[Team insider] मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन की चुनौतियां बढ़ती जा रही हैं। विधानसभा की सदस्यता पर तलवार लटकाने वाला चुनाव आयोग का नोटिस और अपने नाम माइनिंग लीज और शेल कंपनियों को लेकर दायर जनहित याचिका ने पहले से उन्हें परेशान कर रखा है। अब पूजा सिंघल प्रकरण का बढ़ता दायरा और ईडी की बढ़ती घेराबंदी नई चुनौती पेश कर रहा है।
झामुमो को इस बात को लेकर आपत्ति थी
मनरेगा घोटाले को लेकर खान सचिव पूजा सिंघल और उनके करीबियों के देश में 25 ठिकानों पर रेड ने ही इसका संकेत दे दिया था। हालांकि तब झामुमो को इस बात को लेकर आपत्ति थी। अगले ही दिन सात मई को झामुमो महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि मीडिया वाले इसे इस रूप में पेश कर रहे हों मानो हेमन्त सरकार में हुए भ्रष्टाचार के काम के खिलाफ हुआ है। जबकि यह 2008-09 के मनरेगा से जुड़ा था। उनकी दलील थी भाजपा शासन के दौरान घोटाला हुआ था जिसे हेमन्त सरकार से जोड़ा जा रहा है।
बहरहाल अब दयरा मनरेगा से बाहर निकलकर घूम रहा है। मनरेगा घोटाला के एक दशक से अधिक पहले के मामले में पूजा सिंघल के ठिकानों पर रेड के साथ उनके पति अभिषेक झा जिसके निदेशक हैं पल्स अस्पताल में रेड पड़ा और उनके सीए सुमन के ठिकाने से 19 करोड़ रुपये नकद बरामद किये गये। इस मामले में पूजा सिंघल और सुमन कुमार को गिरफ्तार कर लिया गया और ईडी की पूछताछ का दायरा बढ़ा।
माइनिंग घोटाला के ये बड़े सेंटर रहे
साहिबगंज, दुमका, पाकुड़ और रांची के जिला खनन अधिकारियों से ईडी ने लंबी पूछताछ की। माइनिंग घोटाला के ये बड़े सेंटर रहे। इनके इनपुट के आधार पर मंगलवार को विशाल चौधरी और निशिथ केशरी के आवास और दफ्तर पर ईडी ने रेड किया। अगले ही दिन बुधवार को हेमन्त से करीबी रिश्ते को लेकर चर्चित प्रेम प्रकाश साहू के रांची, बनारस और सासाराम के पांच ठिकानों पर ईडी ने रेड कर मोबाइल और दस्तावेज जब्त किए।
पूरे प्रकरण में अपने ट्वीट को लेकर चर्चित गोड्डा के भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने ट्वीट किया कि प्रेम शातिर खिलाड़ी हैं, नेता , अफसर इनकी जेब में। इनकी मर्जी के बिना तबादले नहीं होते। निशिथ केशरी, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव, गृह सचिव और सूचना सचिव जैसे महत्वपूर्ण विभाग संभालने वाले राजीव अरुण एक्का के बहनोई हैं। छोटे कारोबारी से कम समय में बड़े बिल्डर बन गये। वहीं विशाल चौधरी के बारे में कहा जाता है कि सरकार में तबादला, नीतिगत परिवर्तन या ठेका इस आदमी के लिए बायें हाथ का खेल था। अधिकारियों को ‘सबकुछ’ उपलब्ध कराने के फन में माहिर और बड़ा लॉबिस्ट था।
पता नहीं पूजा सिंघल के बाद अगला निशाना कौन बन जाये
कई ब़ड़े आईएएस, आईपीएस विशाल के बड़े करीबी थे, घर पर आना जाना था। ताकत ऐसी कि अनेक अधिकारी विशाल से रिश्ता कायम करने को ललायित रहते थे। ईडी की टीम को दोनों के ठिकाने से बड़ी संख्या में सत्ता और अधिकारियों के साथ कनेक्शन और डील के साक्ष्य मिलने की बात सामने आ रही है। हिट लिस्ट में पहले से शामिल अधिकारी विशाल और निशिथ के ठिकानों पर रेड के बाद सहमे हुए हैं। पता नहीं पूजा सिंघल के बाद अगला निशाना कौन बन जाये। और किसका किससे कनेक्शन और लेनदेन का पर्दा फाश हो जाये। वे अधिकारी ज्यादा चिंतित हैं जिनकी सूची राज्यपाल ने केंद्र को भेजी थी। बड़े नेता भी सशंकित हैं।
दो मुख्य सचिव और एक डीजीपी जा चुके हैं जेल
पूजा सिंघल जैसी प्रभावशाली आईएएस अफसर के जेल जाने के ठेका-पट्टा मैनेजमेंट से जुड़े दूसरे अधिकारी अभी सदमे में हैं पता नहीं कब उनका नंबर आ जाये। हालांकि झारखंड के कई अधिकारी पहले भी विभिन्न घोटालों में जेल की हवा खा चुके हैं। पशुपालन घोटाला मामले में पूर्व मुख्य सचिव सजल चक्रवर्ती को पांच साल की सजा हुई थी। डेढ़ सौ किलो बजन वाले चक्रवर्ती का दयनीय हालत में जेल और अस्पताल में समय गुजरा। बीमारी के कारण बेल मिली और बदहाली में ही वे चले गये।
पूर्व मुख्य सचिव अशोक सिंह को 70 दिन जेल में गुजारना पड़ा
पूर्व मुख्य सचिव अशोक सिंह को भी बिहार से जुड़े एनजीओ घोटाला मामले में करीब 70 दिन जेल में गुजारना पड़ा हालांकि बाद में सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें बरी कर दिया। मधु कोड़ा के कार्यकाल में कोयला घोटाला मामले में दिल्ली में सीबीआई की विशेष अदालत ने तत्कालीन मुख्य सचिव एक बसु को भी तीन साल की सजा सुनाई थी मगर उपरी अदालत से राहत मिल गया।
ए नटराजन को भी जाना पड़ा था जेल
1990 बैच के झारखंड कैडर के आईपीएस अधिकारी ए नटराजन को भी भागलपुर अदालत कांड को लेकर जेल जाना पड़ा था। वे उस समय भागलपुर के एसपी थे। 2009 में जब वे झारखंड में सीआईडी में तैनात थे एसडीओ कोर्ट में आत्मसमर्पण के बाद जेल गये थे। उन्हें डीजी रैंक में तरक्की मिल चुकी है। इसी माह अवकाश ग्रहण करने वाले हैं।
पूर्व स्वास्थ्य सचिव सियाराम और प्रदीप कुमार को भी जेल की हवा खानी पड़ी
करोड़ों के एनआरएचएम घोटाला में पूर्व स्वास्थ्य सचिव सियाराम प्रसाद सिन्हा और प्रदीप कुमार को भी जेल की हवा खानी पड़ी। वैसे भ्रष्टाचार से इतर एक आदिवासी युवती से दुष्कर्म के मामले में तत्कालीन आईजी पीएस नटराजन को जेल जाना पड़ा, बर्खास्त किये गये। हालांकि बाद में साक्ष्य के अभाव में अदालत से वे बरी हो गये।