मुलायम सिंह यादव का राजनीतिक कॅरियर लंबा रहा है। अपने समकालीन नेताओं से कहीं अधिक ताकतवर Mulayam Singh थे। वे भी देश के प्रधानमंत्री की कुर्सी तक पहुंचना चाहते थे। यूपी विधानमंडल सदस्य के तौर पर राजनीतिक कॅरियर की शुरुआत हुई। मुख्यमंत्री, लोकसभा सदस्य और केंद्रीय मंत्री तक तो Mulayam Singh Yadav पहुंच गए। लेकिन PM की कुर्सी तक नहीं पहुंच सके। बताया जाता है कि मुलायम के राजनीतिक कॅरियर में दो बार ऐसे मौके आए जब वो PM की कुर्सी से बस एक कदम पीछे थे। लेकिन हर बार उनकी कुर्सी खींच ली गई।
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1996 में लालू ने मुलायम को रोका!
1995 के बाद दो बार ऐसे मौके आए जब देश में कई गैर कांग्रेसी नेता पीएम की कुर्सी तक पहुंचते-पहुंचते रह गए। Mulayam Singh Yadav के पास पहली बार यह मौका 1996 में आया। उस साल लोकसभा चुनाव में भाजपा ने कांग्रेस को पछाड़ दिया। भाजपा को 161 सीटें मिलीं तो कांग्रेस 141 पर सिमट गई। अटल बिहारी वाजपेयी ने सरकार तो बनाई लेकिन 13 दिनों में गिर गई। तब मौका आया संयुक्त मोर्चा के पास। Mulayam और लालू प्रसाद में चयन करना था। लेकिन चारा घोटाला के कारण लालू यादव रेस से बाहर हुए। लेकिन जब चर्चा मुलायम सिंह यादव की शुरू हुई तो लालू यादव और शरद यादव ने विरोध कर दिया। बाद में एचडी देवगौड़ा PM बने।
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1999 में भी मुलायम के पास मौका
दूसरी बार मुलायम सिंह यादव को पीएम की कुर्सी तक पहुंचने का मौका 1999 में मिल सकता था। 1999 में हुए लोकसभा चुनाव में मुलायम ने संभल और कन्नौज दोनों सीट पर चुनाव लड़ा और जीता भी। बहुमत किसी को नहीं मिला तो फिर पीएम पद के लिए मुलायम के नाम की चर्चा शुरू हुई। तो इस बार भी दूसरे यादव और कुछ अन्य नेताओं ने मुलायम का साथ नहीं दिया। मुलायम ने एक रैली में कहा भी था कि लालू प्रसाद यादव, शरद यादव, चंद्र बाबू नायडू और वीपी सिंह के चलते वह प्रधानमंत्री नहीं बन सके।