बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की कुर्सी पर जनता का नहीं उनका अधिकार हो गया है, जो राजनीतिक जोड़-तोड़ को अपनी बगल वाली जेब में छुपाए हुए हैं। अभी सीएम की कुर्सी पर बैठे नीतीश कुमार पिछले आठ हफ्तों में कई बार तेजस्वी यादव को उत्तराधिकारी घोषित कर चुके हैं। हर बार नीतीश के चेहरे पर मुस्कान और श्रद्धा के भाव में कोई कमी नहीं दिखी। लेकिन जब जब राजद ने अपनी ओर से इस कुर्सी पर दावा किया, तो जदयू नेताओं का दर्द-ए-डिस्को शुरू हो गया है। नीतीश की बात तो काटना तो जदयू के संविधान में ही ‘वर्जित’ है। लेकिन मजेदार ये है कि राजद नेताओं द्वारा सीएम की कुर्सी तेजस्वी को देने की मांग पर जदयू नेता खुल कर विरोध भी नहीं कर पा रहे।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की ख्वाहिश
सीएम नीतीश कुमार महागठबंधन में आने के साथ ही बता चुके हैं कि उन्हें तो अब किसी पद की लालसा है नहीं। सबकुछ इनलोगों (हर बार इशारा तेजस्वी की ओर) को ही करना है। ये ही भविष्य हैं। 15 अगस्त को गांधी मैदान में भी नीतीश ने तेजस्वी को भविष्य बताया। अलग अलग कार्यक्रमों में भी तेजस्वी को भविष्य बताने में नीतीश नहीं हिचके। एक कार्यक्रम में तो गलती से तेजस्वी के लिए उपमुख्यमंत्री की बजाय मुख्यमंत्री का ही संबोधन नीतीश से हो गया। नीतीश अपनी पार्टी के नेताओं को पिछली सीट पर बैठाते हुए तेजस्वी को ड्राइविंग का अधिकार देने की बात जब भी करते हैं, जदयू नेता चुप रहते हैं। पब्लिक परसेप्शन ये भी बन रहा है कि जदयू में कोई इस लायक नहीं जो सीएम की कुर्सी तक जाए। इसलिए जदयू नेताओं की इस भाव-भंगिमा को मौन सहमति मानी जा रही है।
शिवानंद के बाद जगदानंद
नीतीश अपने सीएम की कुर्सी तेजस्वी के लिए रिजर्व कर चुके हैं। राजद नेताओं के लिए इससे बड़ी खुशी की बात हो नहीं सकती। लिहाजा पिछले दिनों अपनी खुशी का इजहार करते हुए राजद के वरिष्ठ नेता शिवानंद तिवारी ने कह दिया कि अब नीतीश आश्रम खोलें और तेजस्वी को बिहार सौंप दें। शिवानंद के बाद सामने आए हैं जगदानंद। राजद के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह ने कहा है कि 2023 में तेजस्वी सीएम बनेंगे और नीतीश देश की लड़ाई लड़ेंगे। दो वरिष्ठ राजद नेताओं की यह मांग नीतीश की इच्छाओं के अनुरुप ही है।
दोहरी स्थिति में जदयू
जनता दल यूनाइटेड में यह सर्वमान्य है कि नीतीश की बात सबसे उपर। अब तेजस्वी को सीएम बनाने की बात जब भी नीतीश कुमार करते हैं तो जदयू नेताओं के लिए दोहरी स्थिति हो जा रही है। सीएम पद जदयू से छिटकने पर दर्द और नीतीश की बात के सम्मान में डिस्को, यानि दर्द-ए-डिस्को। नीतीश की बातों पर तो जदयू नेता कुछ नहीं बोलते लेकिन जब राजद के नेता नीतीश वाली बात ही दुहरा देते हैं तो जदयू नेताओं का दर्द उबलते दूध की तरह ट्विटर के जरिए गिरने लगता है।
फिर भड़के उपेंद्र कुशवाहा
शिवानंद तिवारी ने जब आश्रम खोलने की बात की तो सबसे पहले भड़के जदयू संसदीय बोर्ड अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा। ट्विटर-फेसबुक पर जमकर भड़ास निकाली। अब जगदानंद के बयान पर भी उपेंद्र कुशवाहा ही सामने आए हैं। उन्होंने जगदा बाबू को अधीर बताया है। वैसे जगदानंद सिंह का जवाब देते हुए उपेंद्र कुशवाहा इतना भी नहीं बोल पाए कि यह बयान गलत है। सीएम नीतीश ही रहेंगे।