बिहार की राजनीतिक तस्वीर ऐसी दिख रही है कि नीतीश कुमार ने बिहार में भाजपा को सत्ता और शासन से निकाल कर विपक्ष के कांटों वाले आसन पर बिठा दिया है। एक पक्ष ये भी दिख रहा है कि भाजपा के पास अब वापसी का प्लान नहीं है। तो इसी पक्ष में नीतीश अजेय दिख रहे हैं। तो दूसरा पहलू ये है कि नीतीश को मिशन 2024 के लॉलीपॉप में उलझा कर, भाजपा ने 2025 का खेला कर दिया है। यानि नीतीश ने भाजपा को भगाया नहीं है, बल्कि भाजपा ने लंबी छलांग से पहले एक कदम पीछे अपनी मर्जी से बढ़ाया है।
सत्ता विरोधी लहर में झुलसाने की तैयारी
नीतीश कुमार पिछले 17 सालों से बिहार में सबसे बड़े नेता हैं। इस पूरी अवधि में नीतीश कुमार या तो सीएम रहे हैं या उन्हें ‘सुपर सीएम’ माना गया है। राजनीति में एक टर्म है Anti Incumbency यानि सत्ता विरोधी लहर। अगर ये मान लें कि अभी राज्य में जो राजनीतिक गठजोड़ है, 2025 में भी ऐसा ही रहेगा। तो उस चुनाव में सत्ता विरोधी लहर का खामियाजा नीतीश कुमार के चेहरे को ही भुगतना पड़ सकता है। भले ही भाजपा अधिकतर वक्त सत्ता में नीतीश के साथ ही रही हो, लेकिन 2022 के अगस्त से भाजपा ने अपने बयानों वाले तोप का मुंह लालू परिवार से हटा कर सीधे नीतीश कुमार की ओर मोड़ दिया है। भाजपा की एक सोच ये है कि सत्ता विरोधी लहर में झुलसे नीतीश 2025 में भाजपा को 2015 वाली स्थिति में लाने की स्थिति में ही नहीं रहेंगे।
नीतीश का मिशन 2024 मुश्किल
मिशन 2024 यानि भाजपा के खिलाफ नीतीश की पीएम पद पर दावेदारी, कितनी मजबूत होगी, कहना मुश्किल है। क्योंकि भले ही नीतीश कुमार पीएम पद के लिए खुद को दावेदार नहीं बता रहे हैं। लेकिन इतिहास ये बताता है कि नीतीश ने कई बार कई चीजों के लिए ना कहा और बाद में टूट कर उसे पूरा किया है। राबड़ी देवी के सीएम बनने के बाद नीतीश कुमार ने कहा था कि राबड़ी देवी के सीएम बनने के बाद बिहार का सीएम बनने में उनकी रूचि नहीं रही। लेकिन वे सीएम बने। भाजपा से संबंध तोड़ा तो कभी वापस नहीं जाने का दावा किया। लेकिन लौट कर आए। महागठबंधन से किनारा किया तो कभी नहीं लौटने का वादा किया, लेकिन लौट कर आए। ऐसे में नीतीश कुमार के मिशन 2024 में सबसे बड़ा संकट उनकी क्रेडिबिलिटी ही बन सकती है।
कांग्रेस से सिर्फ हाथ मिले, दिल मिलना मुश्किल
बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने विपक्षी एकता के मुहिम की शुरुआत राहुल गांधी के साथ मुलाकात से की है। दोनों ने हाथ तो मिलाया है लेकिन मिशन 2024 के लिए दिल मिलना अभी शेष है। कांग्रेस तथाकथित विपक्षी एकता के सामने कैसे सरेंडर कर सकती है, जबकि 200 से अधिक सीटों पर भाजपा की लड़ाई सीधे कांग्रेस से ही है। माहौल भाजपा के पूरा खिलाफ जाएगा तो उसका लाभ कांग्रेस को भी मिलेगा। सीटें कांग्रेस की भी बढ़ेंगी। कांग्रेस मध्यप्रदेश, राजस्थान, गुजरात, असम, छत्तीसगढ़, हरियाणा, उत्तराखंड, गोवा, हिमाचल प्रदेश में मुख्य विपक्ष में है। तो पंजाब, कर्नाटक, महाराष्ट्र में कांग्रेस के पास मुख्य न सही मजबूत विपक्ष का चेहरा तो है ही। ऐसे में इन सभी राज्यों में भाजपा बेहतर पोजीशन में आए या कांग्रेस को अधिक सीटें मिले, नीतीश कुमार की राह इन राज्यों में ज्यादा मुश्किल होगी।