पूर्व आईपीएस अधिकारी आचार्य किशोर कुणाल, अपने ड्रीम प्रोजेक्ट, “विराट रामायण मंदिर,” के निर्माण में संलग्न थे। बिहार के पूर्वी चंपारण जिले के केसरिया में स्थित यह मंदिर दुनिया का सबसे बड़ा मंदिर बनने जा रहा है। आचार्य किशोर कुणाल ने इसे भगवान राम और भारतीय संस्कृति को समर्पित एक भव्य धरोहर बनाने का सपना देखा था। अभी उन्हें मरणोपरांत पद्मश्री से सम्मानित किया गया है।
किशोर कुणाल जिस मंदिर का निर्माण करा रहेथे, उस मंदिर का आकार 1080 फीट लंबा और 540 फीट चौड़ा होगा। इसमें 12 भव्य शिखर होंगे और शिवलिंग का विशेष महत्व होगा। मंदिर में स्थापित होने वाला शिवलिंग 33 फीट ऊंचा और 33 फीट चौड़ा होगा। इसके अलावा, सहस्त्र लिंगम में 1008 शिवलिंग बनाए जाएंगे। यह मंदिर तीन मंजिला होगा, और इसके निर्माण का लक्ष्य वर्ष 2027 तक पूरा करना है। आचार्य किशोर कुणाल का उद्देश्य था कि रामनवमी के अवसर पर श्रद्धालु भगवान राम की प्रतिमा के दर्शन कर सकें।
मंदिर निर्माण के लिए मजदूर 24 घंटे कार्यरत हैं, और यह भव्य संरचना धीरे-धीरे आकार ले रही है। मंदिर की लागत करीब 500 करोड़ रुपये आंकी गई है। वर्ष 2023 में, आचार्य किशोर कुणाल ने केसरिया में मंदिर की आधारशिला रखी और भव्य पूजा-पाठ के साथ निर्माण कार्य शुरू करवाया।
आचार्य किशोर कुणाल, भारतीय संस्कृति, धर्म और प्रशासनिक सेवा के क्षेत्र में एक प्रतिष्ठित नाम, ने अपनी पूरी जिंदगी समाज, धर्म और शिक्षा के विकास को समर्पित की। 10 अगस्त 1950 को बिहार के मुजफ्फरपुर जिले के कोठिया गांव में जन्मे किशोर कुणाल ने अपने जीवन में कई महत्वपूर्ण मुकाम हासिल किए। अपनी प्रारंभिक शिक्षा मुजफ्फरपुर जिले के बरराज गांव में पूरी करने के बाद उन्होंने पटना यूनिवर्सिटी से इतिहास और संस्कृत में ग्रेजुएशन किया। संस्कृत भाषा और भारतीय इतिहास में उनकी गहरी रुचि उनके भविष्य की दिशा तय करने में महत्वपूर्ण साबित हुई।
आईपीएस अधिकारी के रूप में किशोर कुणाल का करियर
1972 में गुजरात कैडर से भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के अधिकारी बने किशोर कुणाल ने अपनी प्रतिभा और निष्ठा का प्रदर्शन किया। 1978 में वे अहमदाबाद के पुलिस उपायुक्त बने और प्रशासनिक कार्यों के साथ-साथ धर्म और संस्कृत के प्रति उनके ज्ञान की भी पहचान हुई।
1983 में प्रमोशन मिलने के बाद उन्होंने पटना के एसएसपी के रूप में कार्यभार संभाला। 1990 से 1994 तक उन्होंने गृह मंत्रालय में ऑफिसर ऑन स्पेशल ड्यूटी के पद पर कार्य किया। इस दौरान उन्होंने कई धार्मिक कार्यों से जुड़ने की पहल की।
धार्मिक और शैक्षिक कार्यों में योगदान
किशोर कुणाल का झुकाव धार्मिक और शैक्षिक कार्यों की ओर हमेशा से रहा। 2000 में वीआरएस लेने के बाद उन्होंने कैम्ब्रिज संस्कृत यूनिवर्सिटी के कुलपति के रूप में अपनी सेवाएं दीं और 2004 तक इस पद पर रहे। इसके अलावा, वे बिहार राज्य धार्मिक न्यास बोर्ड (BSBRT) के प्रशासक भी बने।
धरोहर को संरक्षित करने की प्रेरणा
किशोर कुणाल ने न केवल प्रशासनिक सेवा में उल्लेखनीय योगदान दिया, बल्कि धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहरों के संरक्षण में भी सक्रिय भूमिका निभाई। उनके कार्य और दृष्टिकोण समाज के लिए प्रेरणा के स्रोत बने।