Bihar की राजनीति में कब क्या मोड़ आ जाए कहना मुश्किल है। बिना चुनाव सत्ता के साझीदार बदल जाते हैं। यह संयोग एक बार नहीं दो बार दुहराया जा चुका है।जिसे उखाड़ फेंकने के लिए सालों तक मेहनत की जाती है, सत्ता में आने के 10 साल बाद उसी के साथ मिलकर चुनाव लड़ा जाता है। बिहार की राजनीति में दो संभावित नायक अपने अपने प्रयासों में जुटे हैं। सीएम नीतीश कुमार का निशाना तो दिल्ली की ओर है, तो तेजस्वी हर हाल में पाटलिपुत्र चाहते हैं। लेकिन मौजूदा स्थिति यह है कि तेजस्वी बोल नहीं रहे हैं और नीतीश सुन नहीं रहे हैं। तो सवाल यह उठता है कि ‘बिहार में का बा…?’
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नीतीश पर हमलों पर खामोश तेजस्वी
वैसे तो तेजस्वी यादव बिहार के अगले मुख्यमंत्री होंगे। यह कहना है कि मौजूदा सीएम नीतीश कुमार का। नीतीश कुमार ने यहां तक कह दिया है कि तेजस्वी के नेतृत्व में राजद-जदयू ही नहीं भाजपा विरोध वाला पूरा विपक्ष रहेगा। लेकिन ऐसी साफगोई वाले आश्वासन के बाद भी तेजस्वी यादव उन हमलों का जवाब नहीं दे रहे हैं जो नीतीश कुमार के खिलाफ राजद के विधायक कर रहे हैं। सुधाकर सिंह लगातार नीतीश कुमार के खिलाफ माहौल बनाए हुए हैं। लेकिन तेजस्वी यादव न उन्हें रोक रहे हैं और न ही कार्रवाई कर रहे हैं।
बदला लेने की नीतीश ने की शुरुआत?
सुधाकर सिंह के हमलों को लेकर नीतीश कुमार ही नहीं उनकी पूरी पार्टी असहज है। लेकिन तेजस्वी यादव और राजद नेतृत्व कोई कार्रवाई नहीं कर रहा। नोटिस का जवाब दिए महीना भर बीत गया, पर सब खामोश ही हैं। दूसरी ओर नीतीश कुमार के क्रियाकलापों से देखकर ऐसा लग रहा है कि उन्होंने भी बदला लेने की शुरुआत कर दी है। वैसे इस बात की आधिकारिक पुष्टि तो नहीं है, लेकिन तमिलनाडु वाले मामले में नीतीश कुमार का रुख नए राजनीतिक संकेत दे रहा है।
फंस गए हैं तेजस्वी यादव?
तमिलनाडु में बिहारियों की पिटाई के मामले में वैसे तो पूरी सरकार फंसी हुई है, लेकिन तेजस्वी यादव पर निशाना सीधा है। इसका कारण यह है कि जिस दिन इस मामले पर बवाल तेज हुआ, उस दिन तेजस्वी चेन्नई में ही थे। वहां से लौटे तो भाजपा को घेरने के चक्कर में तेजस्वी यादव ने विधानसभा में यहां तक कह दिया कि पूरा मामला ही फर्जी है। जबकि वहां से लौटने वाले कई लोगों की बातें अफवाहों में सच्चाई बता रही हैं।
नीतीश-तेजस्वी में दूरी तो नहीं?
एक ओर तेजस्वी भाजपा को निपटाने के चक्कर में तमिलनाडु में बिहारियों पर हुए हमलों को झूठा कह दिया। तो दूसरी ओर नीतीश कुमार ने बात की सच्चाई जानने के लिए अधिकारियों की टीम चेन्नई रवाना कर दी। तेजस्वी यादव विधानसभा में कहते रहे कि मामला झूठा है और अफवाह भाजपा फैला रही है। लेकिन चेन्नई से लौटे तेजस्वी की बातों पर नीतीश कुमार ने आंखें मूंद कर भरोसा नहीं किया है। बल्कि जांच के लिए अलग से टीम भेजी है। नीतीश कुमार द्वारा तेजस्वी यादव का भरोसा नहीं करना, नए खटपट या दूरी का अंदेशा हो सकता है। हालांकि अभी शुरुआत है क्योंकि असली मामला तो तब सामने आएगा, जब सरकार के अधिकारियों की जांच रिपोर्ट सामने आएगी।