गुजरात विधानसभा चुनाव का शोर चरम की ओर बढ़ रहा है। लेकिन भाजपा के 27 साल के शासन को उखाड़ने से ज्यादा कांग्रेस का जोर कहीं और है। एक तरह से कांग्रेस इस चुनाव को भी अपनी अंदरुनी खटपट से निजात पाने का प्रयास कर रही है। जो समस्याएं कांग्रेस नेतृत्व पहले नहीं सुलझा सका, अब Gujrat चुनाव के बहाने सुलझाने की कवायद चल रही है। इनमें Rajasthan के नेतृत्व का मामला प्रमुख है। कांग्रेस इस बार भी भाजपा का विजयी अभियान रोक पाएगी या नहीं, यह तो चुनाव के नतीजों के बाद तय होगा। लेकिन कांग्रेस ने गुजरात के नतीजों से अलग Rajasthan में सेहरा बदलने की जमीन Gujrat चुनाव में ही तैयार कर ली है।
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Rajasthan में फिर बवाल
दरअसल, Rajasthan में कांग्रेस नेतृत्व स्थिर नहीं है। कई बार सीएम अशोक गहलोत और पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट के बीच की गुटबाजी सरेआम हो चुकी है। यह भी लगभग तय ही माना जा रहा है कि गांधी परिवार राजस्थान में अब सचिन पायलट को नेतृत्व देना चाहता है। लेकिन अशोक गहलोत हैं कि मानते नहीं। सरकार बनने के वक्त भी खटास हुई तो राहुल गांधी ने सुलह कराई। सरकार बनने के बाद भी खटास जारी रही। पायलट को दो बार सीएम बनाने के प्रयास हो चुके हैं। लेकिन गहलोत डिगे नहीं। Gujrat चुनाव में प्रचार करते गहलोत ने अब एक बार फिर पायलट के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है।
तस्वीर से उखड़ कर बिफरे गहलोत
Rajasthan के CM अशोक गहलोत इन दिनों Gujrat के चुनाव प्रचार की अग्रिम पंक्ति के नेता बने हुए हैं। तो सचिन पायलट की तस्वीर राहुल गांधी के साथ सामने आई है। भारत जोड़ो यात्रा के दौरान पायलट और राहुल गांधी की तस्वीर के इस फ्रेम में प्रियंका गांधी भी हैं। इन तीनों की साथ तस्वीर से जितना झटका सीएम अशोक गहलोत को नहीं लगा, उससे कहीं अधिक तस्वीर की कैप्शन से लग सकता है। सचिन पायलट ने ट्विटर पर यह तस्वीर जारी करते हुए ऐसा कैप्शन दिया है जो परिवर्तन का इशारा कर देता है। गहलोत इसी पर बिफर गए हैं। गहलोत ने पायलट को गद्दार कहा और यह भी कह दिया कि वे पायलट को कभी सीएम स्वीकार नहीं करेंगे।
क्या थी गांधी परिवार की प्लानिंग?
राजनीतिक हलकों में एक चर्चा यह है कि सचिन पायलट को Rajasthan की कमान देने के लिए ही सोनिया गांधी ने अशोक गहलोत को कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष के पद का ऑफर दिया था। लेकिन गहलोत समर्थकों ने वह मामला गोल कर दिया। लेकिन अब राजनीतिक जानकार यह बता रहे हैं कि अशोक गहलोत को Gujrat चुनाव में कांग्रेस ने महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी है। गुजरात चुनाव में बुरी हार या हार का ठीकरा गहलोत के सिर भी फोड़ा जा सकता है। लेकिन भाजपा और आम आदमी पार्टी के साथ लड़ते हुए भी अगर कांग्रेस गुजरात में जीत जाती है तो पायलट को इंतजार करना पड़ सकता है। लेकिन कांग्रेस के गुजरात हारने की सूरत में राजस्थान से गहलोत युग का समापन और पायलट युग की शुरुआत की संभावना कहीं अधिक है।