तीन जून जार्ज फर्नांडिस की जयंती है। जॉर्ज फर्नांडिस और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बेहद करीब रहे हैं। राजनीति में नीतीश के लिए जॉर्ज फर्नांडिस गुरु भी थे और अभिभावक भी। लेकिन एक वक्त वो भी आया जब नीतीश ने जार्ज को किनारे लगा दिया। जार्ज जिंदगी के आखिरी वक्त में गुमनामी और लाचारी में वर्ष 2019 में जनवरी महीने में जिंदगी की आखरी सांस ली और इस दुनिया से अलविदा कह गए।
1994 में समता पार्टी की स्थापना
1974 में जब जयप्रकाश नारायण का आंदोलन चरम पर था। हर जगह तत्कालीन PM Indira Gandhi के खिलाफ नारे लग रहे थे और JP की तूती बोली जाती थी। उसी से प्रेरणा लेकर Nitish Kumar आंदोलन से जुड गए। यहाँ से शुरू हुई नीतीश की सक्रिय राजनीति। यह वही वक्त था जब नीतीश की मुलाक़ात कर्पूरी ठाकुर, लोहिया, और जार्ज फर्नांडिस से हुई। वक्त आगे बढ़ा और नीतीश, जॉर्ज फर्नांडिस के करीब होते गए। नीतीश और जार्ज ने मिल कर 1994 में Samta Party की स्थापना की। जिसके अध्यक्ष जार्ज फर्नांडिस थें। वहीं Sharad Yadav को संसदीय बोर्ड के प्रमुख बनाया गया। जहां केन्द्र में NDA का हिस्सा भी बने। केन्द्रीय मंत्रिमण्डल में रक्षामंत्री, संचारमंत्री, उद्योगमंत्री, रेलमंत्री आदि के रूप में कार्य भार संभाल चुके हैं।
Janta Dal United का गठन
पहली बार 2000 में नीतीश कुमार 8 दिनों के लिए बिहार के CM बने। वहीं 2003 में समता पार्टी, लोक शक्ति पार्टी एवं शरद यादव की नेतृत्व वाली जनता दल का विलय कर Janta Dal United का गठन किया गया। जार्ज फर्नाडिस और नीतीश ने मिल कर कुल 14 सांसदों के साथ 1994 में Janta Dal से अलग हो कर जनता दल (जार्ज) पार्टी का स्थापना किया। वहीं इसी साल अक्टूबर में फिर से नाम बदल कर समता पार्टी कर दिया गया।
बिहार में 1995 का चुनाव
फिर बिहार में 1995 को विधान सभा चुनाव आया। जहां समता पार्टी को मात्र सात सीटें मिली। उसके बाद 1996 में समता पार्टी ने भाजपा के साथ हाथ मिला लिया। दिल्ली की राजनीति में ऊपर उठते रहे और वहीं नीतीश बिहार में अपनी जमीन मजबूत करने में लग गए। फिर नीतीश ने 2003 में बीजेपी से अलग हो कर अपनी अलग पार्टी बना ली। जिसका नाम जनता दल यूनाइटेड रखा गया। जार्ज फर्नांडिस का पूरा सहयोग नीतीश को मिलता रहा। जिसके बाद 2005 में नीतीश कुमार सीएम बन गए। यहां से शुरू हुई नीतीश कुमार की अपनी राजनीति।
जार्ज का टिकट नालंदा से कटा
यहाँ नीतीश ने अपना तेवर दिखाते हुए जार्ज फर्नांडिस को अध्यक्ष पद से हटा कर शरद यादव को JDU का अध्यक्ष बना दिया। लोकसभा का चुनाव जब 2009 में हुआ तो जार्ज का टिकट नालंदा से काट दिया गया। फिर जार्ज फर्नांडिस मुजफ्फरपुर से निर्दलीय चुनाव लडें। लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा। यह वही जार्ज थें जब आपातकाल के दौरान 1977 लोकसभा चुनाव के दौरान जेल में थे क्योंकि उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया था। उस वक्त अपने लोकसभा क्षेत्र में एक बार भी नही आए लेकिन जीते तीन लाख मतों के अंतर से।
जार्ज फर्नांडिस ने पांच बार लोकसभा चुनाव जीता
मुजफ्फरपुर से वे पांच बार 1977, 1980, 1989, 1991 और 2004 में लोकसभा का चुनाव चुनाव जीता। मुजफ्फरपुर से 2009 में निर्दलीय चुनाव लड़ने और हारने के बाद जार्ज फर्नांडिस की हालत यह थी कि उन्हें दिल्ली में रहने तक का ठिकाना नहीं था। इसी बीच बिहार से जदयू ने जार्ज को 2009 में राज्यसभा भेजा। जार्ज और नीतीश के अलग होने का कारण यह माना जाता है कि जब 2005 में नीतीश कुमार को लालकृष्ण आडवाणी ने एनडीए के सीएम कैंडिटेट के रूप में प्रस्तुत किया था तो जॉर्ज फर्नांडिस को बुरा लगा। नीतीश ने शायद इसे ही दिल पर ले लिया था और जार्ज फर्नाडिस को किनारा लगा दिया।