गोपालगंज विधानसभा सीट के लिए उपचुनाव की रणभेरी पहले ही बज चुकी है। अब नामांकन प्रक्रिया जारी है, जो 14 अक्टूबर तक चलनी है। यह सीट सुभाष सिंह के निधन के बाद खाली हुर्इ है। पिछले चार चुनावों में यह सीट भाजपा के पास रही है लेकिन इस बार यहां भाजपा को वॉकओवर नहीं मिलेगा। यानि लड़ार्इ मुश्किल होगी। इस बार भी यह लड़ार्इ त्रिकोणीय होगी, जिसका पूरा प्लॉट तैयार है। त्रिकोणीय लड़ार्इ में भाजपा और महागठबंधन के अलावा बसपा शामिल है।
मुलायम सिंह यादव का निधन, 82 साल की उम्र में ली आखरी साँस
Ranchi: लाखों के गहने चोरी करते मकान मालिक ने रंगे हाथ चोर को पकड़, पुलिस को सौंपा
भाजपा की गोपालगंज में रणनीति पारंपरिक
उपचुनाव में गोपालगंज सीट के लिए भाजपा ने पारंपरिक रणनीति पर ही काम किया है। पूर्व मंत्री सुभाष सिंह के निधन के बाद खाली हुर्इ सीट पर उपचुनाव के लिए उनकी पत्नी को ही मैदान में उतारा है। सहानुभूति की लहर बना सीट कब्जाने की रणनीति पारंपरिक रही है। जिसमें दिवंगत उम्मीदवार के नजदीकी परिजन को मैदान में उतारा जाता है। भाजपा के पास एक प्लस प्वाइंट और है कि इस सीट पर कड़ी टक्कर देने वाला पिछले चार चुनावों में कोर्इ रहा नहीं है।
महागठबंधन में उपचुनाव पर ऊहापोह
भाजपा पिछले चार चुनावों से गोपालगंज सीट पर काबिज है। लिहाजा विपक्ष को अर्से से स्कोप मिला नहीं है। इस बार महागठबंधन के दल अभी तक उम्मीदवार तय नहीं कर सके हैं। संभावना है कि राजद ही उम्मीदवार उतारेगा। लेकिन कांग्रेस के नेता भी सीट पाने को बेचैन हैं। चर्चा हो रही है कि राजद इस बार मोहन गुप्ता को उम्मीदवार बना सकता है। अगर ऐसा हुआ तो राजद की ओर से अर्से बाद मार्इ समीकरण से कोर्इ अलग उम्मीदवार होगा।
बसपा फिर बनाएगा गोपालगंज में त्रिकोण
गोपालगंज सीट पर पिछले चुनाव यानि 2020 के चुनाव में बसपा ने बेहतर प्रदर्शन किया। तब उस बसपा से साधु यादव उम्मीदवार थे। बसपा इस बार भी मजबूती से उम्मीदवारी पेश करने को तैयार है। भाजपा की महिला उम्मीदवार के सामने बसपा ने भी महिला उम्मीदवार उतारने का फैसला किया है। साधु यादव का तो टिकट कटा लेकिन इस सीट पर पहले भी चुनाव लड़ चुकी उनकी पत्नी इंदिरा यादव को टिकट दिया है।