गणतंत्र दिवस से पूर्व 25 जनवरी गुरुवार की संध्या पर पद्म पुरस्कारों का एलान किया गया । इस बार राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने दो युगल समेत 132 पद्म पुरस्कारों को मंजूरी दी है। इस सूची में 5 पद्म विभूषण, 17 पद्म भूषण और 110 पद्म श्री पुरस्कारों का भी एलान किया गया है।बता दें कि पुरस्कार पाने वालों में 30 महिलाएं, 9 मरणोपरांत, 8 विदेशी, एनआरआई, पीआईओ और ओसीआई श्रेणी के व्यक्ति शामिल हैं। इससे पहले 23 जनवरी को सरकार ने बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री कूर्परी ठाकुर को भारत रत्न से नवाजने का एलान किया था। पूर्व उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू, क्लासिकल डांसर (भरतनाट्यम) पद्मा सुब्रमण्यम, बॉलीवुड अभिनेत्री वैजयंतीमाला, साउथ सुपर स्टार चिरंजीवी और सुलभ इंटरनेशनल के संस्थापक स्वर्गीय बिंदेश्वर पाठक को पद्म विभूषण से सम्मानित किया जायेगा। वहीँ बॉलीवुड अभिनेता मिथुन चक्रवर्ती, गायिका उषा उठुप, डॉ सीपी ठाकुर, एम फातिमा बीवी सहित 17 लोग पद्म भूषण पुरस्कार विजेताओं में शामिल हैं। पद्म श्री विजेताओं में टेनिस खिलाड़ी रोहन बोपन्ना, स्क्वाश प्लेयर जोशना चिनप्पा , पत्रकार सुरेन्द्र किशोर, गायक अली मोहम्मद संग गनी मोहम्मद ,लेखक खलील अहमद सहित 110 लोग शामिल हैं।
बिहार से आने वाले वो शख्स जिन्हें पद्म पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है
इसी के साथ बिहार से भी 5 य्याक्तियों और 1 युगल क पद्म पुरस्कार से नवाज़ा जायेगा, जिसमे सुलभ इंटरनेशनल के संस्थापक स्व० बिन्देश्वर पाठक को पद्म विभूषण, डॉ चंद्रेश्वर प्रसाद ठाकुर( सी पी ठाकुर) को पद्म भूषण और दिग्गज पत्रकार सुरेन्द्र किशोर, मधुबनी पेंटिंग के चित्रकार शांति देवी पासवान और शिवम पासवान, ध्रुपद गायक राम कुमार मल्लिक और टिकुली कला चित्रकार अशोक कुमार विश्वास शामिल हैं ।
आईए जानते हैं बिहार के इन पद्म पुरस्कार पाने वाले विशिष्ट व्यक्तियों के बारे में-
बिन्देश्वर पाठक
स्व० बिन्देश्वर पाठक (जन्म: 2 अप्रैल 1943,रामपुर, बिहार ) एक विश्वविख्यात भारतीय समाजिक कार्यकर्ता एवं उद्यमी रहे हैं। उन्होने सन 1964 में समाज शास्त्र में स्नातक किया। सन 1967 में उन्होने बिहार गांधी जन्म शताब्दी समारोह समिति में एक प्रचारक के रूप में कार्य किया। वर्ष 1970 में बिहार सरकार के मंत्री श्री शत्रुहन शरण सिंह के सुझाव पर उन्होंने सुलभ इन्टरनेशनल की स्थापना की। वर्ष 1980 आते आते सुलभ भारत ही नहीं विदेशों तक पहुंच गया। सन 1980 में उन्होने स्नातकोत्तर तथा सन 1985 में पटना विश्वविद्यालय से डॉक्टरेट (पीएचडी) की उपाधि अर्जित की। जिसमे उनके शोध-प्रबन्ध का विषय था – ‘बिहार में कम लागत की सफाई-प्रणाली के माध्यम से सफाईकर्मियों की मुक्ति।’ सुलभ इंटरनेशनल मुख्यतः मानव अधिकार, पर्यावरणीय स्वच्छता, ऊर्जा के गैर पारंपरिक स्रोतों और शिक्षा द्वारा सामाजिक परिवर्तन आदि क्षेत्रों में कार्य करने वाली एक अग्रणी संस्था है। बिन्देश्वरी पाठक का कार्य स्वच्छता और स्वास्थ्य के क्षेत्र में अग्रणी माना जाता है। सुलभ को लिए अन्तर्राष्ट्रीय गौरव उस समय प्राप्त हुआ जब संयुक्त राष्ट्र संघ की आर्थिक एवं सामाजिक परिषद द्वारा सुलभ इण्टरनेशनल को विशेष सलाहकार का दर्जा प्रदान किया गया। इनके द्वारा किए गए कार्यों की राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सराहा गया है और पुरस्कृत किया गया है। उच्चकोटि के लेखक और वक्ता के रूप में श्री पाठक ने कई पुस्तके भी लिखीं। स्वच्छता और स्वास्थ्य पर आधारित विभिन्न कार्यशालाओं और सम्मेलनों में श्री पाठन ने अभूतपूर्व योगदान दिया। 15 अगस्त 2023 को 80 वर्ष की उम्र में दिल्ली के AIIMS में श्री पाठक का निधन हो गया।
सी पी ठाकुर
चंद्रेश्वर प्रसाद ठाकुर (सीपी ठाकुर) (जन्म- 3 सितंबर 1931, मुजफ्फरपुर, बिहार) राज्यसभा के पूर्व सदस्य , भारत सरकार के पूर्व मंत्री , चिकित्सक और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता हैं साथ ही 1999 से 2004 तक बीजेपी सरकार में कैबिनेट मंत्री भी रहे. वह एक चिकित्सक हैं और उन्होंने पटना मेडिकल कॉलेज , पटना विश्वविद्यालय , रॉयल कॉलेज ऑफ फिजिशियन , लंदन और रॉयल कॉलेज ऑफ फिजिशियन , एडिनबर्ग और रॉयल कॉलेज ऑफ ट्रॉपिकल मेडिसिन एंड हाइजीन, लंदन से एमबीबीएस, एमडी, एमआरसीपी, एफआरसीपी की डिग्री प्राप्त की है। 2017 में, वह विश्व स्वास्थ्य संगठन से लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार प्राप्त करने वाले पहले भारतीय चिकित्सा वैज्ञानिक बने । काला-अज़ार पर रिसर्च और इसकी दवा खोजने में उनके योगदान को विश्वस्तर पर जाना जाता है । उन्होंने केंद्र सरकार में एम्स अस्पताल पटना के विकास का प्रस्ताव रखा और उसे मंजूरी भी दिलायी. बिहार और इसके लोगों के लिए उनके योगदान के सम्मान में, एम्स अस्पताल, पटना के पास के चौक का नाम “डॉ सीपी ठाकुर चौक” रखा गया है। पद्म भूषण के अलावा सीपी ठाकुर को पद्म श्री, भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद की ओर से बीकेएकेईटी ओरेशन अवार्ड, भारतीय चिकित्सा परिषद की ओर से डॉ. बीसी रॉय राष्ट्रीय पुरस्कार और पीएन राजू ओरेशन अवार्ड (आईसीएमआर) से भी उन्हें नवाज़ा जा चुका है।
सुरेन्द्र किशोर
सारण जिले के दरियापुर प्रखंड स्थित सखनौली गांव में किसान परिवार में जन्मे ” निष्पक्ष, निर्भीक व आदर्श पत्रकारिता का दूसरा नाम” सुरेंद्र किशोर का झुकाव छात्र-जीवन से ही था। अपने जिले के स्थानीय समाचार-पत्र ” सारण संदेश ” में रिपोर्टिंग करने लगे। कुछ दिनों बाद 1969 में पटना से प्रकाशित साप्ताहिक ” लोकमुख ” में बतौर उप-संपादक जुड़ गए। इसके संपादक प्रो. देवीदत्त पोद्दार थे, जिन्हें सुरेंद्र किशोर जी पत्रकारिता का अपना पहला गुरु मानते हैं।1972 से लेकर 1975 तक नई दिल्ली से प्रकाशित समाजवादी विचारों की पत्रिका ” प्रतिपक्ष ” के पटना संवाददाता के रूप में जुड़े रहे । साथ में साप्ताहिक ” जनता ” में सहायक संपादक के रूप में भी काम करते रहे । उसके बाद 1977 में वे दैनिक आज से जुड़ गए और 1983 तक वहां उप-संपादक और कार्यालय संवाददाता के रूप में काम करते रहे । आखिरी महीनों में उन्हें वरीय उप -संपादक बना दिया गया । बताते चलें कि पटना से दैनिक आज का प्रकाशन 1979 में शुरू हुआ, जिससे पहले ही उन्होंने बनारस के आज संस्करण के लिए कार्य करना शुरू कर दिया था । फिर वे दिल्ली से प्रकाशित राष्ट्रीय दैनिक ” जनसत्ता ” से जुड़े और इस तरह वे राष्ट्रीय पत्रकारिता में एक ऐसे धूमकेतु की तरह उभरे, जिसकी रोशनी हर तरह निखरती गई और लेखनी की वो चमक आज भी बरकरार है ।
शिवम् पासवान एवं शांती देवी पासवान
लोक चित्रकला के लिए मधुबनी जिले के दंपती शिवम पासवान और शांति पासवान को पद्श्री अवार्ड से सम्मानित किया गया है। बता दें कि राष्ट्रपति ने कुल 106 पद्म पुरस्कारों को मंजूरी दी थी। इसके बाद ही 6 पद्म विभूषण 9 पद्म भूषण के अलावा 91 पद्मश्री पुरस्कार का एलान किया गया है। बता दें कि एक दिन पहले ही केंद्र सरकार की ओर बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और जननायक कर्पूरी ठाकुर को ‘भारत रत्न’ सम्मान देने का एलान किया गया था। जानकारी के अनुसार, दंपती मधुबनी जिले के लहेरियागंज के रहने वाले हैं। पति-पत्नी शिवम पासवान और शांति देवी पासवान को मधुबनी या मिथिला पेंटिंग्स में गोदना शैली के लिए इस पुरस्कार से नवाजा जाएगा। यह दंपती दुसाध समाज से आते हैं। दुसाध समाज के राजा शैलेष के चित्र काफी प्रसिद्ध रहे हैं। पद्मश्री से सम्मानित दंपती शिवम और शांति की पेंटिंग्स की प्रदर्शनी अमेरिका, जापान और हांगकांग जैसे देशों में लग चुकी है। दोनों ने मिलकर अभी तक करीब 20 हजार से ज्यादा लोगों को इन पेंटिंग्स को बनाने के लिए प्रशिक्षित भी किया है। शांति देवी की पेंटिंग को जी-20 की बैठक के दौरान प्रदर्शित भी किया गया था। बता दें कि केंद्र सरकार की ओर से 24 घंटे के भीतर बिहार के लिए यह दूसरा बड़ा एलान किया गया है।
राम कुमार मल्लिक
ध्रुपद संगीत के लिए देश व विदेशों में प्रसिद्ध दरभंगा घराने के पंडित राम कुमार मल्लिक का नाम पद्मश्री पुरस्कार के सूची में है। इस ऐलान के बाद उनके घर में खुशी का माहौल है तथा बधाइयों का सिलसिला लगातार जारी है। 71 वर्षीय पंडित राम कुमार मल्लिक ने कहा कि यह कला का सम्मान है। इससे पहले उनके चचेरे दादा पंडित रामचतुर मल्लिक भी इस सम्मान नवाजे जा चुके हैं। पंडित रामकुमार मल्लिक ने अपने पिता पंडित विदुर मल्लिक के नाम से ध्रुपद संगीत गुरुकुल की स्थापना कर निशुल्क प्रशिक्षण देकर इस परंपरा को आगे बढ़ा रहे। इसके संस्थापक पं. राधाकृष्ण और पंडित कर्ताराम मल्लिक ने भूपत खां से ध्रुपद गायन सीखा। भूपत खां लखनऊ के नवाब सिराजुद्दौला के दरबारी गायक थे। उन्हें तानसेन के उत्तराधिकारियों में से माना जाता है। अठारहवीं शताब्दी के अंतिम दशक में एक बार भूपत के अनुरोध पर मल्लिक बंधुओं ने लखनऊ के दरबार में ध्रुपद गायन किया। संयोगवश उस वक्त दरबार में दरभंगा महाराजा माधव सिंह (1785-1805) भी उपस्थित थे। उन्होंने मल्लिक बंधुओं के गायन से प्रभावित होकर दरभंगा आने का आमंत्रण दिया। यहां आकर मल्लिक बंधुओं ने अपने गायन की प्रस्तुति की, जिससे प्रसन्न होकर तत्काल दरभंगा महाराज ने मल्लिक बंधुओं को दरबारी गायक नियुक्त करते हुए जमींदारी प्रदान की।
अशोक कुमार बिस्वास
अशोक कुमार बिस्वास टिकुली कारीगरों में अग्रणी हैं। उन्होंने टिकुली पेंटिंग की इस प्राचीन कला को पुनर्जीवित करने के लिए कड़ी मेहनत की है जिसे लगभग भुला दिया गया था। टिकुली कला की शुरुआत पटना में हुई थी और माना जाता है कि यह 800 साल पुरानी कला है। इस कला का आधुनिक रूप महिलाओं द्वारा माथे पर पहनी जाने वाली सजावटी “बिंदी” के अवतार के रूप में देखा जाता है। टिकुली पेंटिंग में हिंदू पौराणिक पात्रों के रूपांकनों का उपयोग किया जाता है। पटना स्थित अशोक कुमार विश्वास ने व्यावहारिक रूप से बिना किसी की मदद के इस कला को पुनर्स्थापित किया है। उन्होंने सजावटी दीवार प्लेटें, कोस्टर, टेबल मैट, दीवार पर लटकने वाले सामान, ट्रे, पेन स्टैंड और अन्य उपयोगी वस्तुएं बनाने के लिए टिकुली शिल्प को बिहार के एक अन्य कला रूप, मधुबनी के साथ जोड़ा है। यह पेंटिंग हार्डबोर्ड प्लेटों की चमकदार सतह पर की जाती है। इन चित्रों को बनाने की प्रक्रिया बहुत कठिन और समय लेने वाली है। ये पेंटिंग विभिन्न आकारों और आकारों में उपलब्ध हैं और गर्मी प्रतिरोधी और पानी प्रतिरोधी हैं और इनका उपयोग आंतरिक सजावट जैसे दीवार पर लटकाने और टेबल मैट और कोस्टर जैसी उपयोगी वस्तुओं के लिए किया जाता है।कलाकार, शिल्पकार और चित्रकार श्री अशोक कुमार विश्वास ने टिकुली कला को एक नए स्तर पर पहुंचाया। टिकुली कला अब बिहार में 300 से अधिक महिलाओं के लिए आर्थिक लाभार्थी के रूप में काम करती है। बिस्वास के नेक प्रयासों और इन महिलाओं की कारीगरी को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सराहना मिली है।
पिछले साल कितने लोगों को मिला था पद्म सम्मान
पिछले साल राष्ट्रपति ने 106 पद्म पुरस्कारों को मंजूरी दी थी, इनमें 6 पद्म विभूषण, 9 पद्म भूषण और 91 पद्म श्री शामिल थे, 19 पुरस्कार विजेता महिलाओं ने और 7 लोगों को मरणोपरांत इस सम्मान के लिए चुना गया था। आपको बता दें कि पद्म सम्मान देश में भारत रत्न के बाद सर्वोच्च नागरिक सम्मानों में से एक हैं और यह तीन श्रेणियों- पद्म विभूषण, पद्म भूषण और पद्म श्री में प्रदान किए जाते हैं।
पीएम मोदी ने दी बधाइयां
पद्म पुरस्कारों के एलान के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर सम्मानित लोगों को बधाई देते हुए अपनी पोस्ट में लिखा,’ उन सभी लोगों को बधाई, जिन्हें पद्म पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। भारत विभिन्न क्षेत्रों में उनके योगदान को महत्व देता है। वे अपने असाधारण कार्यों से लोगों को प्रेरित करते रहें।’