Bihar में Nitish Kumar की पहचान उस CM की है, जिसने सड़कों का जाल बिछाकर राज्य की सूरत बदली है। लेकिन सड़कों को बनाने में इंजीनियर से CM बने नीतीश कुमार, एक Road Map पर फंस गए हैं। वो रोड मैप, पथ निर्माण का नहीं बल्कि कृषि के क्षेत्र का है। बिहार में कृषि के विकास की ‘वेब सीरीज’ बनाने के लिए नीतीश कुमार ने तीन रोड मैप जारी कर दिए। लेकिन अब उनके कार्यकाल के बाद उनके सहयोगी तेजस्वी यादव की पार्टी ने उनके पूरे किए कराए पर पानी फेरने की योजना बना ली है।
बगावती सुधाकर के तीर करेंगे नीतीश को छलनी
तेजस्वी यादव की पार्टी राजद के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह के बेटे पूर्व मंत्री सुधाकर सिंह के बगावत की कहानी सरेआम है। सीएम नीतीश कुमार जिस गुड गवर्नेंस और समावेशी विकास की बात करते हैं, सुधाकर सिंह दोनों की बखिया उधेड़ते हैं। मंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद तो सुधाकर सिंह और ‘खूंखार’ हो चुके हैं। यानि उन्हें कुछ भी खोने का डर नहीं है। लिहाजा सीएम नीतीश कुमार उनके सीधे निशाने पर हैं।
निजी नहीं योजनाबद्ध हमले
सुधाकर सिंह इन दिनों सीएम नीतीश कुमार पर जो हमले कर रहे हैं, वे निजी नहीं है। योजनाबद्ध तरीके से सुधाकर सिंह नीतीश कुमार की महत्वकांक्षी योजना कृषि रोड मैप को निशाना बना चुके हैं। नीतीश कुमार के कृषि रोड मैप को कचरा बताते हुए सुधाकर सिंह वो करने जा रहे हैं, जो बिहार विधानसभा में पिछले चार दशकों में नहीं हुआ।
44 साल बाद प्राइवेट मेंबर बिल
पूर्व मंत्री सुधाकर सिंह बिहार विधानसभा के शीतकालीन सत्र में प्राइवेट मेंबर बिल लाने जा रहे हैं। प्राइवेट मेंबर बिल बिहार में 44 सालों से नहीं लाया गया है। ऐसा आखिरी बिल 1978 में लाया गया था। सुधाकर का कहना है कि सीएम नीतीश कुमार भी मानते हैं कि बिहार की कृषि नीति में खोट है। उन्होंने 2012 में जारी रोड मैप में इसका जिक्र भी किया है कि कृषि क्षेत्र में मार्केटिंग की जरुरत है।
बात मानी तो 16 साल पिछड़ेंगे नीतीश
गठबंधन में सबसे बड़े दल के विधायक अपनी ही सरकार के खिलाफ जब प्राइवेट मेंबर बिल लाने की तैयारी पूरी कर चुके हैं तो सीएम की स्थिति सहज नहीं हो सकती। सुधाकर सिंह बिल के जरिए जो करना चाहते हैं, उसे मानने की दूसरी दिक्कतों से अलग सबसे बड़ी परेशानी ये है कि इससे सीएम नीतीश 16 साल पिछड़ जाएंगे। 2006 में सीएम नीतीश कुमार ने बिहार से मंडी कानून खत्म किया। अब सुधाकर की बात मानेंगे तो मंडी कानून लागू करना पड़ेगा।
तेजस्वी के एक्शन के बाद ही रिएक्शन
वैसे तो बिहार विधानसभा में प्राइवेट मेंबर बिल का इतिहास गौरवशाली रहा नहीं है। ऐसा कोई बिल कभी पास नहीं हुआ। लेकिन सीएम नीतीश कुमार इस पूरे मामले पर तेजस्वी यादव के एक्शन का इंतजार कर रहे हैं। सुधाकर के बिल पर तेजस्वी और राजद का एक्शन ही नीतीश के रिएक्शन का आधार बनेगा। कुढ़नी उप चुनाव में हार के बाद सुधाकर की यह बगावत और महत्वपूर्ण हो गई है। क्योंकि तेजस्वी ने सुधाकर का समर्थन कर दिया तो सीएम नीतीश के हाशिए पर जाने का खतरा हो जाएगा।