100 दिन भी नहीं हुए जब नए दौर की ‘अगस्त क्रांति’ बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने की। जिस क्रांति के जरिए 2017 में राजद से सत्ता छीन कर भाजपा को दिया था। उसी व्यवस्था को दुहरा कर भाजपा से सत्ता छीनकर राजद को वापस बुला लिया। अगस्त 2022 में हुई इस घटना के बाद कई दूसरे राजनीतिक समीकरण भी उभरे। सीएम नीतीश कुमार अचानक कुछ लोगों को पीएम पद के उम्मीदवार दिखने लगे। नीतीश कुमार भी विपक्षी एकता की न सिर्फ पैरोकारी की, बल्कि झंडा उठाकर देश में घूमने लगे। लेकिन अब लग रहा है, नतीजा ढाक के तीन पात ही लग रहा है।
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नीतीश को PM नहीं बनने देंगे दूसरे दल
बिहार में सत्तासीन जदयू के नेतृत्व को भले ही नीतीश कुमार में पीएम पद तक जाने वाली काबिलियत दिखती हो, लेकिन विपक्षी दल ऐसा नहीं सोचते। गुजरात, हिमाचल चुनाव में कोई एकता नहीं बनी। किसी विपक्षी दल ने वहां भाजपा के खिलाफ मोर्चेबंदी का एकजुट प्रयास नहीं किया। दोनों राज्यों में कांग्रेस का रास्ता काटने आम आदमी पार्टी चल रही है। नीतीश कुमार तो कांग्रेस और आम आदमी पार्टी, दोनों के नेतृत्व से मिलकर बात करने का प्रयास कर चुके हैं। लेकिन अब लग रहा है कि इन दोनों के साथ दूसरे दल भी नीतीश की राह में रोड़ा ही अटकाएंगे।
या तो खामोशी या फिर अलग राह
नीतीश कुमार ने अगस्त-सितंबर माह में कई दलों के नेताओं से मुलाकात की। इनमें कांग्रेस, आप, एनसीपी, सपा, इनेलो समेत दूसरे दल शामिल रहे। तेलंगाना सीएम केसीआर तो पटना तक आए। लेकिन पीएम पद के उम्मीदवार के नाम पर सभी पार्टियों ने दो ही राह पकड़ी है। या तो पार्टियों ने अपने पत्ते नहीं खोले हैं। इसमें ममता बनर्जी, केसीआर, शरद पवार जैसी पार्टियों के नेता हैं। तो दूसरी ओर कुछ दलों ने नीतीश से मुलाकात करने के बाद भी अपनी रफ्तार और रणनीति जस की तस रखी है। वे भाजपा से अकेले ही लड़ रहे हैं। इनमें राहुल गांधी और अरविंद केजरीवाल हैं।
ओवैसी ने नीतीश को बता दिया चूका हुआ
दूसरी पार्टियों से अलग AIMIM तो जैसे नीतीश कुमार को भाव देने को तैयार ही नहीं है। गोपालगंज में नीतीश कुमार के सहयोगी तेजस्वी यादव के उम्मीदवार को हरवाने में AIMIM के उम्मीदवार का रोल महत्वपूर्ण रहा। तो अब सीधे नीतीश कुमार की पार्टी जदयू के उम्मीदवार को कुढ़नी में पटखनी देने का इरादा है। वैसे AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने तो यहां तक कह दिया कि सीएम नीतीश कुमार का वक्त बीत चुका है। वे चूक गए हैं। प्रधानमंत्री के साझा उम्मीदवार नहीं हो सकते। हालांकि जदयू के संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि धैर्य रखिए। हर बात मीडिया को नहीं बताई जाती है।