बिहार ही नहीं देश की राजनीति के अच्छे प्लेयर हैं नीतीश कुमार। क्रिकेट की भाषा में बात करें तो नीतीश कुमार रन कम-ज्यादा बनाएं लेकिन टीम में उनकी जगह सालों से पक्की है। अपने स्टेट के कैप्टन तो वे बन चुके हैं लेकिन अब देश के कप्तान बनने को बेचैन हैं। 2022 में 2024 का राग हाई वॉल्युम पर इसीलिए बज रहा है ताकि वक्त करीब आते आते टीम में न उनकी जगह पक्की रहे बल्कि कप्तान भी वही बनें।
जगह पक्की करना चाहते हैं तेजस्वी
वैसे क्रिकेट हो या राजनीति, इतना तो तय माना जाता है कि कप्तान उतना ही अच्छा साबित होगा जितनी अच्छी उसकी टीम होगी। नीतीश ने अपनी टीम मजबूत करने के लिए तेजस्वी यादव को साथ ले लिया। स्टेट टीम में अंदर-बाहर होते रहे तेजस्वी यादव इस बार हर हाल में अपनी जगह पक्की कर लेना चाहते हैं। तेजस्वी यादव सालों तक क्रिकेट खेले हैं और अब सालों से राजनीति में हैं। इतना तो समझ ही गए हैं कि उनका रास्ता तभी साफ होगा जब या तो नीतीश रिटायर्ड हो जाएं या फिर सेंटर की ओर दौड़ पड़ें। नीतीश की रिटायरमेंट पर तेजस्वी का तो जोर चलने से रहा तो तेजस्वी ने उन्हें सेंटर की बॉल पकड़ने के लिए उंगली दिखा दी है। तेजस्वी ने साफ कह दिया है कि पीएम हों तो नीतीश जी जैसा।
ललन-उपेंद्र की बॉलिंग लाएगी असर?
वैसे तो नीतीश कुमार की पीएम बनने की इच्छा पुरानी है। वे नकारते रहते हैं कि उन्हें जानने वाले बताते हैं कुछ वक्त के अंतराल पर उनकी राजनीतिक दिशा यही इच्छा तय करने लगती है। इसी इच्छा को शक्ति प्रदान करते हुए जदयू के दो सबसे ‘बड़े’ नेता ललन सिंह और उपेंद्र कुशवाहा ने नीतीश कुमार को विपक्ष का नेता बनाने के लिए घातक बॉलिंग शुरू कर दी है। इसमें उनके निशाने पर कई दिग्गज हैं, जिन्हें बोल्ड करते हुए उनका समर्थन लेना है। ललन कह रहे हैं कि BJP को लोकसभा चुनाव में हराने के लिए सभा विपक्षी दलों को एक साथ बैठकर नेतृत्व पर फैसला करना चाहिए। नीतीश कुमार के नाम को लेकर सहमति बनती है तो यह एक विकल्प हो सकता है। वहीं उपेंद्र कुशवाहा कह रहे हैं अब तो बस Mission 2024 ही है।
दुविधा में कांग्रेस
नीतीश का बढ़ता कद अब तेजस्वी को परेशान नहीं करता। क्योंकि नीतीश के दिल्ली शिफ्ट होते ही बिहार के उप कप्तान से कप्तान बन जाने की राह उन्हें आसान दिख रही है। लेकिन कांग्रेस क्या करे? उसके कप्तान तो गांधी परिवार से ही आते हैं। लिहाजा कांग्रेस के लिए मजबूरी बड़ी है। कांग्रेस, भाजपा को हराने को बेचैन तो है। लोकसभा चुनाव नाम की इस सीरिज में मैन ऑफ द मैच कोई भी बनता रहे, कांग्रेस को आपत्ति नहीं। लेकिन मैन ऑफ द सीरिज यानि PM का पद तो कांग्रेस सिर्फ अभी अपने ही पाले में चाहती है। ऐसे में अपनी पार्टी की बॉलिंग, तेजस्वी यादव की बैटिंग को नीतीश पुख्ता कर रहे हैं लेकिन कांग्रेस की कमजोर फील्डिंग उनकी उम्मीदों को धराशायी न कर दे, यही डर है।