखते हैं लेकिन अभी के दौर में दोनों ने अपनी महत्वकांक्षाएं अपने दिलों में दबाए हंसते हुए मुलाकात की।