देश के 15वें राष्ट्रपति का चुनाव होना तय हो चुका है। 18 जुलाई को चुनाव होगा। इस बार का राष्ट्रपति चुनाव दूसरे कई चुनावों से अलग है। दरअसल, राष्ट्रपति चुनाव ऐसा चुनाव होता है, जिसमें जीत-हार का अनुमान लगभग तय ही होता है। लेकिन इस चुनाव को भी रोचक बना दिया गया है। कारण, कि जिन दो उम्मीदवारों के बीच चुनाव होना है, वो बेहद खास हैं। पहले बात करें द्रौपदी मुर्मू की तो उनका जीतना नया इतिहास बनाएगा। लेकिन यशवंत सिन्हा जीते तो इतिहास दुहराया जाएगा।
पहली आदिवासी होंगी द्रौपदी
द्रौपदी मुर्मू को BJP ने राष्ट्रपति चुनाव में उम्मीदवार बनाया। देखते देखते उन्हें समर्थन देने वाले दलों की लंबी फेहरिस्त बन गई। द्रौपदी मुर्मू को उम्मीदवार बनाने के चयन के पीछे के समीकरणों की चर्चा सरेआम हो गई। लेकिन इतना तो तय है कि द्रौपदी मुर्मू जीतीं तो इतिहास ही बनेगा। वे पहली आदिवासी होंगी, जो राष्ट्रपति की कुर्सी तक पहुंचेंगी। ओड़िसा राज्य से पहली व्यक्ति होंगी, जो राष्ट्रपति की कुर्सी तक पहुंचेंगी। वे पहली ऐसी राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार होंगी, जिन्हें वोट देने वाले तो खुश हैं लेकिन नहीं देने वाले अफसोस कर रहे हैं।
सोरेन-ठाकरे पलटे, ममता को दुख
दरअसल, द्रौपदी मुर्मू का राष्ट्रपति की उम्मीदवारी के लिए चयन भाजपा ने विपक्ष के उम्मीदवार का नाम सामने आने के बाद किया है। विपक्ष की ओर से ममता बनर्जी ने यशवंत सिन्हा को उम्मीदवार बनाने की घोषणा कर दी। लगे हाथ कांग्रेस ने समर्थन भी दे दिया। लेकिन भाजपा ने जैसे ही द्रौपदी मुर्मू का नाम आगे किया, विपक्षी खेमे में हलचल मच गई। नाम की घोषणा होते ही बीजू जनता दल ने द्रौपदी मुर्मू के समर्थन का ऐलान कर दिया। भाजपा का विरोध करने के बाद भी शिवसेना के उद्धव ठाकरे, द्रौपदी का विरोध नहीं कर सके। सबसे मुश्किल में थे हेमंत सोरेन। आखिर में उन्हें भी धर्म-संकट के बीच द्रौपदी को समर्थन दे दिया। रही बात यशवंत सिन्हा को उम्मीदवार बनाने वाली ममता बनर्जी की, तो वे भी कह रही हैं भाजपा ने पहले नाम घोषित किया होता तो वे भी उनका समर्थन करतीं।
यशवंत के जरिए दुहाराया जाता इतिहास
यशवंत सिन्हा को राष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवार तब बनाया गया, जब कुछ बड़े नामों ने कांग्रेस व विपक्ष का उम्मीदवार बनने से इनकार कर दिया। वैसे यशवंत सिन्हा राष्ट्रपति चुने जाते हैं तो वे दूसरे कायस्थ नेता होंगे। पहले कायस्थ प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद थे। वैसे राष्ट्रपति के 14 नामों में सबसे अधिक छह ब्राह्मण रहे हैं। तीन मुसलमान राष्ट्रपति बने हैं। एससी कैटेगरी व कुर्मी जाति के दो-दो राष्ट्रपति रहे हैं। जबकि एक राष्ट्रपति सिख समुदाय से रहे हैं।