बिहार की राजनीति में लालू प्रसाद यादव को सबकुछ हासिल रहा है। खुद लालू सीएम भी रहे। जब चाहा तो पत्नी को सीएम की कुर्सी पर बिठा दिया। इसी बिहार की राजनीति में पैठ की बदौलत पत्नी के मुख्यमंत्री रहते हुए लालू ने दिल्ली में रेल मंत्रालय चलाया। लेकिन एक ऐसा वक्त भी था, जब एक बाजी लालू यादव हारना चाहते नहीं थे लेकिन जीत उनसे दूर ही रही। लालू की उसी ख्वाहिश को उनके बेटे तेजस्वी यादव ने 25 साल बाद उनकी झोली में डाल दिया है।
जनता दल का अध्यक्ष बनने की रस्साकशी
लालू यादव पहली बार जब मुख्यमंत्री बने तो जनता दल के उम्मीदवार के तौर पर बने। सरकार चलती रही लेकिन लालू सरकार के साथ पार्टी पर पूरा नियंत्रण चाहते थे। हालांकि सोच और वास्तविकता के बीच एक नाम लालू के सामने खड़ा हो गया। वह नाम था शरद यादव का। जनता दल और देश की राजनीति में राष्ट्रीय स्तर तक पैठ रखने वाले शरद यादव 1997 में खुद जनता दल का अध्यक्ष बनना चाहते थे। लेकिन अध्यक्ष बनने की इच्छा लालू यादव में भी जाग गई थी। अध्यक्ष पद की रस्साकशी ऐसी चली कि जनता दल एक बार फिर टूट गया।
शरद ही बने अध्यक्ष, लालू छोड़ चले पार्टी
वर्ष 1997 में जनता दल का नया अध्यक्ष चुना जाना था। लालू यादव पार्टी में महत्वपूर्ण तो थे लेकिन इतने नहीं कि शरद यादव से बड़े हो जाते। शरद यादव और लालू यादव दोनों अध्यक्ष पद के लिए गुणा-गणित बिठाने लगे। शरद यादव तब जनता दल के कार्यकारी अध्यक्ष थे। लालू के करीबी रहे रघुवंश प्रसाद सिंह को अध्यक्ष पद के चुनाव के लिए जब निर्वाचन अधिकारी बनाया गया तो शरद यादव सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए। कोर्ट ने मधु दंडवते को नया निर्वाचन अधिकारी बनाया। लेकिन तब तक लालू ने बगावत कर दी और जनता दल में एक और टूट हुई।
लालू-शरद दोनों बने अध्यक्ष
लालू ने जनता दल को छोड़ कर राष्ट्रीय जनता दल की स्थापना की। राष्ट्रीय जनता दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू यादव चुने गए। तब से आज तक लालू यादव उस पद से हटे ही नहीं। दूसरी ओर 1997 में शरद यादव जनता दल के अध्यक्ष चुने। शरद यादव को पार्टी में टूट मंजूर थी लेकिन लालू की अध्यक्षता उन्हें मंजूर नहीं थी। जबकि लालू यादव हर हाल में शरद यादव से वह चुनाव जीतना चाहते। हालांकि लालू यादव की 25 साल पुरानी यह चाहत उनके बेटे तेजस्वी यादव ने इस बार पूरी की है। रविवार, 20 मार्च को शरद यादव ने अपनी उस लोकतांत्रिक जनता दल का विलय राष्ट्रीय जनता दल में कर दिया, जिसके राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू यादव हैं।
बिना राजनीतिक इतिहास समाप्त हुई शरद की पार्टी
लोकतांत्रिक जनता दल की स्थापना नीतीश कुमार के खिलाफ शरद यादव ने की लेकिन इस दल के टिकट पर शरद भी कोई चुनाव नहीं लड़े। अपना संगठन होते हुए भी शरद यादव 2019 के लोकसभा चुनाव में राजद के टिकट पर लड़े। 2018 में गठित हुए लोकतांत्रिक जनता दल का कोई चुनावी इतिहास नहीं है। क्योंकि शरद यादव की तरह उनकी बेटी ने 2020 का विधानसभा चुनाव भी राजद के टिकट पर ही लड़ा।