विपक्षी दलों की एक बैठक मुंबई में होने को तैयार है। अलग अलग विपक्षी दलों की संयुक्त रूप से यह तीसरी बैठक है। दावा है कि इस बैठक से भाजपा और एनडीए के खिलाफ लड़ने की उस रणनीति पर फैसला हो जाएगा, जिसके जरिए 2024 का चुनाव लड़ा जाएगा। बैठक के लिए लालू यादव और तेजस्वी यादव मुंबई पहुंच चुके हैं। शरद पवार और उद्धव ठाकरे पहले से ही मुंबई में हैं। अन्य दलों के नेता भी 31 अगस्त को पहुंचेंगे। लेकिन सवाल यह उठ रहा है कि नरेंद्र मोदी के खिलाफ दलों के गठबंधन करने वाले नेता इस बैठक में ऐसा क्या करेंगे, जिससे उन अटकलों पर विराम लग जाएगी कि ये दल एकजुट नहीं हैं। क्योंकि अब तक की हुई दो बैठकों में जिसे भी मौका मिला, उसने अपनी नेतागिरी चमकाई। तो मुंबई में फिर यही दुहराया जाएगा या फिर कुछ ऐसा होगा, जो एनडीए के लिए टेंशन बढ़ाएगी।
पटना में नीतीश हावी, लालू ने लूटी महफिल
विपक्षी दलों की पहली बैठक जून माह में पटना में हुई। इस बैठक के आयोजक के रूप में नीतीश कुमार 15 दलों को एक कमरे में बिठाने में सफल हो गए। कुछ घंटों के मंथन में भी नीतीश कुमार सफल ही करार दिए गए क्योंकि उस बातचीत में इतना तय हो गया था कि अगली बैठक भी होगी। अरविंद केजरीवाल और आम आदमी पार्टी की नाराजगी भी कुछ ही घंटों तक सुर्खियों में रही और सबकुछ शांतिपूर्वक निबट गया। इस बैठक में लालू यादव ने राहुल गांधी को दूल्हा बनाने वाला बयान देकर सियासी पारा उपर कर दिया। वह बैठक पूरी तरह नीतीश कुमार और लालू यादव के इर्द-गिर्द घूमी। तब लगा कि सबको इकट्ठा करने का फल नीतीश कुमार को जरुर मिलेगा।
बेंगलुरु में कांग्रेस ने किया ओवरटेक
पटना की बैठक में कांग्रेस के बड़े नेताओं के शामिल होने पर शुरू में कन्फ्यूजन था। लेकिन बाद में राहुल गांधी भी शामिल हुए और मल्लिकार्जुन खड़गे भी। इसके बाद जब बेंगलुरु में बैठक हुई तो वहां जैसे विपक्षी दलों का नेतृत्व कांग्रेस के हाथों में जाता दिखा। बैठक के बाद प्रेस कांफ्रेंस में कांग्रेस के नेताओं का कांफिडेंस कहीं उपर दिखा। आशंकाओं का बादल इतना गहरा हो गया कि लगा जैसे कांग्रेस ने पूरी विपक्षी एकता के नेतृत्व को नीतीश कुमार से छीन लिया है। इस कयासबाजी को बल और तब मिला जब नीतीश कुमार और लालू यादव बिना साझा प्रेस कांफ्रेंस में भाग लिए वापस वैसे ही पटना लौट आए, जैसे पटना से अरविंद केजरीवाल अपनी टीम के साथ दिल्ली लौटे थे।
मुंबई में राजनीतिक समंदर मंथन में खिलाड़ी उभरेगा या टीम?
अब तक विपक्षी दलों की हो चुकी दो बैठकों में तो टीम स्पिरिट का अभाव दिखा। क्योंकि पटना में केजरीवाल का रूठना रंग में भंग मिला गया। तो बेंगलुरु से पटना लौटने की नीतीश कुमार की हड़बड़ी ने गड़बड़ी का अंदेशा चारों ओर फैला दिया। अब सवाल यह उठ रहा है कि मुंबई में हो रही विपक्षी दलों की तीसरी बैठक में क्या शरद पवार और उद्धव ठाकरे लीडरशिप ओवरटेक करेंगे या फिर उस टीम का स्वरूप सामने आ जाएगा, जो नरेंद्र मोदी और भाजपा के खिलाफ 2024 में दम दिखाएगी।