[Team insider] प्यार करने वालों के लिए हर दिन खास होता है, लेकिन 14 फरवरी का दिन बेहद ही खास होता है। आज वैलेंटाइन डे(Valentine Day) है, प्यार के इजहार का दिन। साथ ही उन अमर प्रेम-कहानियों (Immortal Love Stories) को याद करने का भी दिन, जिनसे युवा प्रेरणा लेते हैं। झारखंड(Jharkhand) की वादियों में भी ऐसी कई अमर प्रेम कहानियां दर्ज हैं, जिसे जानकर आप भी कहेंगे क्या प्रेम दिवाने थे जिन्होंने अपनी प्रेम कहानियों को अमर कर दिया।
चरवाहे को अंग्रेज मैगनोलिया से हो गया था प्यार
पहाड़ों की रानी से मशहूर नेतरहाट के मंगोलिया पॉइंट से सूर्योदय और सूर्यास्त देखना हर किसी के लिए रोमांचकारी अनुभव होता है, लेकिन मंगोलिया पॉइंट से जुड़ी मोहब्बत की एक रोमांचक कहानी है। समुद्र तल से 3661 फीट की ऊंचाई पर स्थित इस जगह पर एक आदिवासी लड़की और एक अंग्रेज लड़की की मूर्ति है जिसे देखकर बरसों से सुनाई जा रही इस दोनों की प्रेम कहानी बार-बार जीवंत हो उठती है इनमें से एक है नेतरहाट का सनसेट प्वाइंट।
अमर प्रेम की निशानी है मैगनोलिया प्वाइंट
यह मैगनोलिया और चरवाहे के प्यार का गवाह है। नेतरहाट के एक चरवाहे को अंग्रेज अधिकारी की बेटी मैगनोलिया से प्यार हो गया था। चरवाहा रोज शाम को नेतरहाट के सनसेट प्वाइंट पर अपने मवेशियों को चराने पहुंचता था। वहां वह बांसुरी बजाता था। एक बार गांव में छुट्टी बिताने अंग्रेज पदाधिकारी अपने परिवार के साथ पहुंचे थे। उसकी बेटी चरवाहे की बांसुरी की धुन सुनकर उसकी दीवानी हो गयी। और रोज उससे मिलकर बांसुरी सुनता था। रोज-रोज की यह मुलाकात बाद प्यार में बदल गयी। लेकिन इसकी भनक मैगनोलिया के पिता को लग गयी। गुस्साये अंग्रेज अधिकारी ने चरवाहे की हत्या करवा दी। यह जानकर मैगनोलिया ने भी सनसेट प्वाइंट से अपने घोड़े के साथ खाई में छलांग लगा दी। नेतरहाट का मैगनोलिया प्वाइंट अमर प्रेम की निशानी है।
आज भी गूंजती है दशम फॉल में छैला-बिंदी की प्रेम कहानी
आज भी दशम फॉल में छैला-बिंदी की प्रेम कहानी गूंजती है। रांची जिले के तमाड़ के बागुरा पीड़ी गांव का छैला संदू और पाक सकम गांव में रहने वाली बिंदी की प्रेम कहानी अनोखा है। छैला सिंदू को प्रेमिका से मिलने जाने के लिए रास्ते में दशम फॉल पार करना पड़ता था। वह रोज हाथ में बांसुरी, गले में मांदर और कंधे पर मुर्गा लेकर प्रेमिका से मिलने जाता था। दशम पॉल को वह लटकती हुई लताओं के सहारे पार करता था। स्थानीय लोगों को जब उसके इस प्यार का पता चला, तो दोनों को जुदा करने के लिए ग्रामीणों ने उन लताओं को आधा काटकर छोड़ दिया। दूसरे दिन जैसे ही छैला लताओं के सहारे फॉल को पार करने लगा, लता टूट गयी और वह फॉल में समा गया।
इग्लैंड तक सुनाई दी बैजल के प्रेम की धुन
बैजल सोरेन गोड्डा जिले के सुंदरपहाड़ी प्रखंड के कल्हाझोर गांव के सुंदरपहाड़ी पर मवेशी चराते हुए बांसुरी बजाया करते थे। एक बार साहूकार ने गांव के मवेशियों को बंधक बना लिया। बैजल सोरेन ने साहूकार का सिर काट कर पहाड़ पर टांग दिया। अंग्रेजों ने बैजल को गिरफ्तार कर फांसी की सजा सुनायी। लेकिन फांसी लगने से पहले उसने अंग्रेज अधिकारियों को बांसुरी बजाकर सुनायी। बांसुरी की धुन इतनी प्यारी थी कि अंग्रेज अधिकारी इसमें डूब गये। इससे फांसी का समय बीत गया। और बैजल को फांसी नहीं दी गई। बाद में बैजल को एक अंग्रेज अफसर की बेटी से प्रेम हो गया। वह बैजल को अपने साथ इंग्लैंड ले गयी। गोड्डा के सुंदरपहाड़ी इलाके में बैजल सोरेन के प्रेम और वीरता की आज भी गूंज है। गोड्डा के सुंदरपहाड़ी इलाके में बैजल सोरेन के प्रेम और वीरता की आज भी गूंज है।
पंचघाघ पांच बहनों को प्रेम में मिले धोखे की निशानी है
खूंटी जिले के पंचघाघ जलप्रपात से जुड़ी प्रेम कहानी आज भी लोगों के लिए कौतूहल का विषय है। स्थानीय लोगों का मानना है कि पंचघाघ जलप्रपात से बहने वाली पांच धाराएं पांच बहनों के अंतिम निश्चय के प्रतीक हैं। यह निश्चय साथ जीवन जीने का नहीं, बल्कि साथ मरने का है। माना जाता है कि खूंटी के एक गांव में पांच बहनें रहती थीं, जिन्हें एक ही पुरुष से प्रेम हो गया था। सगी बहनों को जब उनके साथ हो रहे इस विश्वासघात का पता चला, तो अपने असफल प्रेम के कारण पांचों बहनों ने एक साथ नदी में कूदकर अपनी जान दे दी। कहा जाता है कि इस घटना के बाद ही जलप्रपात की धारा पांच हिस्सों में बंट गयी।