देश के अगला राष्ट्रपति चुने जाने की प्रक्रिया 15 जून 2022 से शुरू हो चुकी है। राष्ट्रपति चुनाव के लिए अभी तक कोई उम्मीदवार तो सामने नहीं आया है। लेकिन अंदरखाने में उम्मीदवारों के चयन की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। भाजपा ने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को उम्मीदवार के नाम पर सहमति बनाने का जिम्मा सौंपा है। जबकि गैर NDA दलों की अगुवाई इस बार ममता बनर्जी ने संभाली है। लेकिन इस पूरी प्रक्रिया में Bihar का रोल महत्वपूर्ण है। अब राज्य और केंद्र में साथ में भले ही कोई भी दल हो, राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार का नाम पर सहमति उम्मीदवार का फेस जानने के बाद ही होगी।
‘JDU हमेशा से करता रहा है विरोध’
वैसे तो जनता दल यूनाइटेड और भाजपा का साथ पुराना है। बीच के कुछ वर्षों को छोड़ दें तो JDU और BJP हमेशा साथ रहे हैं। केंद्र से लेकर बिहार तक उनका यह साथ बरकरार रहा है। हालांकि JDU अलग अलग मुद्दों पर BJP से बगावत करता रहा है। मसलन बिहार के अलावा दूसरे कई राज्यों में JDU ने BJP के खिलाफ उम्मीदवार उतारे हैं। लेकिन ये बगावत कभी ऐसी नहीं रही कि दोनों दल इस पर अलग हो जाएं। राष्ट्रपति पद का चुनाव भी BJP और जदयू के दूसरे मुद्दों पर संबंधों के अनुरुप नहीं रहा है।
JDU दो चुनावों से करता है विरोधी उम्मीदवार को वोट
राष्ट्रपति चुनाव का इतिहास देखें तो पिछले दो राष्ट्रपति चुनाव में जदयू ने उस दल के उम्मीदवार के खिलाफ वोट दिया है, जिसके साथ वो सत्ता में है। सबसे पहले बात करें 2012 में हुए राष्ट्रपति चुनाव (President Election) की, तो इसमें JDU ने प्रणब मुखर्जी को वोट दिया था। प्रणब मुखर्जी यूपीए यानि Congress के उम्मीदवार थे और जदयू NDA का हिस्सा थी। बिहार में एनडीए की सरकार भी चल रही थी। तब एनडीए ने कोई उम्मीदवार तो नहीं दिया था लेकिन निर्दलीय PA Sangma को एनडीए ने समर्थन दिया। संगमा नहीं जीते।
2017 में रामनाथ कोविंद को वोट
2017 में भी जदयू ने अपना पुराना इतिहास दुहराया। तब जदयू Nitish Kumar की अगुवाई में राजद और कांग्रेस के साथ बिहार की सत्ता में थी। लेकिन राष्ट्रपति पद के चुनाव के लिए जैसे ही भाजपा ने बिहार के तत्कालीन गवर्नर रामनाथ कोविंद (Ramnath Kovind) का नाम आगे किया, जदयू ने उन्हें समर्थन देने का ऐलान कर दिया। भाजपा से विरोध के बाद भी जदयू के मिले समर्थन से एनडीए उम्मीदवार की राह और आसान हो गई। हालांकि Congress ने नीतीश को बिहारी सेंटीमेंट में फंसाने के लिए बिहार से सांसद रहीं मीरा कुमार का नाम आगे किया लेकिन नीतीश नहीं माने।
गैर एनडीए दलों की अगुवाई से भाजपा के करीबी बाहर
ममता बनर्जी ने दिल्ली में राष्ट्रपति चुनाव के उम्मीदवार के नाम पर चर्चा के लिए बैठक बुलाई है। इसमें बीजू जनता दल (BJP) और जगन मोहन रेड्डी को नहीं आमंत्रित किया है। बीजू जनता दल ने कई बार एनडीए उम्मीदवार को समर्थन दिया है। इसमें ताजा उदाहरण राज्यसभा में उपसभापति के पद पर हरिवंश नारायण सिंह का है। जबकि जगन मोहन को ममता, भाजपा का करीबी समझती हैं।