फील्ड फायरिंग रेंज को लेकर अशांत रहे लातेहार में किसी नये आंदोलन की जमीन तो नहीं गढ़ी जा रही। शांतिदूत महात्मागांधी के अनुयायियों के अदालत परिसर में हिंसक प्रदर्शन के बाद यह सवाल तैरने लगा है। पुलिस मुख्यालय के एक बड़े अधिकारी ने कहा कि इसके पीछे किसी बड़ी साजिश की बू आ रही है। फील्ड फायरिंग रेंज का आंदोलन शांत हुआ तो यहां भी संविधान की पांचवीं अनुसूची के हवाले आंदोलन की आग भड़काई जा रही है। फील्ड फायरिंग रेंज की वजह से वहां आर्मी वालों के मूवमेंट के कारण उन सुदूर इलाकों में नक्सलियों की गतिविधियों पर विराम लग गया था।
फील्ड फायरिंग रेंज के खिलाफ आंदोलन में वहां के आदिवासी मूलवासी के साथ ईसाई मिशनरियों और माओवादियों की बड़ी भूमिका थी। इसी साल अगस्त के मध्य में मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने इसके विस्तार से इनकार कर तीन दशक से जारी आंदोलन की आग पर पानी डाल दिया। मगर तुरंत बाद महुआडांड़ में 29 अगस्त को संविधान की पांचवीं अनुसूची का हवाला देकर कुछ लोगों ने पत्थलगड़ी कर बाहरी लोगों के गांव में प्रवेश पर प्रतिबंध का बोर्ड टांग दिया। ब्लॉक ऑफिस में भी ताला लगा दिया था।
पुलिस को भी बल प्रयोग करना पड़ा
टाना भगतों के संगठन ने सोमवार को लातेहार के जिला व्यवहार न्यायालय में पांचवीं अनुसूची के हवाले उग्र प्रदर्शन किया तो सरकार से लेकर हाई कोर्ट तक के कान खड़े हो गये। प्रदर्शनकारियों ने करीब पांच घंटे तक अदालत परिसर पर कब्जा किये रखा। पुलिस ने बल प्रयोग कर हटाने की कोशिश की तो गुलेल, पारंपरिक हथियार और पत्थरों से हमला किया। पुलिस को भी बल प्रयोग करना पड़ा। लाठी चार्ज, हवाई फायरिंग और अश्रु गैस के गोले दागे गये। जिसमें आधा दर्जन से अधिक पुलिस वाले और टाना भगत घायल हुए। पीसीआर वैन और कोर्ट मैनेजर की गाड़ी को भी क्षतिग्रस्त किया। संभवत: यह पहला पहला मौका है जब खुलेआम अदालत के विरोध में इस तरह अदालत परिसर में उग्र प्रदर्शन हुआ हो।
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हाई कोर्ट ने मामले का संज्ञान लिया, सरकार से रिपोर्ट मांगी
हाई कोर्ट ने मामले का संज्ञान लिया, सरकार से रिपोर्ट मांगा। और मंगलवार को मुख्य सचिव व पुलिस महानिदेशक को अदालत में हाजिार होने को कहा। आज मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक मुख्य न्यायाधीश डॉ रविरंजन और न्यायमूर्ति एसएन प्रसाद की पीठ में हाजिर हुए। सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने घटना पर गहरी नाराजगी जाहिर करते हुए इसे पुलिस और खुफिया एजेंसी की विफलता का मामला बताया और सीएस व डीजीपी से विस्तृत रिपोर्ट तलब किया। अदालत में मौजूद महाधिवक्ता राजीव रंजन ने कहा कि सरकार ने घटना को गंभीरता से लेते हुए अदालत परिसर की सुरक्षा बढ़ा दी है।
अदालत परिसर में प्रदर्शन की यह थी वजह
प्रदर्शनकारी टाना भगत संविधान की पांचवीं अनुसूची का हवाला देकर कोर्ट कचहरी को बंद कर पारंपरिक पहड़ा व्यवस्था लागू करने की मांग कर रहे थे। उनकी दलील थी कि यहां न अदालत की जरूरत है न पुलिस की। संविधान की पांचवीं अनुसूची के हवाले संविधान की अपनी सुविधा अनुसार व्याख्या के कारण पुलिस-प्रशासन के कान खड़े हो गये हैं। खूंटी में पहले भी पांचवीं अनुसूची के हवाले कड़ा विरोध प्रदर्शन होता रहा है। बाहरी लोगों के प्रवेश को रोकने से लेकर सरकारी योजनाओं को वापस करने, स्कूलों से नाम कटाने की घटनाएं हुई हैं। चार-पांच साल पहले तो सुरक्षा बलों की बड़ी फौज और पुलिस प्रशासन के वरीय अधिकारियों को रात भर बंधक बनाये रखा गया था।
पांचवीं अनुसूची के पीछे की वजह तलाशने में जुटी है
पुलिस सूत्रों का कहना है कि माओवादियों और अफीम के सौदागर खूंटी में पत्थलगड़ी के पीछे रहे हैं। हर साल वहां एक हजार एकड़ से अधिक में लगी अफीम की फसल को नष्ट किया जाता है। ऐसे में पुलिस प्रशासन के अधिकारी लातेहार में सिर उठाते पांचवीं अनुसूची के पीछे की वजह तलाशने में जुटी है। पत्थलगड़ी आदिवासियों की परंपरा का हिस्सा है मगर इसकी आड़ में संविधान को अपनी सुविधा अनुसार व्याख्यायित कर लोग फायदा उठाते रहे हैं। खूंटी में तो समानांतर मुद्रा चलाते तक की बात हुई थी। गुजरात से सब संचालित हो रहा था। तब की भाजपा सरकार को इस मामले में अनेक लोगों के खिलाफ राष्ट्रद्रोह का मुकदमा भी चलाया गया हालांकि सत्ता संभालते ही हेमन्त सोरेन ने उन मुकदमों को वापस करने का फैसला किया था। समय रहते लातेहार की समस्या का निदान नहीं निकला तो सरकार के सामने नया संकट सामने आ सकता है।