बिहार की राजनीति वैसे तो हमेशा से ही राष्ट्रीय स्तर की रही है। इस वक्त तो जैसे राजनीति का मतलब ही बिहार हो गया है। चुनाव नहीं होने के बावजूद हर दिन चुनावी माहौल ही रहता है। कोई पीएम बनने की तैयारी में है तो कोई सीएम। लेकिन पूछने पर सब सीधे पलट जाते हैं। पीएम-सीएम से अलग माहौल I.N.D.I.A. का कन्वीनर बनने के लिए बन रहा था। जिस पर बयानबाजियों ने अलग ही मोड़ ला दिया है। राजनीतिक हलकों में इस बात की चर्चा रही है कि नीतीश कुमार I.N.D.I.A. का कन्वीनर बनने की ख्वाहिश रखते हैं। लेकिन अब नीतीश कुमार ने अपने मुंह से यह कह दिया कि उन्हें कन्वीनर नहीं बनना है। होना तो यह चाहिए था कि नीतीश कुमार की साफगोई वाले जवाब के बाद इस पर चर्चा बंद हो जानी चाहिए थी। लेकिन नीतीश कुमार के इस बयान की टाइमिंग इतनी जबरदस्त है कि कांग्रेस के साथ लालू-तेजस्वी को भी नीतीश कुमार के बयान से गहरा झटका लगा है।
बैठकों से नहीं निकला कोई हल
दरअसल, नीतीश कुमार के कन्वीनर नहीं बनने के पहले की कुछ घटनाओं और बयानों पर गौर करना चाहिए। दरअसल, अगस्त माह के पहले दो हफ्ते में लालू यादव धड़ाधड़ दिल्ली के दौरे पर रहे। वहां उन्होंने राहुल गांधी के साथ मटन पार्टी भी की। चर्चा यह चली कि लालू यादव की यह फील्डिंग नीतीश कुमार को I.N.D.I.A. का कन्वीनर बनाने की है। लेकिन ऐसा कोई संकेत भी कांग्रेस की ओर से नहीं मिला। उलटा हुआ यह कि लालू के दौरे की समाप्ति के बाद दिल्ली गए नीतीश कुमार वहां किसी से नहीं मिले, या कोई उनसे नहीं मिला। इसके बाद लालू यादव और नीतीश कुमार की दो मुलाकातें पटना में होती हैं। एक राबड़ी आवास पर और दूसरी सीएम आवास पर। चर्चा यह चली कि बात लोकसभा चुनाव में सीट बंटवारे की हुई होगी।
नीतीश का बयान, लालू का काउंटर?
इसके बाद लालू यादव गोपालगंज में अपने पैतृक गांव के दौरे पर निकल गए। वहं लालू यादव ने कह दिया कि नीतीश कुमार और उनके बीच तेजस्वी को सीएम बनाने की कोई डील नहीं हुई थी। लेकिन लालू यादव ने अपनी बातों यह भी जोड़ दिया कि लोग चाहते हैं कि तेजस्वी यादव सीएम बन जाएं। इसके बाद लालू यादव का एक और बयान आता है जिसमें उन्होंने I.N.D.I.A. का कन्वीनर एक नहीं कई होने की बात कर दी। इसके तुरंत बाद नीतीश कुमार का बयान आता है कि उन्हें I.N.D.I.A. का कन्वीनर बनना ही नहीं है। नीतीश कुमार के इसी बयान को कांग्रेस और लालू-तेजस्वी के लिए झटका माना जा रहा है।
लालू की मुहिम को झटका?
दरअसल, लालू यादव साफ तौर पर चाहते हैं कि तेजस्वी यादव बिहार के सीएम बन जाएं। लेकिन वे कोई हड़बड़ी दिखाना नहीं चाहते। गोपालगंज में लालू ने अपने बयान में यह कहा कि तेजस्वी को सीएम बनाने को लेकर डील नहीं हुई है। साथ ही यह भी कह दिया कि लोग चाहते हैं कि तेजस्वी सीएम बन जाएं। ऐसे में तेजस्वी यादव की अभी सीएम बनने की एक ही सूरत है कि नीतीश कुमार सीएम का पद छोड़ दें। दूसरी ओर लालू ने I.N.D.I.A. का कन्वीनर एक नहीं कई होने की बात भी कह दी। ऐसे में अब कयास यह लगाया जा रहा है कि कांग्रेस ने लालू की बात नहीं मानी है और नीतीश के I.N.D.I.A. का कन्वीनर बनने की उम्मीद नहीं है। इसलिए नीतीश कुमार के बयान का अर्थ यह निकाला जा रहा है कि अगर उन्हें सर्वसम्मति से I.N.D.I.A. का कन्वीनर बनाया ही नहीं जा रहा, तो वे अभी सीएम का पद क्यों छोड़ें? अब अगर यह कयास सही है तो लालू की तेजस्वी को सीएम बनाने की मुहिम को फिलहाल तो झटका लग गया है।
कांग्रेस पर भी दबाव!
नीतीश कुमार को I.N.D.I.A. का कन्वीनर बनाने की राह में सबसे बड़ा रोड़ा कांग्रेस ही मानी जा रही है। चूंकि विपक्षी दलों में कांग्रेस ही सबसे बड़ी पार्टी है, ऐसे में निर्णय के लिए कांग्रेस की सहमति जरुरी है। लेकिन कांग्रेस का गुणा-गणित यह है कि नीतीश को I.N.D.I.A. का कन्वीनर बनाना हड़बड़ी में गड़बड़ी न कर जाए। क्योंकि एनडीए के बहुमत से चूकने पर अगर विपक्षी पार्टियां एक रहती हैं तो पीएम के उम्मीदवार के चयन में I.N.D.I.A. के कन्वीनर की भूमिका महत्वपूर्ण हो सकती है। चूंकि नीतीश कुमार पर कांग्रेस को अभी पूरा भरोसा भी नहीं दिख रहा क्योंकि कांग्रेस की इच्छा के अनुरुप नीतीश कुमार ने अभी तक बिहार में मंत्रिमंडल का विस्तार भी नहीं किया है। ऐसे में कांग्रेस के लिए, नीतीश का I.N.D.I.A. का कन्वीनर नहीं बनने का बयान रूठने का अंदाज माना जा रहा है। यानि नीतीश कुमार दोहरे दबाव के लिए एक ही तीर से निशाना साध चुके हैं। अब नीतीश के बयान के बाद लालू-तेजस्वी और कांग्रेस की प्रतिक्रिया का इंतजार है।