नई दिल्ली — इजरायली राजनयिक रेवेन आज़ार ने आज स्पष्ट किया कि ईरान पर इजरायल का ताज़ा हमला “आत्मरक्षा में की गई एक अनिवार्य कार्रवाई” थी। उनके मुताबिक, ईरान में एक गुप्त परमाणु नेटवर्क सक्रिय था, जो परमाणु हथियारों के निर्माण की दिशा में तेज़ी से अग्रसर था। इसी खतरे के मद्देनज़र ‘ऑपरेशन राइजिंग लायन’ के तहत इजरायली रक्षा बलों (IDF) ने आज सुबह ईरान में कई सैन्य और वैज्ञानिक ठिकानों पर प्री-एम्प्टिव स्ट्राइक की।
परमाणु खतरे की चेतावनी
आजार ने दावा किया कि ईरान की गुप्त गतिविधियाँ सिर्फ नागरिक परमाणु कार्यक्रम तक सीमित नहीं थीं, बल्कि इसका असली उद्देश्य यूरेनियम संवर्धन के ज़रिए परमाणु हथियार बनाना था। उन्होंने यह भी कहा कि अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) की रिपोर्टें 2000 के दशक से ईरान की संदिग्ध गतिविधियों की पुष्टि करती हैं।
“हम ईरान के बिजली संयंत्रों से नहीं, उसके गुप्त यूरेनियम संवर्धन कार्यक्रम और सैन्य प्रयोगशालाओं से चिंतित हैं,” — रेवेन आज़ार
‘अमाद प्रोजेक्ट’ से ‘कविर प्लान’ तक
रिपोर्टों के अनुसार, ईरान ने 1990 के दशक में पाकिस्तान से अवैध सेंट्रीफ्यूज तकनीक हासिल की थी, जिसके आधार पर ‘अमाद प्रोजेक्ट’ नामक एक गुप्त परमाणु योजना शुरू हुई थी। इसका उद्देश्य पांच परमाणु हथियारों का निर्माण था। अब खुफिया इनपुट्स के अनुसार, ईरान ने ‘कविर प्लान’ के तहत इस कार्यक्रम को फिर से शुरू कर दिया है।
जवाबी हमले और IDF की कार्रवाई
इजरायल के रक्षा मंत्रालय के अनुसार, ईरान ने पहले इजरायल की ओर करीब 100 ड्रोन दागे थे, जिनमें से अधिकतर को हवा में ही निष्क्रिय कर दिया गया। इसके बाद इजरायल ने एक रणनीतिक जवाबी हमले में ईरान के कई सैन्य और परमाणु प्रतिष्ठानों को निशाना बनाया।
इस हमले में ईरान की रिवोल्यूशनरी गार्ड्स के प्रमुख हुसैन सलामी समेत कई वरिष्ठ अधिकारी मारे गए। इससे ईरानी नेतृत्व में उबाल है।
ईरान की प्रतिक्रिया
सुप्रीम लीडर अयातुल्ला अली खामेनेई ने कड़ी चेतावनी देते हुए कहा है कि इजरायल को “गंभीर सज़ा” भुगतनी होगी। उन्होंने देश को ‘पूर्ण प्रतिक्रिया’ के लिए तैयार रहने को कहा है।
क्षेत्रीय अस्थिरता का खतरा
कूटनीतिक और सामरिक विशेषज्ञों का मानना है कि इस हमले से मध्य पूर्व में पहले से ही नाजुक हालात और तनावपूर्ण हो सकते हैं। परमाणु प्रसार और प्रतिशोध की आशंका से अंतरराष्ट्रीय समुदाय की चिंताएँ बढ़ गई हैं। यह सिर्फ इजरायल और ईरान की लड़ाई नहीं है, यह पूरी दुनिया की सुरक्षा और परमाणु संतुलन से जुड़ा हुआ मुद्दा बन गया है l