जनता दल यूनाइटेड (JDU) के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के बारे में कहा जाता है कि यह पद शापित है। अपवाद सिर्फ नीतीश कुमार (Nitish Kumar) के लिए है क्योंकि उनके सामने पूरी पार्टी नतमस्तक है। स्थापना काल से ही अब तक जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्षों की स्थिति बुरी ही रही है। जॉर्ज फर्नांडीस आखिरी वक्त में निर्दलीय चुनाव लड़े। तो शरद यादव JDU से बाहर कर दिए गए। Nitish कुमार इस मामले में भी सबसे अलग निकले। अध्यक्ष अपनी मर्जी से बने, पद अपनी मर्जी से छोड़ा और उनका जलवा लगातार बरकरार है। JDU के अध्यक्षों में जॉर्ज फर्नांडीस, शरद यादव, आरसीपी सिंह और अब ललन सिंह किनारे लगा दिए गए।
Lalan Singh Resigns : ललन सिंह ने JDU अध्यक्ष पद से दे दिया इस्तीफा!
Lalu से नजदीकियों ने Lalan को किया किनारे
ललन सिंह (Lalan Singh) के JDU राष्ट्रीय अध्यक्ष पद हटने का कारण यही बताया जा रहा है कि उनकी लालू यादव से नजदीकी बढ़ गई थी। ऐसी नजदीकियों को नीतीश कुमार (Nitish Kumar) ने कभी पसंद नहीं किया है। पहले RCP सिंह की भाजपा से नजदीकी बढ़ी थी तो उन्हें पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया। अब ललन सिंह के साथ ही यही हुआ है। ललन सिंह और नीतीश कुमार का साथ पुराना है। बीच के कुछ दिनों को छोड़ दें तो ललन और नीतीश एक साथ रहे हैं। लेकिन लालू से उनकी नजदीकियां नीतीश कुमार बर्दाश्त नहीं कर पाए।
Nitish ने RCP को भी नहीं ‘सिखाया’ ‘जहर काटने का अस्त्र’
नीतीश कुमार के सानिध्य में ही राजनीति शुरू करने वाले आरसीपी सिंह उनकी छाया की तरह रहे हैं। केंद्रीय मंत्री बनने से पहले आरसीपी सिंह की हैसियत जदयू में वैसे नंबर दो वाली थी, जिनकी बात नंबर एक पर बैठे नीतीश कुमार ने शायद कभी काटी नहीं थी। लेकिन राष्ट्रीय अध्यक्ष से हटने, केंद्र में मंत्री बनने के दौरान जो हुआ, उसने आरसीपी को राजनीतिक रसातल में पहुंचा दिया। Nitish Kumar से RCP ने राजनीति का हर अस्त्र सीखा लेकिन राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से हटने के बाद का जहर कैसे कटे, यह नीतीश ने उन्हें सिखाया नहीं। नतीजा यह हुआ कि जदयू में आरसीपी की पारी समाप्त हो गई।
शुरुआत जार्ज फर्नांडिस से ही हो गई
जदयू के गठन के समय तीन बड़े नेता थे जार्ज फर्नांडिस, शरद यादव और नीतीश कुमार। 2004 में जार्ज फर्नाडिस पार्टी के पहले राष्ट्रीय अध्यक्ष बने। 2005 में नीतीश के CM बनने के बाद जार्ज और नीतीश के बीच दूरियां बढ़ने लगीं। कारण बनीं जया जेटली। जॉर्ज, जया को राज्यसभा भेजना चाहते थे, पर नीतीश ने मना कर दिया। यही नहीं 2006 में जॉर्ज को हटाकर राष्ट्रीय अध्यक्ष की कुर्सी शरद को दे दी गई। 2009 के लोकसभा चुनाव में जार्ज का टिकट स्वास्थ्य का हवाला देकर काट दिया गया। ऐसी स्थिति आ गई कि जार्ज को निर्दलीय चुनाव लड़ना पड़ा, जिसमें वो हार गए। इस तरह जार्ज का राजनीतिक जीवन समाप्त हो गया।
Sharad Yadav पर भी गिरी गाज
जार्ज के बाद शरद यादव पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने। वो मधेपुरा से सांसद रहे। पर साल 2014 में लोकसभा चुनाव हार गए। साल 2016 में पार्टी पर अपनी पकड़ और मजबूत बनाने के लिए नीतीश कुमार खुद राष्ट्रीय अध्यक्ष बन गए और शरद यादव को राज्यसभा भेज दिया। धीरे धीरे उन दोनों के रिश्तों में खटास आती गई। जिसके बाद साल 2018 शरद ने JDU छोड़ अलग पार्टी बनाई। लेकिन लगातार चुनावी हार ने उनका पॉलिटिकल कॅरियर भी खत्म कर दिया।
ललन के भविष्य पर सवाल?
जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से ललन सिंह (Lalan Singh) ने इस्तीफा देने का कारण यह बताया है कि उन्हें मुंगेर से लोकसभा चुनाव लड़ना है। इसलिए अपनी व्यस्तता के कारण वे इस्तीफा देना चाहते हैं। ललन सिंह का अध्यक्ष पद छोड़ने का यह कारण किसी को पच नहीं रहा है। लेकिन अध्यक्ष पद से सौहार्द्रपूर्ण माहौल में उनकी विदाई की नीतीश कुमार की कोशिश सफल होती दिख रही है क्योंकि नए अध्यक्ष के लिए Nitish Kumar का नाम ललन सिंह ने ही प्रस्तावित किया है। लेकिन अध्यक्ष पद छोड़ने के बाद ललन सिंह का जदयू में क्या भविष्य होगा, यह कहना मुश्किल है। क्योंकि अब तक जो ट्रेंड रहा है उसमें नीतीश कुमार के अलावा दूसरा कोई नेता जदयू अध्यक्ष पद छोड़ने के बाद पार्टी में बना नहीं रह पाया है।