22 जनवरी को अयोध्या श्रीराम मंदिर में अरुण योगिराज द्वारा निर्मित प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा होने वाली है। कृष्णशिला से बनी यह मूर्ति तुलसीदास के रामचरित मानस में वर्णित श्रीराम के बाल स्वरुप के ही अनुरूप दिखाई ही पड़ती है। गोस्वामी तुलसीदास कृत रामचरित मानस की 5 चौपाईयां रामलला की पूरी काया को काफी हद तक दर्शाती है।
आईये एक नज़र डालते हैं गोस्वामी द्वारा लिखित चौपाईयों पर तथा दर्शनलाभ लेते हैं प्रभु राम के सुंदर व सुकोमल काया के भावनात्मक वर्णन का …,
चिक्कन कच कुंचित गभुआरे। बहु प्रकार रची मातु सँवारे।। सुंदर श्रवन सुचारू कपोला। अतिप्रिये मधुर तोतरे बोला।। अर्थात् प्रभु के बाल जन्म से ही चिकने और घुंघराले हैं,जिन्हें माता ने नाना प्रकार से संवारकर रखा है। बालरूप श्रीराम के अतिसुंदर कान और कोमल कपोल हैं मधुर तोतले शब्द अतिप्रय और लुभावने प्रतीत होते हैं।
दुइ दुइ दसन अधर अरुनारे। नासा तिलक को बरनै पारे।। कम्बू कंठ अति चिबुक सुहाई। आनन अमित मदन छबि छाई।। अर्थात् लाल शुभ्र होंठों में लिपटी दो सुंदर दंतुलियां , नाक और उसके ऊपर तिलक तो जैसे अवर्णनिए हीं है। शंख के समान तीन धारियों वाला कंठ और ठोडी अतिसुंदर हैं। मुख पर असंख्य कामदेवों की छटा छायी है।
उर मनिहार पदिक की सोभा। विप्र चरन देखत मन लोभा।। भुज बिसाल भूषन जुट भुरी। हियें हरि नख अति सोभा रूरी।। अर्थात्, ह्रदय पर बाघ के नख की निराली छटा, चौड़ी छाती पर मणियों के हार की शोभा और ब्राह्मण जैसे चरण चिन्ह, प्रभु के बालस्वरूप काया में नाना आभूषणों से विशाल भुजाएं मन को लुभा रहे हैं।
कटि किंकिनी उदार त्रय रेखा। नाभि गभीर जान जेहिं देखा।। रेख कुलिस ध्वज अंकुस सोहे। नुपुर धुनि सुनि मुनि मन मोहे।। अर्थात्, कमर में करधनी एवं पेट पर त्रिवली (3 रेखाएं) और नाभि की गंभीरता, इन्हें तो वही जान सकता है, जिसने प्रभु के दर्शन किए हों। चरणों में वज्र, ध्वजा और अंकुश के चिन्ह और उनमे नुपुर (पैंजनी/पायल) की मधुर ध्वनि तो मुनियों का मन भी मोह लेती हैं।
काम कोटि छबि स्याम स्याम सरीरा। नील कंज बारिद गंभीरा।। अरुन चरन पंकज नख जोती। कमल दलंही बैठे जनु मोती।। अर्थात्, राम की छवि, जैसे नीलकमल तथा जलाभिभूत मेघ समान श्याम शरीर, जिसमे कोटिसः कामदेव की छटा समाई है, रक्तवर्ण चरण कमलों के शुभ्र (नाखून) की ज्योति लालकमल पर मोती की भांति जान पड़ती है। उपरोक्त चौपाई यहाँ नर रूपी नारायण की पूरी काया का सुंदर उल्लेख करती है।
गोस्वामी की उक्त चौपाईयां भगवान के पूरे स्वरुप का अतिसुंदर वर्णन है, जो बहुत हद तक उस प्रतिमा के साथ मेल खाती हैं, जो अयोध्या में नवनिर्मित भव्य राम मंदिर में स्थापित की गयी है।