[Team insider] अमूमन हर आदमी जीवन में कभी न कभी किसी से प्यार जरूर करता है। मगर इसे प्यार की फितरत कहें या कुछ और हर प्यार करने वाला यही समझता है कि उसका प्यार सबसे अनूठा है, निराला है। उसकी तरह गहराई से और ईमानदारी से किसी दूसरे ने प्यार नहीं किया होगा। मगर हकीकत में कुछ इसी तरह एकतरफा प्यार में डूबे रांची के किशोर गाबा अनूठा कीर्तिमान बना रहे हैं। दुनिया में शायद इस तरह से अपने प्यार का इजहार किसी ने नहीं किया होगा।
मौसम जब करवट लेता है तो बसंत में यूं ही मन की उमंगें पेंग लेने लगती हैं। वेलेंटाइन वीक शुरू हो गया है। प्यार का बाजार सज गया है। चाकलेट, कार्ड, ड्रेस आदि से उपहार के बाजार पटे पड़े हैं। अब वेलेंटाइन वीक पूरे मार्केट इकोनॉमी को प्रभावित कर रहा है।
20 साल में 78 लाख से अधिक बार नाम लिख चुके हैं प्रेमिका का अपनी प्रेमिका
मगर इस सब बाजार बाद से अलग रांची के रातू रोड के रहने वाले 53 साल के ”शाहजहां” यानी किशोर गाबा अपने ही प्यार के रंग में डूबे हैं। अपनी प्रेमिका की याद में बीते 20 साल में 78 लाख से अधिक बार उसका नाम लिख चुके हैं। एक करोड़ का उनका लक्ष्य है। इनके लिए हर रोज वेलेंटाइन डे है। प्यार में डूबे गाबा रोज करीब दो-ढाई हजार बार उसका नाम लिखते रहे। उनको रोज महीन महीन अक्षरों में प्रेमिका का नाम लिखते देख सकते हैं। इस साल दो फरवरी तक उन्होंने 78 लाख 865 बार नाम लिख डाले थे। नाम लिखे पोस्ट कार्ड, कागज के टुकड़े, डायरी, सैकड़ों मीटर कपड़े का खजाना है उनके पास, जिसे बे बड़े एहतियात के साथ रखते हैं। उनके मुमताज का नाम है रीमा।
लता मंगेशकर की मौत के कारण मन दुखी
एक दुकान में काम कर जीवन यापन करने वाले गाबा कहते हैं कि घर चलाने के लिए सुबह निकलना पड़ता है, रात में लौटता हूं। इसके बावजूद सुबह में एक घंटे और थके हारे लौटने के बाद भी रात में लिखता हूं। पिछले साल वेलेंटाइन के मौके तक 65 लाख बार नाम लिख चुके थे। इस साल इरादा 70 लाख का था। कोरोना में बंदी के कारण 18-18 घंटे लिखने का मौका मिला। तो आंकड़ा 72 लाख पहुंच गया। फिर आजादी 75 साल पूरे होने का ध्यान आया तो गति बढ़ा दी और 75 लाख लिख डाले। गति तेज रही तो आज की तारीख तक 78 लाख का आंकड़ा पार कर चुका है। लता मंगेशकर की मौत के कारण मन दुखी है। पहले करीब दो-ढाई हजार नाम रोज लिखता था अभी तीन हजार से अधिक लिख पा रहा हूं।
शुरू हुआ सिलसिला
गाबा का प्यार एकतरफा था। नाकाम होने पर आत्महत्या, एसिड अटैक जैसे रास्ते का सहारा नहीं लिया। अलग दर्शन ढूंढ लिया। गाबा के अनुसार एकतरफा प्यार अल्लाह की इबादत का शानदार जरिया है। मिल जाये तो मामूली है, न मिले तो खुदा के बराबर। ईश्वर से दिन रात सवाल करते थे, ये कैसा जुनून है, कैसी दीवानगी है। जिसे देखे बिना हम एक पल रह नहीं सकते। मिल जाये तो सिर आंखों पर दिल के घर में … जाने क्या क्या कपना करते हैं। लोगों को समझना चाहिए सामने वाले की भी कोई मजबूरी हो सकती है। अगर इनकार है तो उसे प्यार के जुनून को भक्ति में बदल देना चाहिए।
संदेश: उनका संदेश है कि ईश्वर पर भरोसा रखें। नाकाम इश्क मुहब्बत में हत्या, आत्महत्या न करें। पांच हजार पेज 690 फीट कपड़े पर लिखा है किसी म्यूजियम में जाये। देश में संदेश जाये कि नाकाम इश्क में हत्या, आत्महत्या, एसिड अटैक जैसी घटनाओं को अंजाम न दें। एकतरफा प्यार ईश्वर की सबसे बड़ी देन है। मोहब्बत ऐसा न हो कि किसी का जीवन बेकार हो जाये।
बहन को लगी भनक फिर
किशोर गाबा कहते हैं कि मेरे एकतरफा इश्क की भनक मेरी बड़ी बहन को लगी तो उन्होंने कहा कि मैं लड़की होने का मर्म समझती हूं। उधर से हामी न मिले तो फिर नजर उठाकर भी उसे नहीं देखना। बस मैं अपने प्यार का रास्ता बदल दिया। नये दर्शन के साथ राम धुन में जुट गया। खुदा के इबादत की तरह रोज उसके नाम लिखने लगा।
खुला राज
16 मार्च को बागा 53 साल के हो जायेंगे। 34 साल की उम्र से सन् 2002 से उनका नाम लिखने का सिलसिला जारी है। छोटे छोटे शब्दों में लिखते हैं ताकि किसी को पता न चले। बताते हैं कि 2007 की बात है मेरा एक मित्र मिलने आया। मैं अपने लिखे कागज छुपाने लगा तो उसे संदेह हुआ। मैंने कागज आगे कर दिया। वह नहीं पढ़ सका, फिर मैगनिफाइंग ग्लास की मदद से उसने पढ़ा और राज खुल गया। घर, मुहल्ला, समाज, ससुराल वाले सब जानने लगे। मगर मेरा मन शुद्ध था इसलिए अंतरद्वंद्व के बावजूद सिलसिला जारी रहा।
पहली पाती
गाबा कहते हैं कि उसकी प्रेमिका के नाम में मा और राम दोनों शामिल है। मुलाकात क्या कभी पूरा नजर उठाकर भी नहीं देखे और इश्क हो गया। पहला पत्र उसे लिखा था कि आप से बेहद, आसमान से ऊंचा, समंदर से गहरा इश्क हो गया है। हमारी जोड़ी नहीं है मगर इच्छा है कि आपको राजकुमार की तरह मिले। दुआ कुबूल हुई और बड़े घर में उसकी शादी हो गई। 1998 के बाद राह चलते भी नहीं दिखी। मगर मेरी इबादत जो शुरू हुई सो जारी है।