रांची: झारखंड की राजधानी रांची के मौसम में तो ठंडक महसूस हो रही है, लेकिन राजनीति का पारा गर्म है। जी हां हम बात कर रहे रांची विधानसभा की ,जहां एक बार फिर छह बार के पारंपरिक विजेता सीपी सिंह मैदान में हैं । वहीं ईन्डी गठबंधन के सहयोगी पार्टी जेएमएम की महुआ माजी एक बार पुन: सीपी सिंह को कांटे की ट्क्कर देने को तैयार है। बात करें पिछले आंकडों की तो साल 2019 में सीपी सिहं भले ही रांची विधानसभा के विजेता रहें हो पर महुआ रांची सीट से उन्हें कड़ी ट्क्कर देते हुए महज 5904 वोटों के अंतर से हार गयीं थी। ये अंतर सीपी सिंह के लिए एक चुनौती साबित हो सकता है, क्योंकि 2009 से जीत दर्ज कर रहे सीपी सिंह का इतने कम मार्जिन से जीतना रांची की कहानी कुछ और बयां कर रहा था।
वहीं बात करे प्रत्याशियों की ,तो 2019 में भाजपा में कुछ ठीक नहीं चल रहा था। भाजपा अपने घटक दलों से अलग चुनाव लड़ रही थी। इस कारण भी आजसू के प्रत्याशी कहीं न कहीं बीजेपी के वोट काट रहे थे। बता दें वर्ष 2019 में जब झारखंड विधानसभा चुनाव हुए, तो बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ रहे चंद्रेश्वर प्रसाद सिंह को सबसे अधिक 79,646 वोट मिले थे। इस चुनाव में दूसरे नंबर पर झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) की उम्मीदवार महुआ माजी रहीं थीं। महुआ माजी को कुल 73,742 वोट मिले थे। स्वतंत्र रूप से चुनाव लड़ने वाले यानी निर्दलीय उम्मीदवार पवन कुमार शर्मा को महज 6,479 वोटों से संतोष करना पड़ा था। वहीं झाविमो के सुनील कुमार गुप्ता, आजसू की बरसा गिरी, जदयू के संजय सहाय आदि भी कुछ वोट हासिल करने में कामयाब हुए थे।
इस बार का दृश्य पिछले विधानसभा चुनाव के दृश्य से बेहद भिन्न है। इस बार झाविमो के कोई प्रत्याशी मैदान में नहीं है। जदयू आजसू एनडीए गठबंधन में है इसलिए इनके पारंपरिक वोटर नहीं खिसकेंगे । वहीं बीजेपी के बागी निर्दलीय नेताओं के नाम वापस लेने का फायदा सीधा सीधा बीजेपी को पहुंचेगा। कुल मिला कर सीपी सिंह की स्थिति मजबूत होती तो दिख रही है। वहीं महुआ माजी के वोट शेयरिंग पर नजर डालें तो शहरी वोट अब जेएमएम के पाले में भी आ रहे है। पिछली बार के परिणाम भले ही नकारात्मक रहें हों लेकिन रांची विधानसभा सीट पर महुआ ने अपनी सशक्त दावेदारी ठोक दी है।
हालांकि बीजेपी आजसू का अलग अलग लड़ना भी जेएमएम के वोट शेयरिंग में बढ़ोत्तरी का एक बड़ा कारण था । लेकिन महुआ माजी की उपस्थिति इस बार भी सीपी सिंह के जीत के रास्ते का रोड़ा बन सकता है। इस बार सीपी सिह के रास्ते में कई रसूखदार निर्दलीय भी बाधा बन सकते हैं। कारण शहरी वोट मुद्दो को महत्व देती है। बहरहाल रांची विधानसभा सीट भारतीय जनता पार्टी के लिए कई दशकों से सबसे सेफ सीट रही है। यही वजह है कि इस सीट के दावेदार भी ज्यादा है। क्योंकि प्रत्याशी जानते हैं कि यहां से टिकट मिलने से उन्हे विधानसभा का सदस्य बनने से कोई नही रोक सकता है। रांची विधानसभा सीट से लगातार भाजपा के प्रत्याशी जीतते आए हैं। वहीं इस सीट से जेएमएम की महुआ माजी क्या करिश्मा दिखा सकेंगी ये तो समय के गर्भ में है। बताते चलें रांची में 13 नवंबर को मतदान है। वहीं वोटों की गिनती 23 नवंबर को होगी।