नई दिल्ली : इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने मंगलवार को एक चौंकाने वाले बयान में कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ बातचीत के बाद ईरान पर एक बड़े सैन्य हमले को टाल दिया गया है। इस कदम के साथ ही दोनों देशों के बीच सीजफायर की घोषणा की गई है, जिसे कतर ने मध्यस्थता के जरिए संभव बनाया। यह घटनाक्रम पिछले कई महीनों से बढ़ते तनाव के बीच एक महत्वपूर्ण मोड़ माना जा रहा है, जो ईरान के हालिया मिसाइल हमले के बाद शुरू हुआ था।
इजराइल के प्रधानमंत्री ने कहा कि ट्रंप के साथ हुई बातचीत के बाद इजरायल ने ईरान के खिलाफ अतिरिक्त सैन्य कार्रवाई से परहेज किया। हालांकि, उन्होंने यह भी बताया कि मंगलवार तड़के इजरान के एक रडार को निशाना बनाया गया था, जो ईरानी मिसाइल हमले का जवाब था।
वरिष्ठ अधिकारियों के अनुसार, कतर के अमीर शेख तमिम बिन हमद अल थानी ने इस सीजफायर वार्ता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। ट्रंप के शीर्ष सहयोगियों, जिसमें उपराष्ट्रपति जेड वैंस, विदेश मंत्री मार्को रुबियो और विशेष दूत स्टीव विटकॉफ शामिल हैं, ने भी इस प्रक्रिया में योगदान दिया। न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, ट्रंप ने सोमवार रात 6 बजे ईएसटी (भारतीय समयानुसार मंगलवार सुबह) में इस सीजफायर की घोषणा की, जो उनके अपने कई वरिष्ठ अधिकारियों के लिए भी आश्चर्यजनक थी।
हालाँकि, घोषणा के तीन घंटे के भीतर ही इजरायल ने ईरान पर नए हमले किए। वाशिंगटन पोस्ट के अनुसार, पिछले हफ्ते इजरायल ने ईरान पर बड़े पैमाने पर हमले शुरू किए थे, जिसके जवाब में ईरान ने 400 मिसाइलों में से 35 को इजरायल में दागा। इजरायली खुफिया के अनुसार, ईरान के पास अब सीमित मिसाइल स्टॉक बचा है, जिससे हमलों की तीव्रता कम हुई है।
नेतन्याहू की सरकार, जिसे अक्सर इजरायल की सबसे दक्षिणपंथी सरकार माना जाता है, ने पहले शांति वार्ता से परहेज किया था। हालाँकि, इस बार ट्रंप के असामान्य दृष्टिकोण—जिसमें इजरायली विमानों से एक “फ्रेंडली प्लेन वेव” की मांग शामिल थी—ने स्थिति को बदला। यह कूटनीतिक कदम पहले के रिकॉर्ड में दर्ज नहीं है और इसे एक अनोखा प्रयास माना जा रहा है।
हालांकि इस घटना पर कोई समीक्षित अध्ययन उपलब्ध नहीं है, कनफ्लिक्ट रेजोल्यूशन जर्नल के अनुसार, तटस्थ मध्यस्थों (जैसे कतर) द्वारा मध्यस्थता वाले सीजफायर अल्पकालिक रूप से संघर्ष की तीव्रता को 30% तक कम कर सकते हैं। फिर भी, ईरान के पिछले परमाणु वार्ता विफलताओं को देखते हुए दीर्घकालिक स्थिरता पर संदेह बना हुआ है।
यह सीजफायर कितना टिकाऊ होगा, यह आने वाले दिनों में साफ होगा। इजरायल ने शर्त रखी है कि ईरान आगे कोई हमला नहीं करेगा, जबकि ईरान ने मध्यस्थों से कहा है कि वह तभी वार्ता में लौटेगा जब इजरायल के हमले रुकें। इस बीच, क्षेत्रीय ताकतें और वैश्विक नेता इस शांति प्रयास पर नजर बनाए हुए हैं।