उत्तर प्रदेश के अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के लिए श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने कार्यक्रम के मुख्य पुजारियों की घोषणा कर दी है। रामलला के प्राण प्रतिष्ठा समारोह के अधिवास की प्रक्रिया शुरू हो गई है। प्रायश्चित और कर्मकूटि पूजन के साथ इस प्रक्रिया को आरंभ किया गया है। समारोह के अनुष्ठान की सभी प्रक्रियाओं का समन्वय, समर्थन और मार्गदर्शन 121 आचार्य की ओर से कराए जाएंगे। काशी में रहने वाले देश के सबसे बड़े ज्योतिषाचार्य गणेशवर शास्त्री द्रविड़ सभी प्रक्रियाओं की निगरानी, समन्वय और दिशा- निर्देशन करेंगे। वहीं, काशी के पंडित लक्ष्मीकांत दीक्षित समारोह के मुख्य आचार्य की भूमिका संभालेंगे।
रामलला विराजमान : कारसेवकों का खून बहा, यूपी में पहली बार बन गई भाजपा सरकार
काशी के हैं आचार्य गणेश्वर शास्त्री द्रविड़
आचार्य गणेश्वर शास्त्री देश के सबसे बड़े ज्योतिषाचार्य के तौर पर जाने जाते हैं। काशी के रामनगर में 9 दिसम्बर 1958 को जन्मे आचार्य गणेश्वर शास्त्री द्रविड़ रामघाट स्थित सांग्वेद विद्यालय को चलाते हैं। आचार्य गणेश्वर शास्त्री को वेद, कृष्णयजुर्वेद, तैत्तिरीय शाखा, शुक्लयजुर्वेद- शतपथ ब्राह्मण, वेदांग, न्यायादिग्दर्शन, पुराण, इतिहास, राज-शास्त्र, धर्म-शास्त्र काव्य-कोष, ज्योतिष, तंत्रागम एवं श्रौत के आधिकारिक विद्वान के रूप में मान्यता मिली हुई है। श्रीराम मंदिर के शिलान्यास का मुहूर्त भी आचार्य गणेश्वर शास्त्री द्रविड़ ने निकाला था। अब रामलला की प्राण प्रतिष्ठा का भी शुभ मुहुर्त उन्होंने निकाला है। आचार्य गणेश्वर शास्त्री का परिवार मूल रूप से दक्षिण भारत से काशी आए थे।
काशी के इस ज्योतिषाचार्य ने ही रामलला की प्राण प्रतिष्ठा का शुभ मुहुर्त निकाला है। ज्योतिषीय गणना के बाद 22 जनवरी को दोपहर 12 बजकर 29 मिनट 8 सेकंड से लेकर 12 बजकर 30 मिनट 32 सेकंड तक शुभ मुहूर्त उन्होंने रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के लिए निर्धारित किया है। इस 84 सेकेंड के समय को बहुत खास बताया गया है। पीएम नरेंद्र मोदी और अन्य गणमान्य की मौजूदगी में इसी समय में रामलला की गर्भगृह में प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम संपन्न कराया जाएगा।
प्राण प्रतिष्ठा के मुख्य पुजारी हैं लक्ष्मीकांत दीक्षित
अयोध्या राम मंदिर में रामलला की मूर्ति स्थापित किए जाने के बाद उनकी प्राण प्रतिष्ठा कराने वाले मुख्य पुजारी के रूप में पंडित लक्ष्मीकांत दीक्षित को चुना गया है। प्राण प्रतिष्ठा के समय उनके साथ चार और पुजारी विधानो को पूरा कराएंगे। पंडित लक्ष्मीकांत दीक्षित 17वीं शताब्दी के मशहूर पंडित गागा भट्ट के वंशज हैं। वे काशी में रहते हैं। कई पीढ़ियों से उनका परिवार यहीं निवास करता रहा है। उनके पुत्र सुनील दीक्षित का कहना है कि वे लोग मूल रूप से महाराष्ट्र के शोलापुर जिले के जेऊर के निवासी हैं। सदियों पहले उनका परिवार काशी में आकर बस गया। सुनील का दावा है कि पंडित गागा भट्ट उनके पूर्वज हैं। पंडित भट्ट ने वर्ष 1674 में छत्रपति शिवाजी महाराज का राज्याभिषेक संपन्न कराया था।