Ramnath Kovind Rashtrapati Bhawan Vidai: रामनाथ कोविंद आखिरकार राष्ट्रपति भवन से विदा हो गए। बिहार के राज्यपाल से देश के राष्ट्रपति बनने तक का सफर उनका सफर शानदार रहा।
विदा हुए कोविंद
देश के 14वें राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद आखिरकार राष्ट्रपति भवन से विदा हो गए। उनकी विदाई भी ठीक वैसे ही हुई, जैसे वे आए थे। 2017 में जब बिहार के राज्यपाल से राष्ट्रपति पद के लिए चयनित होने के बाद वे जब राजभवन से निकले थे तो उस समय भी उनके यही भाव थे। कर्मचारियों से विदा होते वक्त वे वैसे ही सौम्य और सरल नजर आए थे, जिस प्रकार के भाव उनके राष्ट्रपति भवन से निकलने के दौरान रहा।
विनम्रता बरकरार
रामनाथ कोविंद ने देश की राजनीति में एक अलग ही छाप छोड़ी। कानपुर के एक अनुसूचित जाति परिवार में जन्म लेने वाले रामनाथ कोविंद ने देश के सर्वोच्च पद तक का सफर तय किया। सोमवार को जब वे इस बड़े पद से रिटायर होने के बाद 300 से अधिक कमरों वाले राष्ट्रपति भवन से 12 जनपथ स्थित आवास की तरफ बढ़े तो उनके भाव देखने लायक थे। उनकी आंखें चमक रही थीं। वे उसी प्रकार से विनम्र नजर आ रहे थे, जैसे वे हमेशा दिखते हैं।
कर्मचारियों का अभिवादन
पिछले पांच सालों तक सेवा देने वाले कर्मचारियों ने अभिवादन किया जो पूर्व राष्ट्रपति मुस्कुराए। हाथ जोड़ा और फिर कार में सवार हो गए। रामनाथ कोविंद राष्ट्रपति बनने के बाद पहली बार राष्ट्रपति भवन में आए थे, उसी प्रकार का भाव देखने को मिला था। राष्ट्रपति के रूप में उन्हें एक सख्त प्रशासक के रूप में स्वीकार किया जाएगा। भारतीय सेना के सुप्रीम कमांडर के रूप में उन्हें दुश्मन देशों के खिलाफ किसी प्रकार की नरमी नहीं बरतने वाले प्रशासक माना जाएगा।
सख्ती भी दिखाई
देश के दोनों फ्रंट पर जब भारतीय सेना वॉर मोड में फंसी, वहां पर राष्ट्रपति के रूप में वे सख्त नजर आए। सेना को उचित जवाब की खुली छूट मिली। साथ ही, उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान आए फांसी से रहम की किसी भी अपील को स्वीकार नहीं किया। कानून ने जिन अपराधियों को फांसी की सजा दी, उन्हें मिली। निर्भया के गुनाहगारों ने भी रहम की गुहार लगाई थी, उस समय राष्ट्रपति ने तेजी से उनकी अपीलों को खारिज किया। सरकार के स्तर पर पारित कानूनों को भी पास करने में उन्होंने देरी नहीं की।