रांची: झारखंड राज्य के 81 विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों में से एक है बरहेट। यह साहेबगंज जिले में स्थित है और राजमहल संसदीय सीट के 6 विधानसभा क्षेत्रों में से एक है। बरहेट भी एसटी आरक्षित सीट है। बात करें यहां के मतदाताओं की तो एससी और एसटी के अलावा मुस्लिम मतदाताओं का भी यहां प्रभाव है। 2011 की जनगणना के अनुसार एससी मतदाताओं की संख्या लगभग 8,324 है जो लगभग 26% है। वहीं बरहेट विधानसभा में एसटी मतदाताओं की संख्या लगभग लगभग 88% है। मतदाता सूची विश्लेषण के अनुसार बरहेट विधानसभा में मुस्लिम मतदाताओं की संख्या लगभग 9% है। बरहेट विधानसभा में ग्रामीण मतदाताओं की संख्या लगभग 34% है। बरहेट विधानसभा में शहरी मतदाताओं की संख्या लगभग लगभग 66% है।
जेएमएम की सबसे सुरक्षित सीट है बरहेट
राज्य के सीएम हेमंत सोरेन ने अपनी सबसे सुरक्षित सीट बरहेट से ही पर्चा दाखिल किया है। ये सीट झामुमों की सबसे सुरक्षित सीट मानी जाती है। वहीं भाजपा आज तक इस सीट से नहीं जीत पाई है। लेकिन पिछले कुछ सालों में लगातार भाजपा का यहां से वोट प्रतिशत बढ़ा है। बता दें पिछले दो बार के विधानसभा चुनाव में हेमंत सोरेन ने यहां से जीत दर्ज की है। पहले इस सीट से कांग्रेस जीतती थी।1990 में झामुमो के हेमलाल मुर्मू ने कांग्रेस प्रत्याशी थामस हांसदा से यह सीट छीन ली थी। इसके बाद से इस विधानसभा सीट पर लगातार झामुमो का कब्जा है। 2005 तक हेमलाल यहां के विधायक रहे। 2004 में उनके सांसद बनने की वजह से झामुमो ने थामस सोरेन को यहां से टिकट दिया। वहीं इस क्षेत्र में बीजेपी अब तक कोई करिश्मा नहीं दिखा पाई लेकिन बीजेपी के वोट प्रतिशत में वृद्धी देखी गयी। 2019 में यहां से भाजपा के नेता सिमोन मालतो ने झामुमों को टक्कर दिया था।
भाजपा के वोट की संख्या तो बढ़ी लेकिन हिस्से में जीत नहीं आई
2014 में हेमलाल भाजपा के टिकट पर यहां से चुनाव लड़े, लेकिन सफलता नहीं मिली। इसे देखते हुए 2019 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने पुन: अपने पुराने सेनापति तथा आदिम जनजाति समुदाय से आने वाले सिमोन मालतो को मैदान में उतारा लेकिन वह भी कोई करिश्मा नहीं दिखा सके। हालांकि बरहेट विधानसभा 2009 के चुनाव परिणाम को देखें तो झामुमो के हेमलाल मुर्मू को 40621 वोट पड़े वहीं विजय हांसदा को 20303 वोट पड़े। वहीं बात करे 2014 के चुनाव की तो हेमंत सोरेन को 62515 वोट मिले वहीं भाजपा के हेमलाल मुर्मू को 38428 वोट मिले। इधर 2019 के चुनाव में हेमंत सोरेन को जहां 73725 वोट मिले वहीं भाजपा के सिमोन मालतो को 47985 वोट मिले। इन आंकड़ो को देख कर कहा जा सकता है कि बरहेट में पारम्परिक रूप से तो झामुमों को वोट दिया जा रहा परंतु नयी पीढ़ी भाजपा के लिए भी अपना साफ्ट कार्नर रखती है। लगातार विधानसभा चुनाव में भाजपा के खेमें में वोटों की संख्या का बढ़ना इस बात का प्रमाण है।
बरहेट को दशकों से है अपने विकास की आस
झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के लिए काफी सेफ मानी जाने वाली बरहेट में झामुमों के ही विधायक बनते रहें है । लेकिन पिछले दस साल से बरहेट के विधायक ही राज्य के सीएम है और अब तक बरहेट विकास से कोसो दूर है। बरहेट के लोगों के लिए शिक्षा ,स्वास्थ्य, सिंचाई एक चुनौती है। यहां के युवा पलायन को मजबूर है। रोजी का खेती के अलावा और कोई सशक्त माध्यम यहां अबतक विकसित नहीं हो सका है। इस क्षेत्र में आदिवासी एवं मुस्लिम मतदाता निर्णायक हैं। बता दें 2019 के विधानसभा चुनाव में बरहेट विधानसभा से भाजपा के टिकट पर चुनाव में दूसरे स्थान पर रहने वाले सिमोन मालतो ने कहा कि बरहेट विधानसभा क्षेत्र के ग्रामीण व पहाड़ी इलाके में स्थायी रूप से शुद्ध पेयजल की व्यवस्था नहीं हो पायी है। ग्रामीण क्षेत्रों में सड़क नहीं है। महिलाओं के साथ दुष्कर्म, हत्या की कई घटनाएं हाल के दिनों में घटी है। यहां पर आदिवासी एवं पहाड़िया युवतियों से कुछ समुदाय के लोग बहला-फुसलाकर शादी कर लेते हैं। इससे आदिवासी एवं पहाड़िया समुदाय के लोगों की आबादी दिन-प्रतिदिन घट रही है। वहीं स्वतंत्रता सेनानी सिदो-कान्हू के वंशजों को भी नौकरी के लिए इधर-उधर भटकना पड़ रहा है। वहीं इस क्षेत्र में अबतक सड़क निर्माण, अबुआ आवास अबुआ आवास योजना के तहत जरूरतमंदों को आवास व मजदूरों को मनरेगा के तहत काम दिया जा रहा है। बात करें शिक्षा की तो बरहेट में एक भी कालेज नही है। यहा के विद्याथियों को कालेज की पढ़ाई के लिए बाहर जाना पड़ता है वहीं बहुतेरी लड़कियों को इस कारण शिक्षा से वंचित भी होने की विवशता हो जाती है। कृषि के मामले में भी पहाड़ी क्षेत्र होने के कारण प्रकृतिक सिंचाई पर ग्रमीणो की आस लगी रहती है। क्षेत्र में खेतों की सिंचाई के लिए गुमानी बराज परियोजना का निर्माण बरहेट-शिवगादी रोड में गुमानी नदी पर कराया गया है। इस योजना में अब तक करोड़ों रुपए खर्च हो चुके हैं, लेकिन यह योजना पूरी नहीं हो सकी है। इस कारण यहां के किसानों को इस परियोजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है। इसके बाद खनिज सम्पन्न् क्षेत्र होने के कारण यहां के लोगों की जीविका का मुख्य आधार उत्खनन में मजदूरी से जुड़ना है। वहीं पत्थर उद्योग भी मंदी के दौर से गुजर रहा है, जिससे प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से यहां के 80% लोग जुड़े हैं। इस क्षेत्र में विकास की सशक्त सभावनाएं हैं। स्वास्थ्य के मामलों में भी बरहेट दुखी है बरहेट विधानसभा क्षेत्र के बरहेट एवं रांगा में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र है परंतु यहां पर अक्सर डॉक्टर व दवा की कमी रहती है। समय-समय पर सिविल सर्जन एवं वरीय अधिकारियों के द्वारा निरीक्षण किया जाता है लेकिन इसके बावजूद ग्रामीण क्षेत्र होने के कारण यहां पर स्वास्थ्य सुविधा बेहतर नहीं है। यहां के मरीजों को बेहतर इलाज के लिए सदर अस्पताल साहिबगंज जाना पड़ता है। तो कुल मिलाकर विकास से कोसो दूर बरहेट को आस है कि इस बार जोभी नेता चुनकर आए बो बरहेट के लिए कार्य करे बरहेट को विकसित करे । यहा के लोगों का पलायन रोके और सिंचाई स्वास्थ्य शिक्षा पर महत्पूर्ण कार्य करे। बरहेट की जनता अपने विकास की बाट जोह रही है।