राम मंदिर के इतिहास में 22 जनवरी 2024 का दिन सुनहरे अक्षरों में दर्ज होने वाला है। 496 सालों के मंदिर की लड़ाई ने कई अहम दौर देखे। मंदिर की लड़ाई लगातार चलती रही। कई पीढ़ियां इस आंदोलन में खप गई। 496 साल पहले वर्ष 1528 में मुगल शासक बाबर के सिपाहसालार ने विवादित स्थान पर बाबरी मस्जिद का निर्माण कराया था। हिंदू समुदाय की ओर से तब दावा कया गया कि यह भगवान श्रीराम की जन्मभूमि है। यहां पर प्राचीन मंदिर थी। उस पर मस्जिद का निर्माण किया जाना गलत है। लेकिन, मुगल शासक के सिपाहसालार ने बात नहीं मानी। मस्जिद का निर्माण कराया गया। यह मंदिर- मस्जिद विवाद अगली पांच शताब्दियों तक देश की राजनीति को प्रभावित करता रहा।
राम मंदिर के इतिहास में अहम मोड़ तब आया, जब सुप्रीम कोर्ट ने 9 नवंबर 2019 को राम मंदिर के पक्ष में फैसला सुनाया। राम जन्मभूमि की विवादित जमीन पर पांच जजों की संवैधानिक पीठ हक देने का फैसला सुनाया। अयोध्या जमीन विवाद देश का सबसे लंबा चलने वाला एक केस रहा। पांच जजों की संवैधानिक पीठ के ऐतिहासिक फैसले के बाद मंदिर निर्माण की प्रक्रिया शुरू हुई है। आइए इस मंदिर विवाद और आंदोलन के इतिहास के बारे में हम जानते है-
राम मंदिर विवाद का इतिहास
- वर्ष 1528: मुगल बादशाह बाबर के सिपहसालार मीर बाकी ने (विवादित जगह पर) एक मस्जिद का निर्माण कराया। इसे लेकर हिंदू समुदाय ने दावा किया कि यह जगह भगवान राम की जन्मभूमि है और यहां एक प्राचीन मंदिर था। हिंदू पक्ष के मुताबिक मुख्य गुंबद के नीचे ही भगवान राम का जन्मस्थान था। बाबरी मस्जिद में तीन गुंबदें थीं।
- वर्ष 1853-1949 तक: 1853 में इस जगह के आसपास पहली बार दंगे हुए। 1859 में अंग्रेजी प्रशासन ने विवादित जगह के आसपास बाड़ लगा दी। मुसलमानों को ढांचे के अंदर और हिंदुओं को बाहर चबूतरे पर पूजा करने की इजाजत दी गई।
- वर्ष 1949: असली विवाद शुरू हुआ 23 दिसंबर 1949 को, जब भगवान राम की मूर्तियां मस्जिद में पाई गईं। हिंदुओं का कहना था कि भगवान राम प्रकट हुए हैं, जबकि मुसलमानों ने आरोप लगाया कि किसी ने रात में चुपचाप मूर्तियां वहां रख दीं। यूपी सरकार ने मूर्तियां हटाने का आदेश दिया, लेकिन जिला मैजिस्ट्रेट (डीएम) केके नायर ने दंगों और हिंदुओं की भावनाओं के भड़कने के डर से इस आदेश को पूरा करने में असमर्थता जताई। सरकार ने इसे विवादित ढांचा मानकर ताला लगवा दिया।
- वर्ष 1950: फैजाबाद सिविल कोर्ट में दो अर्जी दाखिल की गई। इसमें एक में रामलला की पूजा की इजाजत और दूसरे में विवादित ढांचे में भगवान राम की मूर्ति रखे रहने की इजाजत मांगी गई। 1959 में निर्मोही अखाड़ा ने तीसरी अर्जी दाखिल की।
- वर्ष 1961: यूपी सुन्नी वक्फ बोर्ड ने अर्जी दाखिल कर विवादित जगह के पजेशन और मूर्तियां हटाने की मांग की।
- वर्ष 1984: विवादित ढांचे की जगह मंदिर बनाने के लिए 1984 में विश्व हिंदू परिषद ने एक कमिटी गठित की।
- वर्ष 1986: यूसी पांडे की याचिका पर फैजाबाद के जिला जज केएम पांडे ने 1 फरवरी 1986 को हिंदुओं को पूजा करने की इजाजत देते हुए ढांचे पर से ताला हटाने का आदेश दिया।
- 6 दिसंबर 1992: वीएचपी और शिवसेना समेत दूसरे हिंदू संगठनों के लाखों कार्यकर्ताओं ने विवादित ढांचे को गिरा दिया। देश भर में सांप्रदायिक दंगे भड़के गए, जिनमें 2 हजार से ज्यादा लोग मारे गए।
- साल 2002: हिंदू कार्यकर्ताओं को लेकर जा रही ट्रेन में गोधरा में आग लगा दी गई, जिसमें 58 लोगों की मौत हो गई। इसकी वजह से गुजरात में हुए दंगे में 2 हजार से ज्यादा लोग मारे गए।
- साल 2010: इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अपने फैसले में विवादित स्थल को सुन्नी वक्फ बोर्ड, रामलला विराजमान और निर्मोही अखाड़ा के बीच 3 बराबर-बराबर हिस्सों में बांटने का आदेश दिया।
- साल 2011: सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या विवाद पर इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले पर रोक लगाई।
- साल 2017: सुप्रीम कोर्ट ने आउट ऑफ कोर्ट सेटलमेंट का आह्वान किया। बीजेपी के शीर्ष नेताओं पर आपराधिक साजिश के आरोप फिर से बहाल किए।
- 8 मार्च 2019: सुप्रीम कोर्ट ने मामले को मध्यस्थता के लिए भेजा। पैनल को 8 सप्ताह के अंदर कार्यवाही खत्म करने को कहा।
- 1 अगस्त 2019: मध्यस्थता पैनल ने रिपोर्ट प्रस्तुत की।
- 2 अगस्त 2019: सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मध्यस्थता पैनल मामले का समाधान निकालने में विफल रहा।
- 6 अगस्त 2019: सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या मामले की रोजाना सुनवाई शुरू हुई।
- 16 अक्टूबर 2019: अयोध्या मामले की सुनवाई पूरी। सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा।
- 9 नवंबर 2019: सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की बेंच ने राम मंदिर के पक्ष में फैसला सुनाया। 2.77 एकड़ विवादित जमीन हिंदू पक्ष को मिली। मस्जिद के लिए अलग से 5 एकड़ जमीन मुहैया कराने का आदेश।
- 25 मार्च 2020: तकरीबन 28 साल बाद रामलला टेंट से निकलर फाइबर के मंदिर में शिफ्ट हुए।
- 5 अगस्त 2020: राम मंदिर का भूमि पूजन कार्यक्रम। पीएम नरेंद्र मोदी, आरएसएस सरसंघचालक मोहन भागवत, यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ और साधु-संतों समेत 175 लोगों को न्योता। अयोध्या पहुंचकर हनुमानगढ़ी में सबसे पहले पीएम मोदी ने किया दर्शन। राम मंदिर के भूमि पूजन कार्यक्रम में शामिल।
- 22 जनवरी 2024: श्रीराम जन्मभूमि मंदिर में प्रभु श्रीराम के बाल रूप रामलला की प्राण प्रतिष्ठा का समारोह आयोजित किया जाएगा। पीएम नरेंद्र मोदी इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि होंगे।