इन दिनों देश की राजनीति में नया कांसेप्ट चर्चा में है कि NDA और INDIA की जंग में कौन जीतेगा? NDA का मतलब नेशनल डेमोक्रेटिक अलायंस है, जो अभी केंद्रीय सत्ता में है। इसका गठन 1999 में किया गया था और तब पीएम बने थे अटल बिहारी वाजपेयी। बाद में अटल सरकार नहीं रहने के बाद भी भाजपा ने एनडीए नाम को जारी रखा और अलग अलग दल इसमें आते जाते रहे। अब बात करते हैं INDIA की यानि Indian National Developmental Inclusive Alliance की। यह नया गठबंधन है, जिसका नेतृत्व अभी तक ऐसा लग रहा है कि कांग्रेस कर रही है। वैसे कांग्रेस के नेतृत्व में पहले भी एक गठबंधन था, तब उसका नाम UPA था यानि यूनाइटेड प्रोग्रेसिव अलायंस। लेकिन जब से बेंगलुरु में 26 विपक्षी दलों की बैठक में नए गठबंधन का नामकरण हुआ है, जिसका शॉर्ट फॉर्म INDIA बताया जा रहा है, तब से देश में अलग ही बवाल शुरू हो गया है। बवाल तो राजनीतिक है। लेकिन इस नामकरण के साथ कई लोग गूगल पर यह भी तलाशने लगे हैं कि इंडिया आखिर नाम आया कहां से? तलाश इसकी भी है कि हमारे देश का नाम भारत है या इंडिया? तलाशा यह भी जा रहा है कि इंडिया नाम आखिर प्रचलित हुआ कैसे?
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दिलचस्प है भारत को इंडिया कहने की कहानी
अक्सर हमारे देश के नाम को लेकर बहस होती रहती है। कोई देश का नाम भारत चाहता है तो कोई हिन्दुस्तान तो किसी को इंडिया से कोई आपत्ति नहीं। लेकिन भारत को इंडिया क्यों कहा गया और कैसे ये नाम पड़ा, इसकी कहानी बड़ी ही दिलचस्प है। दरअसल, कुछ लोग मानते हैं कि भारत या भारतवर्ष, देश का वास्तविक नाम है। इसके बारे में तर्क यह है कि देश का नाम भरत राजवंश के नाम पर पड़ा था। महान राजा भरत जो कि राजा दुष्यंत और रानी शकुंतला के बेटे थे, उन्हें इस राजवंश को शुरू करने वाला कहा जाता है। राजा भरत को ही भारत का सबसे पहला राजा माना जाता है। इसलिए कई इतिहासकारों के अनुसार देश का नाम भारत, राजा भरत के नाम पर ही पड़ा।
कई इतिहासकारों की अलग व्याख्या
देश का नाम भारत के पक्ष में कई इतिहासकार हैं। वहीं देश का नाम इंडिया होने के पीछे कुछ इतिहासकारों का यह मानना है कि इंडिया शब्द लैटिन भाषा से लिया गया है। 17वीं सदी में ब्रिटिश सरकार ने इंडिया को स्वीकार कर लिया और फिर इस नाम को जबरन लागू कर दिया गया। अंग्रेज धीरे-धीरे भारत पर कब्जा करते जा रहे थे और नाम बदलते जा रहे थे। उन्होंने यहां पर कॉलोनियल दौर में इंडिया शब्द का प्रयोग जमकर किया। इस वजह से कुछ लोग आज तक मानते हैं कि इंडिया शब्द गुलामी का प्रतीक है। जबकि, कुछ ऐसा भी मानते हैं कि इंडिया शब्द सिंधु घाटी सभ्यता से भी आया है। इसे अंग्रेजी में इंडस वैली कहा जाता है। कुछ इतिहासकारों के मुताबिक इंडस शब्द को ही ठीक करके इंडिया बना और फिर इसे इंडिया कहा जाने लगा।
अंग्रेजों की सहूलियत ने बदल दिया इतिहास?
कुछ लोग मानते हैं कि जब अंग्रेज भारत में आए उस समय देश का नाम हिन्दुस्तान था। लेकिन अंग्रेजों की जुबां हिंदुस्तान बोलने में अटक जाती थी। इसलिए जब अंग्रेजों को पता चला कि भारत शब्द को लैटिन भाषा में इंडिया कहा जाता है तो उन्होंने भारत को इंडिया कहना शुरू कर दिया।
आजादी के बाद भी बहस
देश के नामकरण की बहस गुलाम भारत में तो थी ही, आजादी के बाद भी इस पर कम बहस नहीं हुई। 1947 में आजाद हुए देश का संविधान 1949 में बनकर तैयार हो गया। संघ के नाम और राज्यों पर चर्चा शुरू हुई तो पहले इसे जल्दी निपटाने का प्रस्ताव संविधान की ड्राफ्टिंग कमेटी के अध्यक्ष डॉक्टर भीमराव अंबेडकर ने दिया। लेकिन ऐसा हुआ नहीं क्योंकि इंडिया और भारत के नाम पर मामला फंस गया था। हरि विष्णु कामथ का कहना था कि संविधान में लिखे इंडिया अर्थात् भारत को भारत या फिर इंडिया में बदल दिया जाए। सेठ गोविंद दास ने भारत के ऐतिहासिक संदर्भ का हवाला देकर देश का नाम सिर्फ भारत रखने पर बल दिया। बीच का रास्ता निकालते हुए कमलापति त्रिपाठी ने कहा कि इसका नाम इंडिया अर्थात् भारत की जगह भारत अर्थात् इंडिया रख दिया जाए। जबकि हरगोविंद पंत की स्पष्ट राय थी कि देश का नाम भारतवर्ष होना चाहिए, कुछ और नहीं। लेकिन बहस के बाद विदेशों से संबंधों का हवाला और देश में सबको एक सूत्र में जोड़ने की कोशिश करते हुए संविधान के अनुच्छेद एक में लिखा गया कि इंडिया अर्थात् भारत राज्यों का संघ होगा। इसके बाद से ही देश को इंडिया और यहां के लोगों को इंडियन कहा जाने लगा।