जार्ज बर्नार्ड शॉ की एक मशहूर कहावत है कि “सफल होने का एक ही रहस्य है कि ज़्यादा से ज़्यादा लोगों को नाराज़ कीजिए।”
इस कहावत का रेफरेंस और कांटेक्स्ट तो पता नहीं लेकिन राजनीति पर ये बात फिट नहीं बैठती। क्योंकि राजनीति में नाराज करने से ज्यादा जरुरी है खुश करना। लेकिन अपने बिहार के एक मंत्री जी हैं, उन्होंने जार्ज बर्नार्ड शॉ की कहावत को राजनीति के रेफरेंस में ले लिया। बस फिर क्या, वही हुआ जो होना था यानि मिट्टी पलीद हो गई। पहले गैरों ने किया, फिर अपनों ने।
खैर, आज जिस अफवाह के बारे में हम आपको बता रहे हैं वो है बिहार सरकार के एक मंत्री जी के बारे में। मंत्री जी शुरू से ही चर्चा पसंद नेता रहे हैं। अक्षय कुमार की एक फिल्म थी, सिंह इज किंग। उसमें एक डायलॉग कुछ यूं था कि मैं तो बस सच बोलता हैं, लोगों को अच्छी अपने आप लग जाती हैं। लेकिन बिहार सरकार के जिन मंत्री जी की बात हम कर रहे हैं वे बोलते हैं, खूब बोलते हैं। बस उनकी बातें सबको अच्छी नहीं लगती। बवाल मच जाता है। पटना और बिहार की कौन कहे, पूरे देश में भूचाल आ जाता है।
वैसे चर्चापसंद मंत्री जी पिछले कुछ महीनों से खासा नाराज हैं। उनकी नाराजगी के कई कारण हो सकते हैं। समर्थकों के बीच चर्चा तो यह रहती है कि आलाकमान को खुश करने के लिए वे दूसरे लोगों से नाराज से रहते हैं। लेकिन इस बार उनसे रांग नंबर डायल हो गया है।
मंत्री जी की नाराजगी जब खुलेआम सरेआम हो गई तो अक्षरश: और शब्दश: उस नाराजगी के मजमून की समीक्षा शुरू हो गई। वैसे मंत्री जी के भड़कने की वजह एक नहीं कई और हैं, यह अब पता चला है। सबको लग रहा था कि मंत्री जी सिर्फ इसलिए नाराज हैं क्योंकि उन्हें दखलअंदाजी नहीं पसंद। जबकि असलियत यह है कि मंत्री जी अपनी सुविधाओं में कटौती से भी नाराज हैं।
बिहार में उसकी पूछ अधिक होती है, जिसके काफिले में गाड़ियां अधिक होती हैं। कोई अकेली गाड़ी में सवार होकर घूमे तो न जनता भाव देती है और न ही कार्यकर्ता।
यह बात मंत्री जी को बखूबी पता है, क्योंकि मंत्री जी समझदार, शिक्षित हैं। लेकिन पांच गाड़ियों के तामझाम को हटाकर सरकार की ओर से दो गाड़ियां कर दी गईं। अब ये कटौती किसने की, इतना तो आप समझ ही गए हैं। इसी के बाद अक्सर शिक्षा देते बयान देने वाले मुख से आरोपों का ज्वालामुखी फूटा और कागजों पर शिकायतों का पुलिंदा बनता गया।
इसके बाद जो हुआ वो सबके सामने है, कुछ भी पर्दे के पीछे नहीं है।